नहीं लिया कोटरोपी से सबक, नजदीक से वीडियो बनाते रहे

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शिमला।। शिमला में ढली के पास हुए भूस्खलन में लोगों की जिंदगी नहीं गई, यह सुकून भरी खबर है। मगर वीडियो देखकर पता चलता है कि लोग भूस्खलन वाली जगह के कितने नजदीक खड़े हुए थे। एक वीडियो तो ऐसा भी है, जिसमें वीडियो बनाने वाला बाल-बाल बचता है। इससे पता चलता है कि लोग अभी भी सबक सीखने को तैयार नहीं हुई हैं। वे भूल गए कि कुदरत कितना विकराल रूप ले सकती है। कोटरोपी में पहले छोटे से हिस्से में ही पत्थर गिरने शुरू हुए थे। मगर बाद में एकाएक बहुत बड़ा हिस्सा धंस गया। इस मलबे की चपेट में वह नौजवान सैनिक भी आ गया था, जो कथित तौर पर अपनी बाइक से उतरकर भूस्खलन का वीडियो बनाने गया था। देखें:

जो लोग ढली में इस इलाके में न गए हों, वे समझ सकते हैं कि यह इलाका कैसा है। एकदम खड़ी पहाड़ी है और यहीं पर इक पहाड़ी को काटकर बाइपास निकाला गया है। खड़ी पहाड़ी में हुए कटान के कारण इसकी स्टेबिलिटी में कमी आई है और कई हिस्से ऐसे हैं जहां पर पहाड़ का वज़न सड़क के कटाव के ऊपर झूल रहा है। इस भूस्खलन को गौर से देखें तो अनुमान लगाया जा सकता है कि शुरुआत भले ही छोटे से हिस्से से हो, मगर जब पीछे की तरफ सपॉर्ट कम होती जाएगी तो जैसे चेन रिऐक्शन होता है, वैसे ही कच्ची पहाड़ी ढहती चली जाएगी।

साथ ही यहां पर डंगे लगाकर (रिटेनिंग वॉल बनाकर) सड़क बनाई गई है। ऐसे में ऊपर से मलबा गिरने पर वह दीवार भी ढह सकती थी और सड़क के दोनों छोरों पर खड़ी गाड़ियां तमाशवीनों के साथ मलबे में दफ्न हो जातीं। साथ ही नीचे गहरी खाई भी है। वीडियो में दिखता है कि कारें कैसे खिलौनों की तरह उड़कर खाई में गिरीं।

इससे पता चलता है कि लोग अपनी जिंदगी दांव पर लगाने से बाज़ नहीं आ रहे। साथ ही प्रशासन की तरफ से भी एक तरह से लापरवाही मानी जाती है कि उन जगहों को चिह्नित नहीं किया जा रहा, जहां भूस्खलन हो सकते हैं। वक्त रहते उन जगहों पर साइंटिफिक अप्रोच अपनाकर इंतज़ाम किए जाएं तो भूस्खलन से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।

साथ ही पाठकों से गुजारिश- कृपया वीडियो बनाने के चक्कर में न पड़ें, कहीं खतरा देखें तो सबसे पहले सुरक्षित जगह की तरफ भागें।