जब प्रशासन हुआ नाकाम तो देवताओं ने भगाए अवैध कब्जाधारी

कुल्लू।। हिमाचल प्रदेश की देव परंपरा के सांस्कृतिक पहलू से जुड़ी खबरें अक्सर आती हैं मगर इन देवी-देवताओं की सामाजिक भूमिका भी है। जैसे कई जंगल हैं जो देवताओं के नाम पर हैं और वहां कोई शिकार या पेड़ों को काटने का काम नहीं करता। देवताओं के डर से लोग झूठी कसमें खाने से भी डरते हैं। आस्था के दम पर ये देवता समाज सुधारक की भूमिका भी निभा सकते हैं। इसकी मिसाल देखने को मिली कुल्लू में।

हिमाचल के जिला कुल्लू की बंदरोल सब्जी मंडी में देव स्थल पर अवैध कब्जा छुड़ाने करीब एक दर्जन देवी-देवता शुक्रवार को खुद उतर आए। देवताओं ने करीब पौने घंटे में अवैध कब्जाधारियों को वहां से खदेड़ा और गूर के माध्यम से कहा कि भविष्य में ऐसा किया तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।

दरसअल बीते दिनों जिला प्रशासन दल-बल के साथ अवैध कब्जा हटाने पहुंचा था लेकिन लोगों के राजनीतिक रसूख के चलते बैरंग लौट आया था। ब्यासर मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान तमाम देवी-देवताओं ने इस स्थल को खाली करने के आदेश दिए थे।

पिछले लगभग एक महीने में देव स्थल पर कुछ लोगों ने कब्जा कर खोखे व स्टोर बना दिए थे। ऐसे में देवी-देवताओं का पवित्र स्थल अशुद्ध हो रहा था। जब देव आदेशों की पालना न हुई तो घाटी के 11 देवी-देवता खुद बंदरोल पहुंच गए और देव स्थल को कब्जा मुक्त करवाया। देवी-देवताओं की इस मुहिम से घाटी के देव समाज से तमाम लोग काफी खुश हैं। बंदरोल सब्जी मंडी में चिह्नित देवस्थल का अपना महत्व है। यहां पर कुल्लू-मनाली आते-जाते, तीर्थ स्थल और दशहरा के समय देवी-देवता ठहराव करते हैं।

हिंदी अखबार अमर उजाला की खबर के मुताबिक बंदरोल सब्जी मंडी के पास अवैध कब्जे को हटाने में देवता वीरनाथ बदंरोल, काली माता ओढी शिरढ़, वीरनाथ पनगां, नाग देवता शिरढ़, काली माता ओढी बंदरोल, देवता काली नाग कराल, देवता थान शिम, काली ओढ़ी शिम आदि देवता मौजूद रहे।

विडियो: जब दुखी होकर देवता ने कहा- मैं ये तबाही नहीं देख सकता

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