‘देव-संसद’ में सरकार के दखल से देवी-देवताओं के गूर नाराज

कुल्लू।। ‘देव-संसद’ में सरकार के दखल पर देवी-देवताओं के गूरों ने नाराज़गी जताई है। ‘देव-संसद’ को जगती के नाम से जाना जाता है। कुल्लू जिले के नग्गर गांव में बुधवार को आयोजित ‘देव संसद’ के दौरान होने वाले अनुष्ठानों में बढ़ते सरकारी दखल पर देवी-देवताओं के गूरों ने चिंता व्यक्त की है।

जगती पट्ट परिसर में चार घंटे तक चली ‘जगती’ में 113 देवताओं के प्रतीकों और गूरों ने भाग लिया। देवताओं ने अपने गूर के माध्यम से दशहरा के दौरान एक ‘कहिका’ यानी प्रायश्चित समारोह आयोजित करने का फैसला सुनाया, ताकि क्रोधित देवताओं को शांत किया जा सके, जिन्हें पिछले साल कोविड प्रतिबंधों के बीच उत्सव में शामिल होने की अनुमति नहीं थी। देवताओं ने रीति-रिवाजों और सदियों पुरानी प्रथाओं पर प्रतिबंध पर नाराजगी व्यक्त की।

देव समाज के सदस्यों ने कहा कि जहां राजनीतिक कार्यक्रमों में भारी भीड़ देखी गई, वहीं भक्तों के लिए मंदिर बंद कर दिए गए। देवता नाराज हैं क्योंकि हाल ही में सरकार की ओर से बड़ी चूक हुई है।

‘जगती’ के दौरान, यह निर्णय लिया गया कि 15 अक्तूबर से शुरू होने वाले दशहरे के दौरान ‘कहिका’ का आयोजन किया जाए। रोगों से बचाव के साथ-साथ देवताओं से माफी मांगने के लिए इस आयोजन का निर्णय लिया गया।

दो दिवसीय आयोजन के दौरान क्रोधित देवताओं को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न अनुष्ठान किए जाएंगे। ‘छिद्र’ के नाम से जाना जाने वाला एक सफाई समारोह भी आयोजित किया जाएगा।

देवताओं के गूरों ने कहा कि सभी देवी-देवताओं को दशहरा में आमंत्रित किया जाना चाहिए। इस मौके पर भगवान रघुनाथ के ‘छरिबरदार’ यानी मुख्य कार्यवाहक महेश्वर सिंह और उनके पुत्र कारदार दानवेंद्र सिंह उपस्थित रहे।

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