शिमला।। उद्घाटनों और शिलान्यासों की पट्टिकाओं में नाम को लेकर जन प्रतिनिधियों और नेताओं के बीच राजनीतिक खींचतान नई बात नहीं है। प्रदेश में एक बार फिर यह मुद्दा उछला है। काँग्रेस का आरोप है कि जयराम सरकार चुने हुए जनप्रतिनिधियों को नज़रअंदाज़ कर रही है।
कांग्रेस का कहना है कि इन पट्टिकाओं में विपक्ष के विधायकों का नाम नहीं लिखा जा रहा, जबकि बोर्डों और निगमों के अध्यक्षों और उपाध्यक्षों आदि का नाम लिखा जा रहा है। यह मुद्दा शिमला ग्रामीण से कांग्रेस के विधायक विक्रमादित्य सिंह ने भी उठाया था।
पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य ने फेसबुक पर एक वीडियो डालकर लिखा था, “भाजपा सरकार द्वारा हमारा नाम शिलान्यास पट्टिका पर नहीं लिखवाया, हमें फ़र्क़ नहीं पड़ता। हमारा लक्ष्य तो हमारा नाम जनता के दिल में बसाना है जो हम श्री वीरभद्र सिंह जी के पदचिह्नों पर चलकर हासिल करने का पूर्ण प्रयास कर रहे है।”
भाजपा सरकार द्वारा हमारा नाम शिलान्यास पट्टिका पर नहीं लिखवाया, हमें फ़र्क़ नहीं पड़ता ।हमारा लक्ष्य तो हमारा नाम जनता…
Vikramaditya Singh ಅವರಿಂದ ಈ ದಿನದಂದು ಪೋಸ್ಟ್ ಮಾಡಲಾಗಿದೆ ಮಂಗಳವಾರ, ಡಿಸೆಂಬರ್ 18, 2018
हालांकि मज़ेदार बात यह है कि विक्रमादित्य सिंह खुद इस बात के साक्षी रहे हैं कि उनके पिता के सीएम रहते बीजेपी के विधायकों के साथ भी ऐसा ही हुआ था। दरअसल विक्रमादित्य और उनके पिता की ही 2015 की एक तस्वीर सामने आई है, जिसमें मौजूदा सीएम और सिराज के तत्कालीन विधायक जयराम ठाकुर के इलाके में एक उद्घाटन हो रहा है। इसमें तत्कालीन सीएम वीरभद्र के साथ उनके बेटे (जो उस समय चुने हुए प्रतिनिधि नहीं थे) भी खड़े हैं। इसमें सामने की पट्टिका में सीएम का नाम है, मिल्क फेडरेशन के तत्कालीन अध्यक्ष चेतराम का नाम है मगर स्थानीय विधायक जयराम ठाकुर का नाम नहीं है।
ऐसा ही वीरभद्र ने अक्टूबर 2015 में चुवाड़ी में एक भवन के लोकार्पण के दौरान किया था। इसमें बीजेपी के स्थानीय विधायक विक्रम सिंह जरयाल का नाम तो नहीं है मगर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष का नाम ज़रूर है।
खास बात यह है कि ये और ऐसी कई सारी तस्वीरें वीरभद्र सिंह के फेसबुक पेज पर ही अपलोड हुई हैं। ऐसे में विक्रमादित्य और कांग्रेस का विक्टिम कार्ड खेलना उल्टा पड़ता नज़र आ रहा है। सोशल मीडिया पर चर्चा जारी है कि कांग्रेस और शिमला रूरल के विधायक आदि बीजेपी सरकार पर जिस बात का आरोप लगा रहे रहे हैं, सत्ता में रहने पर वो खुद भी वही करते थे।