शिमला।। हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी, शिमला देश की टॉप 200 यूनिवर्सिटीज की श्रेणी से बाहर हो गया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) 2021 जारी की है। इसमें एचपीयू शिमला देश की टॉप 200 यूनिवर्सिटीज में शामिल नहीं हो पाया है। बता दें पिछले एचपीयू का रैंक 169 था, लेकिन इस बार टॉप 200 से भी बाहर हो गया है।
न सिर्फ एचपीयू, अन्य संस्थानों की रैंकिंग में भी गिरावट आई है। एनआईआरएफ 2021 की ओवरआल और इंजीनियरिंग श्रेणी में आईआईटी मंडी की रैंकिंग भी लुढ़क गई है। ओवरआल श्रेणी में 15 पायदान लुढ़ककर आईआईटी मंडी 67वें से 82वें नंबर पर पहुंच गया। जबकि इंजीनियरिंग श्रेणी में आईआईटी मंडी पिछले साल से 10 स्थान फिसलकर 41वें स्थान पर पहुंच गया है।
इसके अलावा इंजीनियरिंग और आर्किटेक्चर की श्रेणी में एनआईटी हमीरपुर की रैंकिंग में भी कमी आई है। इंजीनियरिंग में एनआईटी हमीरपुर 99वें रैंक पर रहा, जबकि बीते वर्ष 98वां रैंक था। वहीं, आर्किटेक्चर श्रेणी में एनआईटी हमीरपुर 19वें रैंक से फिसलकर 23वें रैंक पर पहुंच गया है।
प्रदेश की शूलिनी यूनिवर्सिटी सोलन ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है। शूलिनी यूनिवर्सिटी देश की टॉप 100 यूनिवर्सिटीज में शामिल हुई है। तीन श्रेणियों में शूलिनी यूनिवर्सिटी का रैंक बढ़ा है। यूनिवर्सिटी श्रेणी में शूलिनी यूनिवर्सिटी ऑफ बायो टेक्नालॉजी एंड मैनेजमेंट साइंस सोलन का देश में 89वां रैंक रहा। बीते वर्ष यह यूनिवर्सिटी टॉप 100 में नहीं थी। इंजीनियरिंग श्रेणी में शूलिनी यूनिवर्सिटी का 103वां रैंक रहा। बीते वर्ष यह 112वें रैंक पर थी। वहीं फार्मेसी श्रेणी में शूलिनी यूनिवर्सिटी 39वें रैंक से 36वें रैंक पर पहुंच गई है।
इसके अलावा इंजीनियरिंग श्रेणी में जेपी यूनिवर्सिटी ऑफ इन्फॉरमेशन टेक्नालॉजी सोलन को 129वां रैंक मिला है,2020 में यह 115वें रैंक पर था। वहीं, मैनेजमेंट, लॉ, मेडिकल और कॉलेज श्रेणी में प्रदेश का कोई भी संस्थान शामिल नहीं हुआ है।
किस आधार पर होती है रैंकिंग
एनआईआरएफ में भारत के शिक्षण संस्थानों को उनकी गुणवत्ता के आधार पर रैंकिंग में जगह मिलती है। इंडिया रैंकिंग में पांच मापदंड के आधार पर यह निर्णय लिया जाता है। इसमें टीचिंग, लर्निंग, रिसोर्स प्रमुख होते हैं। छात्रों की संख्या, छात्र-शिक्षक अनुपात, शिक्षकों की शैक्षिक योग्यता और अनुभव, वित्तीय संसाधन और उनकी उपयोगिता, रिसर्च एंड प्रोफेशनल प्रैक्टिस में प्रकाशन, प्रकाशन की गुणवत्ता, पेटेंट, सहायता, सलाहकार, यूनिवर्सिटी परीक्षा, प्लेसमेंट पैकेज, पीएचडी छात्रों की संख्या के साथ विदेशी या अन्य राज्यों के छात्र, आर्थिक रूप से कमजोर व दिव्यांग छात्र, उनके लिए सुविधाएं और प्रशासन आदि की परख की जाती है।