शिमला।। हिमाचल प्रदेश के सूचना एवं जन संपर्क विभाग द्वारा जारी की गई एक प्रेस रिलीज़ विवादों के घेरे में फंस गई है। नियमों के अनुसार सरकार का जन संपर्क विभाग राजनीतिक रैलियों के संबंध में जानकारी नहीं दे सकता, न ही उसका काम ऐसा करना है। मगर 6 तारीख को जारी की गई विवादास्पद प्रेस रिलीज में कहा गया है– CM reviews arrangement of rally at Paddal यानी मुख्यमंत्री ने पड्डल में होने वाली रैली के इंतज़ामों की जांच की।
आगे लिखा गया है- “मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, हिमाचल के पार्टी प्रभारी सुशील कुमार शिंदे और सह प्रभारी रंजीता रंजन कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी के दौरे के सिलसिले में मिलकर कुल्लू से मंडी पहुंचे। यहां उन्होंने पार्टी के कार्यकर्ताओं और सरकारी अधिकारियों के साथ के साथ कई बैठकें कीं और इंतजामों को लेकर निर्देश दिए।”
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यही नहीं, इस विज्ञप्ति में लिखा है- “पड्डल में लैंडिग करने के बाद तीनों ने स्थल का निरीक्षण किया और ‘विकास से विजय’ रैली को कामयाब बनाने के लिए निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने दशहरा मेले के समापन के बाद कुल्लू के ऐपल वैली रिजॉर्ट में सुशील कुमार शिंदे से मुलाकात की और फिर भुंतर एयरपोर्ट से उन्होंने साथ उड़ान भरी।”
कानूनन ऐसा करना सही नहीं
हिमाचल प्रदेश सरकार के सूचना एवं जन-संपर्क विभाग के अपने दिशा-निर्देशों में साफ चिह्नित है कि उसका उद्देश्य सरकार की योजनाओं का प्रचार-प्रसार करना है और जनता के साथ रिश्ता बनाना है। सत्ताधारी पार्टी से जुड़ी गतिविधियों के प्रचार-प्रसार का कोई जिक्र इसमें नहीं है। हैरानी की बात यह है कि ये हाल तब हैं जब इसी वेबसाइट पर विभाग ने अपने निदेशक तत्वों वाला डॉक्युमेंट भी अपलोड किया है।
इसमें विभाग के कार्य एवं कर्तव्य (Functions and Duties) में 10 दिशा-निर्देश हैं। इनमें कहीं पर भी नहीं लिखा है कि विभाग राजनीतिक गतिविधियों का प्रचार प्रसार करेगा। इसमें हर जगह सरकार का जिक्र है, न कि किसी नेता या पार्टी का। बता दें कि इस रैली को हिमाचल सरकार ने सरकारी रैली घोषित किया हुआ है यानी इसका पूरा खर्च सरकार उठाएगी। इसे सरकार के पांच साल पूरे होने पर इसका आयोजन कर रही है, जिसमें राहुल मुख्यातिथि होंगे। मगर जैसा कि रैली के नाम ‘विकास से विजय’ से ही स्पष्ट है, यह चुनावी रैली है और सरकारी पैसे का दुरुपयोग है।
विभाग पर है और भी गड़बड़ियों का शक
यह पहला मौका नहीं है जब जनता का पैसा सरकार के प्रचार-प्रसार पर खर्च करने के लिए जवाबदेह जनसंपर्क विभाग पर इस तरह से फेवर पहुंचाने का आरोप लगा है। इससे पहले भी सरकार की उपलब्धियों के प्रचार-प्रसार के नाम पर मुख्यमंत्री के प्रचार-प्रसार वाले वीडियो तैयार किए जा रहे हैं, जिसके लिए खास टीम रखी गई है। आरोप तो यहां तक हैं कि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य के प्रचार-प्रसार वाले वीडियो भी उसी टीम से बनवाए जा रहे हैं।
इसके सबूत उस वक्त सामने आए थे, जब हिमाचल सरकार की मुहर लगे वीडियो को ‘शिमला ग्राणीण’ पर शेयर किया गया था और उस वीडियो में हिमाचल सरकार की मुहर थी। ‘In Himachal’ ने खबर छापी थी तो उस वीडियो को हटा लिया गया था। यही नहीं, इस मामले में हिमाचल सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने एक पोर्टल से बात करते हुए सफाई दी थी कि यह चूक किसी से हुई है, जिसे पता नहीं था कि यह पर्सनल वीडियो है न कि सरकारी। यानी साफ है कि वीडियो एक ही जगह बन रहे थे।