जानें, अनुराग ठाकुर और प्रेम कुमार धूमल को कैसे मिली सुप्रीम कोर्ट से राहत

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शिमला।। सुप्रीम कोर्ट ने धर्मशाला में क्रिकेट स्टेडियम बनाने के लिए जमीन देने के मामले में हुई कथित अनियमितताओं को लेकर बीजेपी के सांसद अनुराग ठाकुर, उनके पिता और हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल व अन्य के खिलाफ दर्ज एफआईआर शुक्रवार को रद्द कर दी है। चूंकि हिमाचल प्रदेश सरकार ने इस मामले में अभियोग वापस लेने का फैसला किया था, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दर्ज एफ़आईआर को रद्द कर दिया।

गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश सरकार के वकील ने इससे पहले सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि कैबिनेट ने ‘राजनीति से प्रेरित मामलों को वापस लेने का फैसला किया है।’ गौरतलब है कि अनुराग, प्रेम कुमार धूमल और अन्य के खिलाफ यह मामला कांग्रेस सरकार के दौरान दर्ज हुआ था। इस बार सत्ता में आई भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने ‘राजनीति से प्रेरित’ मामलों को बंद करने का फैसला किया था, जिसमें यह मामला भी शामिल था।

क्या हुआ था सुप्रीम कोर्ट में
दरअसल HPCA और अनुराग ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर धर्मशाला की निचली अदालत में दायर चार्जशीट और मुकदमे को रद्द करने की मांग की थी. इस संबंध में हिमाचल सरकार के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि कैबिनेट ने सभी पॉलिटिकल मोटिवेटेड केस वापस लेने का फैसला किया है। इस पर कोर्ट ने हिमाचल सरकार से पूछा था कि क्या अनुराग ठाकुर का केस भी इस दायर में आता है। कोर्ट ने ये भी पूछा था कि अगर इस दायरे में है तो कैसे इस केस को वापस लिया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल सरकार से इस पर रुख साफ करने को कहा था। हिमाचल सरकार के वकील ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि वो सरकार से निर्देश लेकर आएंगे। इसके बाद हिमाचल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में 16 अप्रैल को इस संबंध में आदेश पेश कर दिया था कि सरकार ने उक्त केस में अभियोग वापस लेने का फैसला किया है।

‘सरकार के खिलाफ लड़े’ सरकार के वकील
दरअसल इस पूरे मामले में हिमाचल प्रदेश सरकार के वकील ही अनुराग ठाकुर को बचाने के लिए सरकार के खिलाफ लड़े थे। यह ऐसे कि चूंकि मामला कांग्रेस के शासन के दौरान सरकार की ओर से अनुराग के खिलाफ लड़ा जा रहा था, बाद में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद सरकार नरम हो गई। उच्चतम न्यायालय में राज्य सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता ने राज्य सरकार को एक पत्र लिखकर उसके ही ख़िलाफ़ हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन सहित चुनिन्दा मामलों में पेश होने की अनुमति मांगी थी।

इसके बाद हिमाचल प्रदेश की भाजपा सरकार ने सांसद अनुराग ठाकुर और एचपीसीए का बचाव करने के लिए अपने विधि अधिकारी को ‘विशेष मामले’ के रूप में अपने ही महाधिवक्ता के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में पेश होने की अनुमति दे दी थी। बाद में जब सरकार ने अभियोजन वापस ले लिया तो सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इस मामले में दर्ज एफआईआर भी रद्द कर दी।

इस मामले में अनुराग ठाकुर और प्रेम कुमार धूमल पर कांग्रेस सरकार के दौरान क्या आरोप लगे थे, यह जानने के लिए नीचे दिए गए 2016 के वे आर्टिकल पढ़ें जिनमें विजिलेंस और अन्य एजेंसियों की चार्जशीट में कही गई बातों का जिक्र है।

जानें, एचपीसीए मामले को लेकर अनुराग ठाकुर पर क्या हैं आरोप

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