नूरपुर के विधायक ने कहा- अखबार पर होगा मानहानि का केस

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शिमला।। नूरपुर के विधायक राकेश पठानिया आज मीडिया के सामने आए और उन्होंने उस खबर को गलत और तथ्यों से परे करार दिया, जिसमें कहा गया था शवों को मुख्यमंत्री के इंतजार में अस्पताल में रोका गया था और रात को परिजनों को सौंपे गए शवों को वापस मंगवाया गया था।

राकेश पठानिया ने कहा कि अगर कोई यह साबित कर दे कि रात को एक भी शव सौंपा गया था और बाद में इन्हें घरों से मंगवाया गया था मैं अपने पद से इस्तीफा दे दूंगा। उन्होंने कहा कि अखबार के ऊपर मानहानि का दावा किया जाएगा और विधानसभा में भी प्रस्ताव लाया जाएगा। गौरतलब है कि एक अखबार ने दावा किया था कि मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के लिए शव रोके गए थे और कुछ को सौंप दिए जाने के बाद वापस भी मंगवाया गया था।

उन्होंने कहा कि पोस्टमॉर्टम के लिए दो डेड हाउस बनाए गए थे और सभी पोस्टमॉर्टम उसी दौरान हुए, जब परिजन अस्पताल परिसर में थे। उन्होंने कहा कि सारी प्रक्रिया पूरी होने तक 10 बज चुके थे और मुख्यमंत्री, सवा दस वहां पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री, विपक्ष के नेता और अन्य सभी नेता किसी कार्यक्रम के लिए नहीं, बल्कि अपनी मर्जी के से वहां पहुंचे थे।

पठानिया ने कहा कि सभी शव तभी परिजनों को दिए गए, जब उनके पोस्टमॉर्टम की प्रक्रिया पूरी हो गई। उन्होंने कहा कि अगर एक भी शव पहले दिया जाता तो बेचैन लोगों को गुस्सा भड़क सकता था। उन्होंने कहा कि मासूमों की मौत पर राजनीति करना सही नहीं है औऱ जो खबरें छपी हैं, वह दुख देने वाली हैं।

बता दें कि इस बीच एक शख्स का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वह बिलखते हुए कह रहे हैं कि उनके दो बच्चों के शव दिए जाने से यह कहते हुए इनकार किया जा रहा है कि मुख्यमंत्री आएंगे तब देंगे।

हालांकि इस वीडियो से यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि उनसे ऐसी बात किसने कही थी और उन्हें यह पता था या नहीं कि रात को पोस्टमॉर्टम हुए हैं या नहीं। क्योंकि प्रशासन का कहना है कि रात को पोस्टमॉर्टम नहीं हुए और सुबह साढ़े 7 बजे यह काम शुरू हुआ (पढ़ें)।

बहरहाल, इस वीडियो को लेकर भी राजनीति शुरू हो गई है। इस वीडियो को पिछली कांग्रेस सरकार द्वारा डेप्युटी एडवोकेट जनरल नियुक्त किए गए विनय शर्मा ने शेयर किया है और सरकार पर सवाल उठाए हैं। हालांकि उनकी पोस्ट को यह कहते हुए राजनीति से प्रेरित बताया जा रहा है कि वह कांग्रेस और वीरभद्र के पक्ष में और बीजेपी के विरोध में वीडियो और पोस्ट्स डालते रहे हैं। उन्होंने कोटरोपी हादसे को एक वीडियो में देवताओं का दंड बताया था यह कहते हुए कि गुड़िया केस में बीजेपी द्वारा हिमाचल को बदनाम किए जाने के दंड में देवताओं ने यह सजा दी है।