कोरोना संकट का ऐसे फायदा उठाने की फिराक में है चीन

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इन हिमाचल डेस्क।। जिस समय पूरी दुनिया कोरोना संकट से जूझ रही है, उसी समय चीन ने अपने विस्तारवादी कदम बढ़ाना शुरू कर दिया है। जिन मामलों को चीन अपने राष्ट्रीय हितों से जोड़ता है, उन्हें लेकर वह आक्रामक हो गया है। इसका एक नमूना भारत के साथ लद्दाख में देखने को मिला है।

विवादित सीमा को लेकर चीनी सैनिक अक्सर भारतीय सैनिकों के साथ उलझते रहे हैं मगर इस बार मामला भीषण हिंसा तक पहुंच गया। मगर चीन सिर्फ भारत के साथ नहीं उलझ रहा। वह दक्षिण चीन सागर में भी बहुत सक्रिय हो गया है। साथ ही, हॉन्ग कॉन्ग की स्वायत्तता को भी कम कर रहा है।

अप्रैल में इसने विवादित पैरासेल और स्प्रैटली द्वीपों में दो नए ज़िले घोषित कर दिए। इन द्वीपों पर कब्जा करके वो पहले ही सैन्य अड्डे बना चुका है। इसके अलावा इसने मलेशिया की ओर से समंदर में तेल खोजने के अभियान में जुटे जहाजों को भी रोक दिया। वियतनाम और मलेशिया की पुरानी शिकायत है कि चीन उन्हें तेल और गैस प्रोजेक्ट नहीं लगाने दे रहा।

ब्रिटेन ने अपने उपनिवेश रहे हॉन्ग कॉन्ग को कुछ शर्तों के साथ चीन को सौंपा था। इसके लिए चीन ने ‘वन नेशन, टू सिस्टम्स’ के सिद्धान्त के तहत हॉन्ग कॉन्ग को कई स्वायत्तताएं दी हैं। मगर चीन ने कोरोना संकट के बीच वहां नया सुरक्षा कानून लागू कर दिया। हॉन्ग कॉन्ग के लोग लगातार चीन की ओर से लगाई जा रही बंदिशों का विरोध कर रहे हैं।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस समय पूरी दुनिया आर्थिक रूप से मुश्किलों का सामना कर रही है और देशों का ध्यान कोविड-19 से निपटने में है। ऐसे में चीन इसे मौके के तौर पर देख रहा है। उसे लगता है कि अगर वह अपने एजेंडे को आगे बढ़ाएगा तो कोई उसका विरोध नहीं कर पाएगा। चीन को ऐसा इसलिए भी लगता है क्योंकि बहुत सारे देश कोरोना टेस्टिंग किट्स और पीपीई वगैरह के लिए अभी भी चीन का मुंह ताक रहे हैं।

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