मंत्री महेंद्र सिंह के बेटे पर खनन का आरोप लगाने वाले पर केस

मंडी।। सिंचाई एवं बागवानी मंत्री और धर्मपुर से बीजेपी के विधायक महेंद्र सिंह ठाकुर के बेटे पर शनिवार को बक्कर खड्ड में अवैध ढंग से खनन का आरोप लगाने वाले शख्स रमेश और चार अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। इन पर मंत्री के बेटे की गाड़ी तोड़ने को नुकसान पहुंचाने का आरोप है। बता दें कि रमेश चंद पर यह मामला मंत्री के बेटे पर खनन का आरोप लगाने के एक दिन बाद ही दर्ज हुआ है।

क्या है मामला
धर्मपुर में सबसे पहले एक शिकायत दर्ज कराई गई। रमेश चंद नाम के शख्स का कहना है कि दोपहर तीन बजे कुज्जाबल्ह से संधोल की तरफ जाते समय उन्होंने एक जेसीबी और दो टिप्पर बक्कर खड्ड में खनन करते देखे। इसकी सूचना उन्होंने पुलिस को दी और पुलिस ने तुरंत आते ही इन वाहनों को अपने कब्जे में ले लिया।

रमेश चंद का दावा है कि मुख्य आरक्षी संजीव सकलानी के पास चालान नहीं कर सकते थे क्योंकि संधोल पुलिस चौकी प्रभारी मौके पर मौजूद नहीं थे। ऐसे में कथित तौर पर संजीव ने अपने धर्मपुर थाना प्रभारी को सूचा दी। लेकिन इसके बाद मौके पर करीब दो दर्ज लोग पहुंचे और पुलिस के सामने से दो टिप्पर और जेसीबी छुड़ाकर ले गए।

शिकायत पत्र

आरोप है कि मंत्री के एक रिश्तेदार ने इस दौरान पुलिस वालों को कथित तौर पर धमकाया और छह दिन के अंदर देख लेने का जिक्र किया। बताया जा रहा है कि शनिवार रात आठ बजे एसएचओ पृथ्वी सिंह भी पहुंचे लेकिन मंत्री के बेटे का नाम आने के कारण वह कार्रवाई से बचते रहे। बता दें कि इस खड्ड में मंत्री के बेटे का क्रशर भी है।

अब शिकायत करने वाले पर मामला
खनन की शिकायत वाले मामले में क्या कार्रवाई हुई है, यह स्पष्ट नहीं हो पाया है लेकिन अब शिकायतकर्ता रमेश पर मामला दर्ज किया गया है। खनन विवाद के ठीक एक दिन बाद रमेश चंद पर विधायक और मंत्री महेंद्र के बेटे रजत की गाड़ी को तोड़ने का केस दर्ज हुआ है। इसमें चार अन्य लोगों पर भी केस दर्ज हुआ है। रमेश का कहना है कि आवाज उठाने के कारण उनके साथ ऐसा किया जा रहा है।

क्या कहना है मंत्री के बेटे का
मंत्री के बेटे रजत सिंह ने न्यूज पोर्टल ‘समाचार फर्स्ट’ से बात करते हुए अपना पक्ष रखा है (पढ़ें)। उन्होंने कहा है कि ‘अवैध खनन से मेरा कोई संबंध नहीं है और मौके से जिस टिप्पर और जेसीबी के मिलने की बात कही जा रही है, वह पुरानी घटना है और मुझे जानबूझकर टारगेट किया जा रहा है. जिन पांच लोगों पर एफआईआर की गई है, उन्होंने मेरी गाड़ी में तोड़फोड़ की है।’ हालांकि पोर्टल का दावा है कि आगे मंत्री के बेटे ने सवालों का जवाब नहीं दिया और कहा कि मामला कानूनी तौर पर विचाराधारीन है।

पुलिस की चुप्पी
इस मामले में पुलिस का रवैया ढुलमुल नजर आ रहा है। पुलिस अपने ऊपर लग रहे आरोपों पर भी जवाब नहीं दे रही। समाचार फर्स्ट की रिपोर्ट के मुताबिक एसएचओ धर्मपुर ने सवालों का जवाब नहीं दिया और टेलिफोन पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। इससे साफ पता चलता है कि पुलिस कहीं न कहीं दबाव में है।

(संधोल इलाके में जोरों पर है अवैध खनन) Image courtesy: Samachar First

जयराम सरकार की फजीहत
खनन माफिया के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के वादे के साथ सत्ता में आई बीजेपी के दौर में भी खनन जारी है। संधोल क्षेत्र में खनन जोरों पर है और इससे खड्डों की संरचना ही बदल गई है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी कई बार कह चुके हैं कि उनकी सरकार माफिया को बर्दाश्त नहीं करेगी। मगर उनकी ही सरकार के मंत्री के बेटे पर गंभीर आरोप लगे हैं और ऊपर से पुलिस पर ढुलमुल रवैया अपनाने के भी।

शिकायतकर्ता रमेश चंद कौन है
इस मामले में शिकायकर्ता रमेश चंद शराब के ठेकेदार हैं। बता दें कि उन्होंने ही महेंद्र सिंह की विधानसभा सदस्यता को  चुनौती दी है। उन्होंने अपनी याचिका में महेंद्र सिंह ठाकुर ने चुनाव के दौरान हलफनामे में जानकारियां छिपाने का आरोप लगाया है।

चुनावी हलफनामों में महेंद्र की तरफ से दी गई जानकारियों के आधार पर उन्होंने सवाल उठाया है कि मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर की पत्नी गृहिणी हैं और 2012 में उनके पास पैन कार्ड तक नहीं था। लेकिन इस बार उनकी संपत्ति 7.68 करोड़ दिखाई गई है। सवाल पूछा गया है कि पांच साल में उनके गृहिणी होते हुए यह संपत्ति एकाएक कैसे आ गई। इस मामले में हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने सरकार, चुनाव आयोग और मंत्री को पिछले दिनों नोटिस भी भेजा था। 

दो मंत्रियों की सदस्यता को चुनौती देने वाली याचिका पर हाई कोर्ट का नोटिस

गौरतलब है कि महेंद्र सिंह ठाकुर की पत्नी के नाम पर मनाली के रांगड़ी में एक होटल भी है। एनजीटी के आदेश के बाद जांच में यहां पाया गया था कि टीसीपी और अन्य निर्माण नियमों का उल्लंघन किया गया है। इस कारण होटल का बिजली और पानी का कनेक्शन काट दिया गया था। बाद में खबर आई थी कि अवैध हिस्से पर खुद ही हथौड़ा चला दिया गया था।

प्रदेश में इस तरह से 1700 होटलों में अनियमितताएं पाई गई थीं और फिर जयराम सरकार ने इन होटलों को राहत देने की बात कही थी। उस समय विपक्ष ने आरोप लगाया था और ऐसी खबरें भी आई थीं कि सरकार में बैठे बड़े नेता के रिश्तेदार के होटल फंसने के कारण ही सरकार नियमों में बदलाव कर रही है ताकि उन्हें राहत दे सके।