क्वॉर्टरों की बिजली घंटों गुल रहने से बेहाल नेरचौक मेडिकल कॉलेज के स्वास्थ्यकर्मी

प्रतीकात्मक तस्वीर

मंडी।।

24 जुलाई को सुबह 06:30 बजे से लेकर शाम 4 बजे तक

28 जुलाई को दोपहर 2 बजे से लेकर शाम 5:20 बजे तक

29 जुलाई को सुबह 11:15 बजे से लेकर शाम 6:45 बजे तक

30 जुलाई को पहले 10:37 बजे दस मिनट फिर उसके बाद दोपहर 12:50 बजे से लेकर 2:35 बजे तक

ऊपर के टाइमटेबल को देखकर ऐसा लगता है कि इस समय कोई दुर्लभ घटना हुई होगी। मगर यह समय है नेरचौक मेडिकल कॉलेज के आवासिय परिसर में बिजली गुल रहने का। कोविड काल में अपनी जान जोखिम में डालकर, मास्क लगाकर और उमस भरे गर्म मौसम में पीपीई किट पहनने वाले डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों को जब घर जाने का मौका मिलता है तो वहां पर वे आराम तक नहीं कर पाते। बिजली गुल रहने के कारण किन दिक्कतों का सामना करना पड़ता होगा, यह आसानी से समझा जा सकता है।

मगर ऊपर की समय सारिणी अगर जुलाई महीने तक सीमित रहती तो बाद अलग थी। अगस्त महीने में भी अघोषित कट लगाए जाने का सिलसिला जारी है। 10 और 11 अगस्त को दस-दस मिनट के दो कट लगाए गए और फिर दो दिन राहत देने के बाद, स्वतंत्रता दिवस से ठीक एक दिन पहले बिजली विभाग ने सुबह 7 बजे से लेकर दोपहर 2 बजे तक फिर बिजली गायब कर दी।

यह सिलसिला जा रहा। किसी दिन कट लगता, किसी दिन हालत ठीक रहती। इस बीच 25 अगस्त को बिजली विभाग ने फिर बिजली सुबह 7:35 बजे से लेकर 9:15 बजे तक गुल कर दी। इसके बाद रात 8:30 बजे से लेकर 9 बजे तक एक बार फिर बिजली गायब रही।

बाजार में बिजली, क्वॉर्टर्स में गुल
इस पूरे मामले का एक और विचारणीय पहलू यह है कि नेरचौक के बाजार में बिजली रहती है और बाजार-सड़क से मात्र कुछ मीटर दूर बिजली अपनी मर्जी से आती जाती रहती है।

गौरतलब है कि नेरचौक मेडिकल कॉलेज प्रदेश का कोविड समर्पित अस्पताल है और कॉलेज के बाहर इसका बड़ा सा बोर्ड भी लगा है। जहाँ अस्पताल में मरीजों के लिए जेनरेटर सुविधा उपलब्ध है, वहीँ मरीजों की सेवा में जुटे डाक्टर, नर्स व प्रशासनिक कार्य देख रहे मुलाजिमों के लिए बिजली विभाग की कोई सहानुभूति नहीं है।

कठिन ड्यूटी के बाद घर लौटने पर बिजली न होने से परेशान हो रहे हैं स्वास्थ्यकर्मी
(प्रतीकात्मक तस्वीर)
‘टोपी’ ट्रांसफर का खेल
14 अगस्त को कंट्रोल रूम में कंट्रोल पैनल ब्लास्ट होने के कारण पहले से ही चरमराई हुई बिजली व्यवस्था की हालत खराब हो गई है? इन हालात को लेकर कॉलेज के अंदर कार्यरत PWD के इलेक्ट्रिसिटी विंग का कहना है कि ये काम बिजली बोर्ड को देखना होगा। जबकि बिजली विभाग का कहना है कि PWD के बिजली विंग की जिम्मेदारी बनती है।

इस सबके बीच शिमला से आई फैक्ट/फॉल्ट फाइंडिंग टीम भी वापिस जा चुकी है और अब तक कोई सुधार नहीं हुआ है। जिम्मेदारी को दूसरे विभाग के पाले में डालने के इस खेल में कॉलेज के मुलाजिमों का ही फुटबॉल बना हुआ है| हाल ये कि खबर लिखे जाने तक, 26 अगस्त 2020 को सुबह 11:30 बजे से गायब हुई बिजली अभी तक (5 बजे तक नहीं आई है)।

नाराज डॉक्टरों का कहना है कि उनकी समस्या की ओर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। कुछ डॉक्टरों का कहना है कि 7 दिन आइसोलेशन वॉर्ड ड्यूटी और उसके बाद परिवार से दूर होटल में रहने के बाद भी अगर स्वास्थ्यकर्मियों को बिजली जैसी बुनियादी सुविधा नहीं दी जा सकती तो सरकार को चाहिए कि इन्हें परिवार सहित किसी होटल में शिफ्ट कर दे।

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