इन हिमाचल डेस्क।। इन दिनों वॉट्सऐप पर हिमाचल प्रदेश के एक बच्चे का वीडियो शेयर किया जा रहा है, जिसमें वह गलत पहाड़े (TABLE) पढ़ रहा है। उसे न तो 2 का टेबल आता है और न ही 10 का। हिमाचल के ही किसी शख्स ने इस वीडियो को बनाया है, जिसमे बच्चा बोल रहा है कि वह 10वीं तक पढ़ा है। व्यंग्य करते हुए आखिर में वीडियो वाला कहता है कि आपको तो टेस्ट के लिए अप्लाई करना चाहिए था, सरकारी नौकरी लग जाती।
हो सकता है कि आपके पास भी यह वीडियो आया हो और आप हंसे भी हों और इसे आगे बढ़ा दिया हो। मगर यह वीडियो हंसने और मज़ाक उड़ाने के लिए आगे बढ़ा देने की चीज़ नहीं है। यह वीडियो सोचने के लिए मजबूर करने वाला है। इस वीडियो में बच्चे की स्थिति जहां हमारी शिक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान लगाती है, इसे शेयर करके सिर्फ मजे लेना हमारे समाज की संवेदनहीनता को भी दिखाती है।
वीडियो में बच्चा खुद को मंडी के एक सरकारी स्कूल से दसवीं तक पढ़ा हुआ बताता है। हमने बच्चे का चेहरा और उसके स्कूल का नाम छिपा दिया है ताकि उसकी पहचान जाहिर न हो। ऐसा करना इसलिए जरूरी है क्योंकि बच्चे की इसमें कोई गलती नहीं है और इस तरह से सोशल मीडिया पर शर्मिंदा करना उसे डिप्रेशन में डाल सकता है। साथ ही एक बच्चे की वजह से स्कूल पर ही सवाल उठा देना ठीक नहीं। पहले आप वीडियो देखें:
बच्चा अगर बुनियादी सी चीज़ नहीं जानता कि 6×10=60 होते हैं न कि 40 तो यह चिंता की बात है। अगर वह 10वीं तक पहुंच गया इस बात को जानते हुए भी तो यह पूरे एजुकेशन सिस्टम पर ही सवाल खड़े कर देता है। और चिंता वाजिब है कि अध्यापक कैसे रहे होंगे कि जो इस बच्चे पर ध्यान नहीं दे सके। मगर पहली बात तो यह कि इस वीडियो को किसने कहां पर बनाया है और बच्चा क्या करता है, इसके बारे में स्थिति स्पष्ट नहीं है। वैसे भी बच्चों को शुरू में पहाड़े रटाए जाते हैं तो उसके बजाय समझाया जाना चाहिए कि पहाड़े होते क्या है। अगर बच्चे को पता होता कि 10 का पहाड़ा यानी 10 x 6 है तो वह 60 ही कहता, न कि 40. वह उटपटांग इसलिए बोल रहा है क्योंकि उसने चीजें रटी हैं और रटने में चीजें आगे पीछे हो जाती हैं।
दूसरी बात यह है कि बच्चा तो बच्चा है, उसका क्या कसूर। सभी के समझने का स्तर अपना होता है। कोई जल्दी समझता है तो देर से। सभी का मानसिक स्तर एक सा नहीं होता। हमारे यहां पर मानसिक स्वास्थ्य को लेकर पहले ही बहुत अज्ञानता है। हो सकता है बच्चा डिफ्रेंटली एबल्ड हो, उसकी समझ का विकास न हो पाया हो। ऐसे में बिना उसकी बैकग्राउंड जाने उसकी खिल्ली उड़ाना सही नहीं है।
बच्चा भोला भी है क्योंकि उसे नहीं पता कि वह सही बोल रहा या गलत, बस वह बोलता जा रहा है। जब उसपर व्यंग्य किया जाता है कि तुम्हें तो सरकारी नौकरी में होना चाहिए तो उसे वह समझ नहीं पाता और यस सर बोलता है मुस्कुराते हुए। इसलिए ‘In Himachal’ की गुजारिश है कि जब कहीं कुछ ऐसा देखें तो सिर्फ वीडियो बनाने के लिए वीडियो न डालें। क्योंकि इससे हो सकता है कि आपकी मंशा अच्छी हो, मगर लोगों का नुकसान हो सकता है।
सोचिए, क्या हो जब इस बच्चे को पता चले कि उसकी खिल्ली उड़ाई जा रही है। बेचारा परेशान होकर तनाव में आ जाएगा। ऐसी कई घटनाएं घट चुकी हैं जब सोशल मीडिया पर शेमिंग के चलते बच्चों ने ग़लत कदम तक उठा लिए हैं। इसलिए थोड़ी जिम्मेदारी बरतें। बच्चों के मामले में ही नहीं, बड़ों के मामले में भी।