ऑपरेशन क्लीन: नोएडा में 120 अवैध बसें जब्त, हिमाचल कब जगेगा?

इन हिमाचल डेस्क।। देश की राजधानी दिल्ली से सटे यूपी के नोएडा और ग्रेटर नोएडा पुलिस ने ‘ऑपरेशन क्लीन’ के तहत यमुना एक्स्प्रेस वे पर दौड़ने वालीं 150 बसों को सीज किया है। आरोप है कि ये बसें बिना परमिट दौड़ रही थीं। ये बसें दिल्ली से लखनऊ, गोरखपुर, आजमगढ़, बनारस और पटना तक जाती थीं। इनमें एसी और स्लीपर बसें शामिल हैं।

सुबह पांच से नौ बजे तक चले अभियान के तहत इन्हें सीज किया गया है। जिन बसों के पास कागज नहीं मिले, उन्हें सीज ही कर लिया गया। बता दें कि इससे पहले ऑपरेशन क्लीन के पिछले चरण के तहत यूपी पुलिस ने इसी इलाके में 1174 ऑटो सीज किए थे। नीचे देखें, बसें जब्त होने के बाद नारेबाजी करते ऑपरेटर।

हिमाचल में भी अवैध बसें
गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश भी इसी तरह बिना परमिट दौड़ रही वॉल्वो और एसी बसों से जूझ रहा है। ये बसें यात्रियों को दिल्ली से मनाली, धर्मशाला और शिमला जैसी जगहों को लाती हैं। इन बसों के पास सिर्फ ग्रुप्स को टूर पर ले जाने का परमिट है मगर बुकिंग ऐप्स के माध्यम से ये रोज फिक्स रूट पर चल रही हैं और हरियाणा, पंजाब व हिमाचल को चूना लगा रही हैं। द द्रिब्यून की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल तक हिमाचल से 200 निजी बसें दिल्ली तक जा रही थीं मगर 70 ही हरियाणा में टैक्स दे रही थीं।

यही नहीं, इससे हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम के दिल्ली से चलने वाले लग्जरी बसों के रूट भी प्रभावित हो रहे हैं। चूंकि बिना परमिट वाली ये बसें टैक्स नहीं देतीं, इसलिए इनका किराया एचआरटीसी की बसों से लगभग आधा है। ऐसे में कौन यात्री चाहेगा कि ज्यादा पैसे दे। इसलिए हिमाचल के लोग और पर्यटक इन बसों से ही यात्रा करना ठीक समझते हैं। कैसे ये बसें एचआरटीसी को चूना लगा रही हैं, इसे पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

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बेबस सरकारें
यह समस्या नई नहीं है कि पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान भी यह मामला उठा था। एक बार तत्कालीन परिवहन मंत्री सुबह-सुबह सड़कों पर भी उतरे थे मगर कुछ दिन बाद हालात वही हो गए थे। नई सरकार आने के बाद इस समस्या पर लगाम लगाए जाने की उम्मीद जगी थी मगर हालात सुधरे नहीं हैं। यहां तक कि पिछले दिनों ऐसी बात भी सामने आई थी कि हिमाचल में चलने वाली बिना परमिट वाली इन बहुत सी बसों को पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के परिवार की कंपनियों ने खरीद लिया था।

पिछले साल मार्च में खबर आई थी कि बादलों ने जो कंपनियां खरीद ली हैं या खरीदने जा रहे हैं, वे इस तरह से हैं- लक्षमी होलीडेज़, लीओ ट्रैवल्स, नॉदर्न ट्रैवल्स, अप्सरा ट्रैवल्स और तनिष्क ट्रैवल्स। इन कंपनियों को बादल की कंपनी मेट्रो ईको ग्रीन रिजॉर्ट्स खरीद रही है जिसमें सुखबीर सिंह बादल और उनकी पत्नी और केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर शेयरहोल्डर हैं। इसका जिक्र इन्होंने अपने चुनावी हलफनामे में भी किया था।

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पॉलिसी क्यों नहीं?
सवाल यह भी उठता है कि जब सरकार और परिवहन विभाग इतनी बड़ी भीमकाय बसों को नहीं रोक सकता तो कैसे वह हिमाचल प्रदेश चिट्टे या अन्य नशीली चीजों की तस्करी रोक पाएगा? और अगर सरकार को लगता है कि वह अक्षम है और इन बसों के गोरखधंधे को नहीं रोक सकती या ऐसा करने से टूरिजम प्रभावित होगा तो वह कोई टैक्स सिस्टम या ऐसी पॉलिसी क्यों नहीं लाती जिसके तहत इन बसों से टैक्स लिया जा सके। ऐसा करने पर प्रदेश को राजस्व भी मिलेगा और एचआरटीसी को हो रहे घाटे की भरपाई भी।

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