नई दिल्ली।।
रेल बजट ने भले ही हिमाचल प्रदेश को निराश किया हो, मगर आम बजट से अच्छी खबर आई है। हिमाचल प्रदेश के लिए बहुप्रतीक्षित एम्स की घोषणा कर दी गई है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 5 राज्यों में एम्स बनाने की घोषणा की है, जिनमें हिमाचल भी शामिल है।
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लोकसभा में बजट 2015-16 पेश करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने तमिलनाडु, असम, पंजाब, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में एम्स का ऐलान किया। गौरतलब है कि इससे पहले स्वास्थ्य मंत्रालय ने 11 राज्यों को लेटर भेजकर संभावित एम्स के लिए जमीन तलाश करके जवाब देने के लिए कहा था, जिनमें हिमाचल प्रदेश भी शामिल था।
जे.पी. नड्डा की अहम भूमिका?
चर्चा है कि हिमाचल प्रदेश को एम्स मंजूर करवाए जाने में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा का अहम योगदान रहा है। दरअसल जून में जब मोदी सरकार बनी थी, तब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 11 राज्यों को चिट्ठी लिखकर कहा था कि वे अपने यहां एम्स जैसे संस्थान के निर्माण के लिए 200 एकड़ जमीन तलाश करें। इन 11 में से सिर्फ 5 राज्यों को ही एम्स दिया गया है, जिनमें हिमाचल भी शामिल है।
माना जा रहा है कि डॉ. हर्षवर्धन के बाद जब जे.पी. नड्डा स्वास्थ्य मंत्री बने, उन्होंने इस मामले को गंभीरता से लिया। हिमाचल प्रदेश सरकार चाह रही थी कि टांडा मेडिकल कॉलेज को ही एम्स में बदल दिया जाए। केंद्र ने इस सुझाव को खारिज कर दिया था और कहा था कि बात नए संस्थान की हो रही है, न कि किसी संस्थान को अपग्रेड करनी की।
हिमाचल सरकार के ढुलमुल रवैये की वजह से एम्स का मामला खटाई में पड़ता नजर आ रहा था। आशंका यह भी पैदा हो गई थी कि कहीं जमीन चयन को लेकर रस्साकशी की वजह से हालात सेंट्रल यूनिवर्सिटी की तरह न हो जाएं। सूत्रों का कहना है कि नड्डा ने खुद मोर्चा संभाला और मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह बात करके तुरंत जगह चुनने को कहा।
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कहां बनेगा एम्स?
हिमाचल सरकार ने बिलासपुर के साथ लगते कोठीपुरा इलाके में एम्स के लिए जमीन कर लिया है। 200 एकड़ की यह जमीन पशुपालन और वन विभाग के अधीन है, जिसे जल्द ही एम्स के लिए दे दिया जाएगा। हिमाचल सरकार ने इस भूमि पर उगे खैर के पेड़ों के कटान के लिए भी केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी के लिए आवेदन कर दिया है।
क्या हैं AIIMS के मायने?
एम्स देश के सबसे प्रतिष्ठित मेडिकल संस्थानों में से एक है। अपनी-अपनी फील्ड के माहिर डॉक्टर, बेहतरीन और लेटेस्ट स्वास्थ्य सुविधाएं ही एम्स को बाकी संस्थानों से अलग बनाती हैं। यहां पर गरीब से गरीब शख्स भी अच्छी मेडिकल हेल्प पा सकता है और वह भी दुनिया के टॉप डॉक्टर्स से। एम्स की छवि देश में ऐसे संस्थान के रूप में है, जहां पर लोग तब जाते हैं, जब वे सब जगहों से हार मान चुके होते हैं।
हिमाचल प्रदेश की जनता को अभी तक पीजीआई चंडीगढ़ या अन्य जगहों का रुख करना पड़ता है। एम्स के बन जाने से जहां यह समस्या खत्म होगी, वहीं आसपास के अन्य राज्यों से भी लोग यहां का रुख करेंगे। एक बड़ा संस्थान खुलने से आसपास इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेलप होता है और लोगों को रोजगार भी मिलता है। मेडिकल टूरिजम को भी बढ़ावा मिलेगा। कुल-मिलाकर एम्स जैसे टॉप मेडिकल इंस्टिट्यूट का प्रदेश में खुलना हर हाल में फायदेमंद है।