जब सिंघी राम का केस हटा रही थी वीरभद्र सरकार और बीजेपी कर रही थी विरोध

शिमला।। हाल ही में रामपुर विधानसभा सीट से छह बार कांग्रेस के एमएलए रह चुके सिंघी राम भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए हैं। एक समय सीनियर कांग्रेस नेता और पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के करीबी रहे सिंघी राम के पार्टी में आने को बीजेपी बड़ी उपलब्धि बता रही है। उधर कांग्रेस का कहना है कि यह कोई बड़ी बात नहीं है। आज बीजेपी और कांग्रेस अनोखी भूमिकाओं में हैं। कुछ समय पहले तक बीजेपी सिंघी राम की कड़ी आलोचना करती थी तो कांग्रेस सरकार उनके प्रति नरम हो रही थी। यानी आज दोनों पार्टियां सिंघी राम को लेकर अपने स्टैंड पर यू टर्न ले चुकी हैं।

दलित नेता सिंघी राम का वैसे अपने इलाके में प्रभाव रहा है और छह बार विधायक चुना जाना सामान्य बात भी नहीं। मगर 2007 के विधानसभा चुनाव में उस समय हर कोई हैरान रह गया था जब नंदलाल नाम के शख्स को कांग्रेस ने रामपुर से टिकट दे दिया था। नंदलाल दिल्ली में उस समय की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की सिक्यॉरिटी टीम में थे। इस तरह से कथित पैराशूट प्रत्याशी के कारण सिंघी राम पार्टी में उपेक्षित हो गए। उधर नंदलाल बाद में 2012 और 2017 में फिर जीतकर विधानसभा पहुंचे। सिंघी राम 2017 में निर्दलीय चुनाव लड़े मगर उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

मार्कशीट केस
सिंघी राम 2008 में उस समय चर्चा में आए थे जब उनके ऊपर अपनी बेटी की फर्जी मार्कशीट बनवाने का आरोप लगा। बीआर राही जब स्कूल शिक्षा बोर्ड में अध्यक्ष थे तो रामपुर से विधायक और उस समय के बागवानी मंत्री सिंघी राम की बेटी के नाम जमा दो का फर्जी सर्टिफिकेट तैयार होने की बात सामने आई।

सिंघी राम पर आरोप लगा कि उन्होंने 2005 में तत्कालीन बोर्ड अध्यक्ष बीआर राही व उपसचिव एसके मल्होत्रा की मदद से बेटी को दिल्ली के एक कॉलेज में दाखिला दिलवाने के लिए जाली मार्कशीट ली थी। यह मामला प्रदेश विजिलेंस के पास वर्ष 2008 में आया था। उस समय जांच में पाया गया था कि सिंघी राम की बेटी ने सनावर स्कूल कसौली से सीबीएसई बोर्ड से दस जमा दो की परीक्षा दी थी, लेकिन वह उत्तीर्ण नहीं हुई थीं।

विजिलेंस के मुताबिक इसके बाद दिल्ली के एक कॉलेज में उसने प्रदेश स्कूल बोर्ड की एक मार्कशीट की मदद से दाखिला लिया था। इसमें उसे 500 में से 446 अंक दर्शाए गए थे जबकि उस समय बोर्ड की परीक्षा में प्रथम आए छात्र के ही 82 फीसद अंक थे। जांच में प्रमाणपत्र में दर्शाए गए रोल नंबर को भी सही नहीं पाया गया था। इस मामले में जांच करते हुए विजिलेंस ने 11 मार्च 2008 को उक्त आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। आईपीसी की धारा 420, 468, 471 और 120 बी लगाई गई थी।

सिंघी राम के बीजेपी में शामिल होते ही शिमला रूरल के एमएलए और पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य ने कहा कि सिंघी राम कांग्रेस के सदस्य ही नहीं थे और उनका बीजेपी में जाना कोई मायने नहीं रखता। उन्होंने सिंघी राम की बेटी की फर्जी मार्कशीट का मामला भी उठाया मगर यहां जानकारी देना जरूरी है कि भले ही सिंघी राम पर कांग्रेस ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में कार्रवाई की थी मगर वीरभद्र सरकार ने ही उन्हें मार्कशीट मामले में राहत देने की कोशिश की थी।

श्री सिंघी राम , कांग्रिस के प्राथमिक सदस्य भी नहीं है , 2017 मैं निर्दलीय चुनाव लड़ने वह अपनी बेटी के लिए फ़र्ज़ी…

Vikramaditya Singh ಅವರಿಂದ ಈ ದಿನದಂದು ಪೋಸ್ಟ್ ಮಾಡಲಾಗಿದೆ ಶನಿವಾರ, ಏಪ್ರಿಲ್ 27, 2019

वीरभद्र सरकार ने वापस लेने चाहे केस
वीरभद्र बेशक सिंघी राम से नाराज थे मगर साल 2014 में उनकी सरकार के दौरान सिंघी राम और राही पर चल रहे केसों को वापस लेने की कोशिश हुई थी मगर कोर्ट ने सरकार की अपील को खारिज कर दिया था। चार आरोपियों पर दर्ज केस को करीब 6 साल बाद एडवांस स्टेज पर वापस लिया जा रहा था।

प्रदेश सरकार ने सरकारी वकील के माध्यम से अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 321 के तहत इस मामले को वापस लेने के लिए अदालत में याचिका दायर की थी। सरकारी वकील ने कोर्ट में सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि यह मामला अधिक मजबूत नहीं है तथा सरकार इसे वापस लेना चाहती है लेकिन कोर्ट ने इस अपील को खारिज कर दिया था और बाद की तारीख़ दे दी थी।

बीजेपी ने किया था विरोध
जिस दौरान वीरभद्र सरकार सिंघी राम वाले केस वापस लेने की कोशिश कर रही थी, भारतीय जनता पार्टी इसके सख्त खिलाफ थी। उस समय भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती ने कहा था, “कांग्रेस सरकार के मुखिया पर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं। ऐसे राज्य में भ्रष्टाचारियों को संरक्षण मिलने की संभावना प्रबल हो जाती हैं। कांग्रेस सरकार के पूर्व मंत्री सिंघी राम से जुडे़ मामले को वापस लेना इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है।”
उस समय सतपाल सत्ती ने किया विरोध
और तो और, इसी साल फरवरी में हिमाचल सरकार की ओर से सिंघी राम की पूर्व विधायक पेंशन से 76 हजार रुपये रिकवर किए जाने के आदेश जारी किए गए थे। यह रकम उनके मंत्री रहते किए गए सरकारी दौरे की थी, जिसकी रिकवरी नहीं हो पाई थी। मगर अब बीजेपी के लिए सिंघी राम दागी नहीं रहे। मुख्यमंत्री और मंत्रियों का कहना है कि यह कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है और इससे बीजेपी को फायदा होगा।
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