कांगड़ा।। पूर्व मंत्री सुजान सिंह पठानिया के निधन के बाद खाली हुई फतेहपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने हैं। बीजेपी और कांग्रेस ने इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। इस बीच, कांग्रेस की ब्लॉक कमेटी ने यहां से सुजान सिंह पठानिया के बेटे भवानी सिंह पठानिया का नाम आगे भेजा है और मांग की है कि उन्हें ही टिकट दिया जाए।
इस बाबत मंझार स्थित शिव मंदिर में बैठक हुई। ब्लॉक अध्यक्ष कैप्टन जीत कुमार शर्मा की अध्यक्षता में हुई बैठक में सर्वसम्मति से स्वर्गीय सुजान सिंह पठानिया के बेट भवानी सिंह पठानिया का नाम पार्टी हाईकमान को भेज दिया गया है।
लेकिन इस बीच भवानी सिंह पठानिया का एक पुराना बयान सोशल मीडिया पर सर्कुलेट हो रहा है। ज्यादातर लोग इसे नया बयान समझ रहे है, जबकि यह सात साल पुराना है। इसमें उन्होंने कहा था कि नेताओं के बेटों को टिकट नहीं दिया जाना चाहिए। मई 2014 में हिमाचल दस्तक में छपी खबर के मुताबिक भवानी पठानिया ने तब कहा था- “नेताओं की औलादों को टिकटें देने का रिवाज कांग्रेस को तुरंत बंद करना होगा।”
दरअसल, तब छपी खबर के मुताबिक, लोकसभा चुनावों के बाद अपनी फेसबुक प्रोफाइल पर भवानी सिंह पठानिया ने एक पोस्ट डालकर कांग्रेस के हार के कारणों की समीक्षा करते हुए कुछ नसीहतें दी थीं। इनमें नेताओं के बच्चों को टिकट देने के रिवाज को बंद करने के लिए कहा था।
सुजान सिंह पठानिया के निधन के बाद से फतेहपुर विधानसभा उपचुनाव की चर्चा गर्म होते ही लोगों ने फिर इस खबर को शेयर करना शुरू कर दिया। यह समझते हुए कि यह किसी ताज़ा अखबार की कटिंग है और भवानी सिंह पठानिया ने कहा है कि वह उप चुनाव नहीं लड़ना चाहते। ऐसे हालात इसलिए भी हैं, क्योंकि लोग अक्सर पूरी खबर पढ़ने की जगह हेडिंग देखकर राय बना लेते हैं। वरना वे अंदर खबर में यूपीए का जिक्र पढ़कर समझ जाते कि बात 2014 की हो रही है।
खैर, अब देखना यह है कि खुद भवानी सिंह पठानिया क्या करते हैं। अपने बयान पर कायम रहते हुए फतेहपुर में लंबे समय से संगठन के लिए काम कर रहे कांग्रेसी को चुनाव लड़ने का मौका देते हैं या फिर खुद चुनाव लड़ने को हामी भरते हैं।