खली की कंपनी के रेसलिंग शो के चक्कर में बुरी फंसी सरकार

शिमला।। हिमाचल प्रदेश सरकार में खेल मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने ऐलान किया था कि मंडी और सोलन में खली की  कंपनी CWE (जी हां, WWE नहीं) की तरफ से रेसलिंग का आयोजन किया जाएगा ताकि खेलों को प्रोत्साहन दिया जाएगा। मगर सरकार के लिए ये आयोजन करना परेशानी का सबब बन गया है क्योंकि जिस तरह की रेसलिंग खली करते हैं, वह शेड्यूल गेमों की लिस्ट में शामिल ही नहीं।

बता दें कि इन हिमाचल ने उसी समय कहा था कि डब्ल्यूडब्ल्यूई की तर्ज पर होने वाली यह रेसलिंग खेल कम, परफॉर्मिंग आर्ट ज्यादा है, जिसमें ड्रामा का मिश्रण होता है। अगर यह खेल होता तो हिमाचल क्या, राष्ट्रीय स्तर पर भी इसके लिए अकादमी होती और ओलिंपिक जैसे आयोजनों में भी यह गेम होता। मगर यह विशुद्ध एंटरटेनमेंट है, जिसमें ऐथलेटिक्स दांव-पेंच शामिल हैं।< ‘खेल विभाग अन्य विभागों से मांग रहा पैसा’
अब चूंकि राज्य सरकार की शेड्यूल्ड गेम्स की लिस्ट में इस तरह की रेसलिंग (जिसे मीडिया WWE कह रहा है) नहीं है, ऐसे में खली की कंपनी के शो के लिए साढ़े 3 करोड़ रुपये जुटाना मुश्किल हो गया है। तथाकथित खिलाड़ियों (परफॉर्मर) को बुलाने के लिए यह रकम ली जानी है। मगर अब खबर आई है कि इस पैसे के जुगाड़ के लिए खेल विभाग के बजाय अन्य विभागों से मदद मांगी गई है (स्रोत)।

जानकारी सामने आई है कि अब खेल विभाग ने उद्योग विभाग, पर्यटन विभाग और राज्य बिजली बोर्ड से आर्थिक मदद की गुहार लगाई है और नॉन शेड्यूल गेम के लिए अन्य विभागों से पैसा लेने के लिए बैठकों का सिलसिला जारी होने की भी बात कही जा रही है।

बता दें कि पहले खेल मंत्री गोविंद ठाकुर ने खली से मुलाकात की थी और फिर मुख्यमंत्री जयराम भी उनसे जालंधर में मिले थे।

इन हिमाचल ने पहले भी उठाए थे सवाल
जब खेल मंत्री ने हिमाचल में इस तरह की रेसलिंग करवाने का ऐलान किया था, इन हिमाचल ने उसी दौरान लिखा था कि WWE कोई खेल नहीं बल्कि एक एंटरटेनमेंट कंपनी है, जो प्रोफेशनल रेसलिंग करवाती है। प्रोफेशनल रेसलिंग दरसअल ऐथलेटिक्स और नाटकीय प्रदर्शन का मिश्रण है। यानी यह सही है कि हम टीवी पर जो रेसलिंग देखते हैं, उसमें वे प्रतियोगी भाव से खेल रहे होते हैं, मगर स्टंट आदि नाटकीय होते हैं। जीत-हार आदि भी संदिग्ध रहता है। यानी आप घूंसा मारने का दिखावा करके छुआएंगे भर तो सामने वाला खुद ही उछलकर गिर जाएगा। इसी तर्ज पर खली ने CWE यानी कॉन्टिनेंटल रेसलिंग एंटरटेनमेंट की स्थापना की है और उनके पहलवानों के जो भी वीडियो सोशल मीडिया पर उपलब्ध हैं, उनमें WWE जैसी परफेक्शन भी नहीं है।

इन हिमाचल ने लिखा था कि प्रदेश सरकार अपने खर्च पर आयोजन करने जा रही है, बाहर से रेसलर भी बुलाने जा रही है तो प्रश्न उठता है कि इससे किस खेल को बढ़ावा मिला? जो खर्च इस आयोजन पर आएगा, वह क्या सिर्फ माहौल बनाने की कोशिश भर नहीं होगी? क्या हिमाचल के आम पहलवानों को भी इस आयोजन में खेलने का मौका मिलेगा और क्या कुश्ती सामान्य कुश्ती होगी या फिर ऐसे ही फर्जी स्टेज बनाकर WWE स्टाइल वाली नकली कुश्ती?

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खेल के नाम पर WWE वाला ड्रामा करवाएगी हिमाचल सरकार?

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