नई दिल्ली।। सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व सैनिक कोटे से नौकरी पाने वालों की सर्विस में सेना में की गई नौकरी के कार्यकाल जोड़कर वरिष्ठता में लाभ देने का नियम खारिज कर दिया है। अमर उजाला अखबार का कहना है कि इस तरह से सुप्रीम कोर्ट ने शिमला हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट के शुक्रवार को आए फैसले के बाद पूर्व सैनिक कोटे में वरिष्ठता लाभ केवल उन्हीं पूर्व सैनिकों को मिल सकता है, जिनकी भर्ती सेना में 1971 से हुई है।
यह फैसला हिमाचल सरकार के लिए भी राहत भरा माना जा रहा है। दरअसल कैबिनेट ने 5 अगस्त को लाभ समाप्त कर दिया था। मगर इसके बाद पूर्व सैनिकों के विरोध के चलते मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कैबिनेट के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक रोक दिया था।अब 1972 से लागू नियम 5 (1) में पूर्व सैनिक कोटे के तहत जॉइनिंग पर उनकी वरिष्ठता में सैन्य सेवाओं जोड़ने का देय प्रावधान समाप्त हो जाएगा।
गौरतलब है कि पहले होता यह था कि अगर कोई सेना से रिटायर होकर सरकार के किसी के विभाग में नियुक्त होता था, तब उसकी सर्विस में आर्मी में रहकर की गई सर्विस को जोड़कर वरिष्ठता में लाभ मिलता था। इससे उसका तो प्रमोशन हो जाता था मगर कई वर्षों से उसी विभाग में काम कर रहे अन्य कर्मचारी प्रमोशन से वंचित रह जाते थे। मगर अब ऐसा नहीं होगा।