काम के दम पर लोगों के बीच निकलने वाला हूँ, रास्ता लोग तय करेंगे : अनिल शर्मा

मंडी।। सीएम के कोटली दौरे के दौरान सदर विधायक अनिल शर्मा तीखे व्यंग करते नज़र आए। इस दौरे में सीएम जयराम ठाकुर के साथ जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर व अन्य विधानसभा क्षेत्रों के विधायक भी साथ थे। अनिल शर्मा ने मंच संभालते ही अपने संबोधन की शुरुआत पंडित सुखराम के ज़िक्र साथ की। पंडित सुखराम की टेलीफोन क्रांति का ज़िक्र किया। मंचों पर खुद को नजरअंदाज किये जाने की बात भी की।

अनिल शर्मा अपनी बात कह रहे थे कि भीड़ में से सीएम जयराम ठाकुर के समर्थन में नारेबाजी शुरू हो गई। जब चुप करवाने पर भी कार्यकर्ता चुप नहीं हुए तो अनिल शर्मा बोले कि नारों से कुछ नहीं मिलता। लोगों का मन नारों से नहीं जीता जाता।

अनिल शर्मा ने कहा कि यदि मैं दो साल बाहर नहीं निकला तो उसका कारण था। मैं ईमानदार आदमी हूँ। मैंने मुख्यमंत्री को कहा कि मेरे हाथ से बात निकल चुकी है। मैंने कभी पीठ के पीछे वार नहीं किया। एक बाप की मजबूरी हो सकती है। इसी मजबूरी के कारण मैं लोगों के बीच नहीं आ पाया। अनिल ने कहा कि मुझे लगता था इलाका सदर अपना रास्ता ढूंढ रहा है, परंतु कुछ लोग कहते हैं कि आप निकलिए। अनिल ने हिमाचल विकास कांग्रेस का जिक्र करते हुए कहा कि महेंद्र सिंह जानते हैं कि उस समय भी हम घर बैठ गए थे। लेकिन जब लोगों ने कहा कि पंडित जी आप निकलिए तो हम निकले और एक तूफान बनकर बीजेपी की सरकार बनाने के लिए साथ चले।

अनिल ने आगे कहा कि मैं आज भी घर बैठने वाले नहीं हूँ।मैं लोगों के बीच निकलूंगा। काम किया है और उस काम के दाम पर लोगों के बीच निकलने वाला हूँ। रास्ता और पार्टियां लोग तय करेंगे। और अगर लोग कहेंगे कि घर बैठ जाओ तो मैं घर बैठने से भी गुरेज नहीं करूंगा।

अनिल ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री कई बार बुरा मान लेते हैं। उन्हें लगता है कि मैं विरोध कर रहा हूँ। उन्होंने कहा कि मैं विधानसभा में नहीं बोलता हूँ। वहाँ पर चुप बैठा रहता हूँ। अनिल ने कहा कि मैंने विधानसभा में देखा है कि जो विधानसभा में बहुत बोलते थे पांच साल बाद पता नहीं चला कहाँ गए।

अनिल ने कहा जब मैंने कोटली तहसील बनाई थी। उस समय एक लाख की आबादी में तहसील दी गयी थी, कोटली में 25 हज़ार की आबादी में तहसील दे दी गई। सरकार की क्षमता हो और सरकार चाहे तो कुछ भी किया जा सकता है। अनिल ने कहा कि जब जुब्बल-कोटखाई में दो एसडीएम दफ्तर खुल सकते हैं, तो हमारे यहाँ भी एसडीएम दफ्तर होना चाहिए।

अनिल ने कोटली बस अड्डे की बात करते हुए कहा कि महेंद्र सिंह जी नाराज हो जाते हैं। इनको हर चीज़ में गुस्सा आ जाता है। जब धर्मपुर में बस अड्डे के अंदर पानी आ गया था तो इन्होंने मुझे कहा था कि तूने भी तो नाले में बनाया है। अनिल ने कहा कि हम लोग बरसात में बैठे हैं। अगर यहां बस अड्डा नहीं होता तो आज कोटली के अंदर सभा करने के लिए स्थान नहीं मिलता।

अनिल ने सड़कों की बात करते हुए कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि विधायक बोलता नहीं है। अगर बोलता नहीं है तो सड़कें कैसे आईं। सड़कों की प्राथमिकताएं मैंने रखी जिनका फाउंडेशन स्टोन सीएम सीएम के हाथों रखे गए।

अनिल ने कहा कि राजनीति में क्या होगा, क्या नहीं। इसका मुझे डर नहीं है। जब मेरे बेटे ने चुनाव लड़ा तो मैं बिल्कुल कमजोर था। लोगों ने कहा कि क्या हुआ। मेरे अंदर एक ऐसी पीड़ा थी जिसे मैं बयान नहीं कर सकता था। परंतु उसके बाद मेरे मन में बात आई कि इंसान जो मर्जी कर ले, ऊपर वाला बैठा है। जो करना होगा, वो करेगा। अनिल ने कहा कि मैंने प्रयास किया कि मैं लोगों के बीच जाऊंगा और अपनी बात करूंगा। मैं अपनी बात कह सकता हूं, परिवार की बात नहीं कह सकता। अनिल ने कहा कि जो रास्ता लोग तय करेंगे, मैं उस रास्ते पर चलूंगा।

अनिल ने कहा कि मुझे सीएम से उम्मीद हैं। जैसी दरियादिली वे दूसरे क्षेत्रों में करते आये हैं। वैसी ही दरियादिली का इंतजार यहां के लोगों को भी है।

SHARE