AIIMS करप्शन मामले में नड्डा को दिल्ली हाई कोर्ट का नोटिस

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नई दिल्ली।।

दिल्ली हाईकोर्ट ने एम्स में अनियमितता तथा भ्रष्टाचार के विभिन्न मामलों की सीबीआई से जांच कराने के लिए दायर एक याचिका पर बुधवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्री जे.पी.नड्डा तथा एम्स को नोटिस जारी किया।

न्यायालय ने देश के इस प्रतिष्ठित अस्पताल में अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के मामलों की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो से कराने की मांग करने वाली याचिका की सुनवाई करते हुए ये नोटिस जारी किए हैं। अस्पताल में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के इन मामलों को एम्स के पूर्व सतर्कता अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने उठाया था। मुख्य न्यायाधीश जी.रोहिणी और आर.एस.एंडलॉ ने केंद्रीय सतर्कता आयोग और संजीव चतुर्वेदी को भी नोटिस जारी कर उनसे 22 अप्रेल तक जवाब मांगा है।

गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) सेंटर फॉर पब्लिक लिटिगेशन (सीपीआईएल) की तरफ से वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण, जो कि आम आदमी पार्टी के सदस्य भी हैं, ने याचिका दायर कर उन सभी मामलों की नए सिरे से जांच कराने की मांग की है, जिन्हें चतुर्वेदी ने उन्हें पद से हटाए जाने से पहले शुरू किया था। चतुर्वेदी को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्द्धन ने पिछले अगस्त महीने में एम्स के मुख्य सतर्कता अधिकारी के पद से हटा दिया था।

याचिका में कहा गया है कि चतुर्वेदी ने भ्रष्टाचार के मामले में कार्रवाई शुरू की थी। उन्होंने एक निजी दवा दुकान द्वारा संदिग्ध दवाइयों की आपूर्ति, प्रभावशाली राजनीतिक संबंधों, नकली आउट पेसेंट डिपार्टमेंट (ओपीडी) कार्ड बनाने में मध्यस्थों की भूमिका से संबंधित भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई शुरू की थी।

याचिका में यह मांग भी की गई है कि नड्डा ने सभी मामलों से और एक अनुशासनात्मक अधिकारी के रूप में काम करने से खुद को दूर रखें। उन पर यह आरोप लगाया गया है कि उनके पास इतनी सारी शक्तियां हैं कि वे भ्रष्टाचार के सभी मामलों में कार्रवाई को प्रभावित कर सकते हैं।

भूषण ने यह आरोप लगाया कि नड्डा ने नवगठित सतर्कता प्रशासन को भंग करने में सक्रिय भूमिका निभाई और मई 2013 से जून 2014 के बीच विभिन्न केंद्रीय मंत्रियों को कई पत्र लिख कर चतुर्वेदी की तरफ से शुरू जांच को रोका। इससे पहले, महीने की शुरूआत में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार को पत्र लिख कर चतुर्वेदी को एम्स के उपसचिव के पद से मुक्त करने की अपील की थी।

सतर्कता अधिकारी के रूप में अपने दो वर्षो के कार्यकाल के दौरान चतुर्वेदी ने 150 से अधिक जांच की है, जिसमें कई अधिकारियों पर आरोप दर्ज कर उन्हें दंडित किया गया है। वह भ्रष्टाचार के कई मामलों की जांच कर रहे थे। पिछले साल आप सहित एम्स के 200 शिक्षकों, शोधकर्ताओं, वैज्ञानिकों ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था और यह मांग की थी कि चतुर्वेदी को फिर से संस्थान का मुख्य सतर्कता अधिकारी बनाया जाए।