नई दिल्ली।।
करगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना की हिरासत में बेरहमी से मारे गए शहीद कैप्टन सौरभ कालिया के मामले को मोदी सरकार भी इंटरनैशनल कोर्ट में नहीं ले जाएगी । इससे पहले यूपीए सरकार ने भी कहा था कि इस मामले को इंटरनैशनल कोर्ट में ले जाना संभव नहीं है। वह भी तब, जब एक विडियो में पाकिस्तानी सैनिक खुलेआम अपनी करतूत को स्वीकार करते दिख रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में रहने वाले शहीद कालिया के पिता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर इस मामले को इंटरनैशनल कोर्ट में ले जाने की मांग की थी। कोर्ट ने इस बारे में मोदी सरकार से हलफनामा मांगा है, जिसे 25 अगस्त तक दाखिल करना होगा।
शहीद कैप्टन सौरभ कालिया |
4 जाट रेजिमेंट के कैप्टन सौरभ कालिया और 5 अन्य जवानों- अर्जुन राम, भंवर लाल बागड़िया, भिक्खा राम, मूला राम और नरेश सिंह 15 मई, 1999 को करगिल के काकसर सब-सेक्टर में लापता हो गए थे। अगले महीने 9 जून को पाकिस्तान ने उनके बुरी तरह से क्षत-विक्षत शव भारत को लौटाए थे। सौरभ कालिया के शव की स्थिति को देखने के बाद पूरे देश में आक्रोश की लहर फैल गई थी और इसे युद्धबंदियों को लेकर जिनीवा संधि का उल्लंघन बताया गया था।
एक साल पहले एक पाकिस्तानी सैनिक का विडियो भी यू-ट्यूब पर आया था, जिसमें वह कह रहा था कि करगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेना के एक अधिकारी को यातना देने के बाद उसकी हत्या कर दी गई थी। उसने बाकायदा सौरभ कालिया का नाम भी लिया था।
शहीद सौरभ कालिया के पिता डॉक्टर एन.के. कालिया पिछले 16 सालों से अपने बेटे को इंसाफ दिलाने के लिए सरकारों से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में गुहार लगा चुके हैं। डॉ एन.के. कालिया का कहना है, ‘मुझे उम्मीद थी कि बीजेपी सरकार ज्यादा राष्ट्रभक्त होगी। लेकिन, दुखद है कि केंद्र में सत्ता परिवर्तन के बाद सरकार का रुख नहीं बदला है।’