बीच रास्ते में रुकी खटारा दिल्ली-केलांग-लेह बस, यात्री हुए परेशान

इन हिमाचल डेस्क।। एक ओर जहां हिमाचल प्रदेश के परिवहन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर गुरुवार को लाहौल स्पीति जिले के केलॉन्ग बस अड्डे और वर्कशॉप का निरीक्षण कर रहे थे, दूसरी ओर उसी सुबह यहीं के लिए आ रहे यात्री एचआरटीसी की खटारी बस में बैठने के लिए खुद को कोस रहे थे। मगर करते भी क्या, इस बस के अलावा उनके पास कोई विकल्प भी तो नहीं है।

दरअसल दिल्ली से केलॉन्ग के लिए चली सरकारी बस का इंजन ओवरहीटिंग के कारण समस्या पैदा करने लगा। बता दें कि यह वही बस रूट है, जिसके लिए एचआरटीसी की काफी तारीफ हुई थी। यह “दिल्ली-केलॉन्ग-लेह” रूट वाली बस थी जो अडवेंचर पसंद लोगों के लिए शुरू की गई थी। लगभग 33 घंटे की यात्रा वाले इस रूट को देश का सबसे लंबा रूट कहा गया था।

मगर गुरुवार सुबह इस यात्रा के दौरान ही हालात ऐसे हो गए कि पुराने दौर की तरह चालक-परिचालक को पानी डाल-डालकर बस को चलाना पड़ा। केलॉन्ग निवासी और ट्राइबल टुडे के संपादक और पीटीआई संवाददाता शाम चंद आजाद ने इस संबंध में वीडियो शेयर किए हैं और बताया है कि बीच रास्ते में यात्रियों को कितनी असुविधा का सामना करना पड़ा।

ओवरहीट हो रहे इंजन में एक बार पानी डालने पर भी हालात नहीं सुधरे। बस हांफने लगी और कई बार बस को रोककर पानी डालने की यही प्रक्रिया दोहरानी पड़ी। ऐसे में लगने लगा कि शायद ही बस रोहतांग भी पहुंच पाए।

आखिरकार यह बस कोठी में बंद हो गई। इसके बाद कुल्लू से एचआरटीसी ने वैकल्पिक बस भेजकर यात्रा पूरी करवाई।

इस बस पर 42 यात्री सवार थे, जिनमें बच्चे, बूढ़े और बुजुर्ग भी शामिल थे। एक पोस्ट में शाम चंद आजाद ने लिखा, “18 मील के पास अब तक तीन बार पानी डाल चुके हैं। पुरानी खटारा बसें जो आठ लाख किलोमीटर तक चली हैं, ऐसी बसें जनजातीय इलाकों की कच्ची और खराब सड़कों पर रेंग रही हैं। किलाड़ और काज़ा की सड़कों की दयनीय स्थिति से कौन अवगत नहीं है। क्या हम किसी बड़े हादसे के इंतजार में हैं?”

परिवहन मंत्री आए थे केलॉन्ग
गौरतलब है कि गुरुवार को ही परिवहन मंत्री जनजातीय जिले लाहौल स्पीति के दौरे पर थे। उन्होंने फेसबुक पर इसकी तस्वीरें भी शेयर की हैं और लिखा है कि उन्होंने हिमाचल पथ परिवहन निगम उदयपुर बस स्टैंड, केलांग बस स्टैंड एवं कर्मशाला का निरीक्षण किया। उन्होंने उदयपुर-घारी-चिमरेट बस शुरू होने पर जनता को बधाई दी और कहा कि प्रदेश सरकार चालक-परिचालक, पीसमील वर्करों को हर सुविधाएं प्रदान करने के प्रति कृतसंकल्प है।

बदहाल डिपो
पत्रकार शाम आजाद केलॉन्ग डिपो की बदहाली की दशा पर लिखते हैं, “जिस केलांग डिपो का एक समय मे नाम होता था, आज उसके 28वें पायदान पर पहुंच जाने की खबर है। जिन बसों में यात्रा करने के लिए यात्री घण्टों इंतजार करते थे, आज उनका जी मिचलता है। मगर जनजातियों का मुकद्दर तो इन्ही अर्धश्वासित बसों के साथ माथापच्ची करने का है।”

आगे वह लिखते हैं, “कई जरूरी रूट बन्द करवा चुका यह डिपो अब लोकल तथा कम दूरी के लिए भी पिछड़ता जा रहा है। आखिर क्यों इन दुर्गम इलाकों के साथ भद्दा मजाक? क्यों प्रतिनिधि खामोश? मात्र छह साथ महीने मिलने वाली इस सेवा से भी बेहाल हो रही है जनजातीय अवाम?”

लोग बड़ी संख्या में उनके इन पोस्ट और वीडियो को सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं।

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