आठ विभागों ने बिना उपयोगिता प्रमाण पत्र खर्च दिए 3558 करोड़ रुपये: CAG

शिमला।। हिमाचल प्रदेश में आठ विभागों ने वित्त वर्ष 2015 से लेकर 2021 तक 3557.83 करोड़ रुपये खर्च किए हैं मगर वे इसका उपयोगिता प्रमाणपत्र पेश नहीं कर पाए हैं। इस राशि को लेकर भारत के नियंत्रक एवं लेखा परीक्षक (कैग) ने आपत्तियां लगाई हैं।

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने विधानसभा के मॉनसून सत्र के अंतिम दिन शनिवार को सदन में कैग की रिपोर्ट पेश की जिसमें वित्त वर्ष 2020-21 के वित्त लेखे पेश किए गए। कैग की रिपोर्ट में यह बात निकलकर आई है कि विभिन्न विभागों ने 2,799 उपयोगिता प्रमाणपत्र प्रस्तुत नहीं किए।

कैग के मुताबिक उपयोगिता प्रमाणपत्रों को प्रस्तुत नहीं करने का मतलब है कि अधिकारियों ने खर्च की गई रकम का सही स्पष्टीकरण नहीं दिया है। अगर उपयोगिता प्रमाण पत्र न पेश किए जाएं तो ऐसी आशंका भी रहती है कि इस रकम का दुरुपयोग हो गया है।

कैग ने टिप्पणी की है कि इन बातों को ध्यान में रखते हुए यह जरूरी है कि राज्य सरकार हर पहलू की बारीकी से निगरानी करे और संबंधित व्यक्तियों पर इस बात का दबाव बनाए कि उपयोगिता प्रमाणपत्रों को समयसीमा के अंदर प्रस्तुत करें।

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किस विभाग में कितना व्यय
सबसे ज्यादा 1,269.55 करोड़ रुपये पंचायती राज, 745.69 करोड़ विकास और 454.98 करोड़ रुपये शहरी विकास विभाग से संबंधित है। बाकी राशि आयुष, शिक्षा, कृषि एवं उद्यान, पशुपालन, उद्योग, जलशक्ति विभाग और राज्य लोक सेवा आयोग से संबंधित है।

वित्त वर्ष 2015-16 में 24, 2016-17 में 152, 2017-18 में 397, 2018-19 में 914 और 2019-20 में 1312 उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा नहीं किए गए। अगर रकम की बात करें तो वित्त वर्ष 2015-16 में 34.86, 2016-17 में 139.08, 2017-18 में 410.48, 2018-19 में 1002.65 और 2019-20 में 1970.76 करोड़ रुपये खर्च किए गए।

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