खतरे में है हिमाचल प्रदेश में सेब का कारोबार

शिमला।।
हिमाचल प्रदेश में सेब का कारोबार खतरे में है। सरकारों की अनदेखी की वजह से प्रदेश की ऐपल इंडस्ट्री बदहाली के दौर से गुजर रही है। दरअसल सेबों के व्यापारी हिमाचल प्रदेश के बागान मालिकों से सेब खरीदने के बजाय विदेशों से सस्ता सेब इंपोर्ट कर रहे हैं।
 
 
हिमाचल की 2500 करोड़ रुपये की सेब इंडस्ट्री प्रदेश की जीडीपी में 6% से ज्यादा का योगदान देती है। मगर अब फलों के कारोबारी विदेशों से सस्ते सेबों का आयात करवा रहे हैं। इस वजह से हिमाचल के ऐपल बर्बाद हो रहे हैं। बागवानों को सेबों के जो दाम पहले मिलते थे, अब उन्हें उतनी कीमत नहीं मिल रही। उनके पास दो ही ऑप्शन हैं- सेबों को या तो सस्ते में बेच दो या फिर उन्हें यूं ही सड़ने दो। ऐसे में उन्हें कम दाम में सौदा करना पड़ रहा है।



एक इंग्लिश न्यूज पेपर में छपी रिपोर्ट के मुताबिक कई सारे युवाओं ने मल्टिनैशनल कंपनियों की जॉब छोड़ दी थी, ताकि वे घर आकर सेब का कारोबार संभाल सकें। मगर अब उन्हें पछतावा हो रहा है। अगर जल्द ही सेब को लेकर कोई साफ पॉलिसी नहीं बनाई गई, तो हिमाचल का सेब कारोबार दम तोड़ सकता है। यह बात प्रदेश की इकॉनमी के लिए भी अच्छी नहीं होगी। 


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रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही सरकारें इस हाल के लिए दोषी हैं। अगर वक्त रहते नीतियों में बदलाव किए होते तो आज ऐपल इंडस्ट्री की ऐसी हालत न होती। जरूरी है कि बागवानों को ऐपल की नई और प्रचलित किस्मों की पैदावार करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। इसके लिए सरकार को बागवानों की मदद भी करनी चाहिए, लेकिन फिलहाल ऐसा होता दिख नहीं रहा।

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