शिमला।। हिमाचल प्रदेश में अधिकारियों की गाड़ियों पर लगी फ्लैशर लाइट हटाने की कवायद शुरू हो गई हैं। प्रदेश में जिलों के डीसी, एसपी, एसडीपीओ और एसडीएम के वाहनों पर फ्लैशर लाइट लगी हुई है।
नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने विधानसभा में यह सवाल किया था। अग्निहोत्री ने कहा था कि हिमाचल में रेड लाइट कल्चर खत्म हो गया है, लेकिन अफसरों का बत्तियों का शौक खत्म नहीं हो रहा। उन्होंने सीएम से पूछा था कि किस नियम के तहत अधिकारियों ने अपने वाहनों में लाल-नीली फ्लैशर लाइट लगाई हैं।
यह भी पढ़ें : ना-ना करते हिमाचल सरकार ने भी किया लाल बत्तियां हटाने का फैसला
इसके जवाब में सीएम ने कहा था कि केंद्र व राज्य सरकार की ओर से किसी को भी गाड़ियों में फ्लैशर लाइट लगाने की अनुमति नहीं है। सीएम ने इस मामले पर कड़ा संज्ञान लेने की भी बात कही थी।
यह भी पढ़ें : जनता के काम भूलकर लाल बत्ती के पीछे पड़े है नए विधायक
इसके बाद जब परिवहन विभाग ने अपनी फाइलों की जांच की तो पाया कि कोरोना की पहली लहर के दौरान राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एक्ट का हवाला देते हुए जिलों के उपायुक्तों को फ्लैशर लाइट लगाने को लेकर अधिकृत कर दिया गया था। उस दौरान इसके पीछे दलील दी गई थी कि बिना लाइट के लॉकडाउन के दौरान ड्यूटी करने में दिक्कतें आ रही हैं।
उस दौरान परिवहन विभाग ने सभी जिलों के उपायुक्तों को यह अधिकार दिया था। इस संबंध में आदेश भी नारी किये गए थे। लेकिन अब विभाग इस आदेश को वापस लेने पर विचार कर रहा है।
विधायकों से नहीं छूट रहा वीआईपी कल्चर का मोह, लगा रहे स्टिकर