शिमला।। कंडक्टर भर्ती मामले में हिमाचल प्रदेश पुलिस को कोर्ट से झटका मिला है। शिमला पुलिस ने डिस्ट्रिक्ट कोर्ट से आग्रह किया था कि यह मामला पूरे राज्य से जुड़ा हुआ है और यह प्रिवेंशन ऑफ करप्शन ऐक्ट का केस है, ऐसे में इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी इसकी जांच नहीं कर सकते। मगर कोर्ट ने सोमवार को पुलिस की दलीलों को खारिज कर दिया।
मामला साल 2003-2004 में TMPA (कंडक्टरों) की भर्ती में नियमों को ताक पर रखने का है। इसमें कोर्ट ने पुलिस को उस वक्त के HRTC अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए कहा था। पुलिस ने कोर्ट से अपने फैसले पर विचार करने की अपील की थी मगर इसे खारिज कर दिया गया है।
इसी महीने अदालत ने शिमला पुलिस को साल 2003-04 में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हिमाचल पथ परिवहन निगम में हुई 378 ट्रांसपोर्ट मल्टीपर्पज असिस्टेंट (कंडक्टर) की भर्ती में तत्कालीन एमडी समेत पांच अधिकारियों पर मुकदमा करने के आदेश दिए थे। कंडक्टर भर्ती के चार साल बाद इस कथित गड़बड़ी की शिकायत तत्कालीन बीजेपी सरकार के कार्यकाल में 2007 में हुई थी। अब तक इस मामले में विजिलेंस दो बार जांच कर चुकी है।
विजिलेंस जांच में ये बातें आई थीं सामने
विजिलेंस जांच में पता चला कि भर्ती के लिए निगम ने विज्ञापन तो 300 पदों का दिया मगर चयन 378 का कर लिया। अकेले धर्मशाला डिवीजन से ही 147 का चयन हुआ और इनमें 73 लोग तत्कालीन परिवहन मंत्री जी.एस. बाली के विधानसभा क्षेत्र नगरोटा बगवां से और 32 तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की विधानसभा सीट रोहड़ू से थे। आरोप है कि भर्ती में डिविजन स्तर पर कोई भी मेरिट नहीं बनी और यहां तक कि भर्ती के दस्तावेजों में जमकर कटिंग और ओवर राइटिंग की गई थी।