पहले से तय था जयराम का सीएम बनना मगर इसलिए हुई देर

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (File Photo)
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (File Photo)

शिमला।। जयराम ठाकुर के सीएम बनने की कहानी शुरू होती है उस समय से, जब हिमाचल प्रदेश में चुनाव प्रचार चल रहा था। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने जयराम ठाकुर के पक्ष में प्रचार करते समय जनता से कहा था- जयराम ठाकुर को सरकार में सबसे बड़ा पद दिया जाएगा। अमित शाह के शब्दों पर गौर फरमाते हुए ‘इन हिमाचल’ ने उस वक्त इस खबर को उठाया भी था। उस समय भले ही अमित शाह की बात का अर्थ स्पष्ट नहीं था, मगर अब स्थिति स्पष्ट हो गई है।

दरअसल बीजेपी कहीं न कहीं समझ गई थी कि प्रेम कुमार धूमल को कड़ी टक्कर मिल रही है। ऐसे में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने पहले ही प्लान बी तैयार रखा था कि अगर कहीं धूमल सीएम कैडिडेट घोषित किए जाने के बावजूद फायदा न उठा पाएं और हार जाएं तो नेतृत्व किसे सौंपा जाए। चूंकि पार्टी पहले ही स्पष्ट कर चुकी थी कि मुख्यमंत्री वही होगा जो चुनकर आएगा, ऐसे में प्लान बी के तहत अमित शाह ने तय कर लिया था कि जयराम ठाकुर ही धूमल के हारने की स्थिति में सीएम बनाए जाएंगे। दरअसल ठाकुर का अनुभव और वरिष्ठता इसके पीछे अहम वजह रही। इसी कारण अमित शाह के मुंह से वो बोल निकले थे, जिन्हें लोगों ने ये समझ लिया कि सरकार बनी तो धूमल के बाद दूसरे नंबर के मंत्री जयराम होंगे।

फिर संशय क्यों पैदा हुआ?
धूमल के हारने के बाद केंद्र से जब निर्मला सीतारमण और नरेंद्र तोमर पर्यवेक्षक बनकर पहुंचे तो दरअसल वे सारी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद जयराम ठाकुर के नाम का ऐलान करने आए थे। जयराम का सीएम बनना तो पहले से ही तय था। इसका पता उस तस्वीर से भी चलता है जिसमें निर्मला ने जयराम ठाकुर को अपने साथ वाली सीट पर बिठाया था, जबकि अन्य विधायक सभागार में मौजूद थे।

मगर संगठन का अनुभव न रखने वालीं सीतारमण उस समय हैरत में पड़ गईं जब पीटरहॉफ में नारेबाजी का माहौल देखा। धूमल समर्थकों ने जब केंद्रीय पर्यवेक्षकों के सामने नारेबाजी की तो उन्हें समझ नहीं आया कि ये लोग कौन हैं। मीडिया के एक हिस्से में कथित तौर पर खबरें प्लांट करवाई जा रही थीं कि 22-25 विधायक धूमल के पक्ष में हैं। पीटरहॉफ का माहौल ही ऐसा था कि विधायकों को न पहचानने वाले पर्यवेक्षकों को लगा कि विधायक ही हुल्लड़बाजी कर रहे हैं। ऐसे में उन्हें लगा कि ऐसे माहौल में जयराम का ऐलान कैसे किया जाए। इसी कारण पर्यवेक्षक बिना कोई ऐलान किए वापस लौट गए।

अमित शाह का प्लान
जब पर्यवेक्षकों ने दिल्ली रिपोर्ट दी तो अमित शाह ने योजना बनाई। इसके तहत जानबूझकर मीडिया को खबर लीक की गई कि जेपी नड्डा का नाम लगभग फाइनल हो रहा है। जैसे ही मीडिया में ये खबर आई, पीटरहॉफ में असमंजस का माहौल पैदा हो गया। पाला बदलते हुए कई कार्यकर्ताओं ने दिल्ली के लिए दौड़ लगा दी। जो विधायक धूमल के पक्ष में इस्तीफा देने की बात कर रहे थे, उनमें से कुछ भी दिल्ली स्थित नड्डा के आवास में देखे गए। इसी बीच पार्टी आलाकमान ने धूमल को सूचित किया कि जयराम ठाकुर सीएम होंगे और आप समर्थकों से कहिए कि शांत रहें। इसीलिए जिन धूमल ने कई दिनों की नारेबाजी और मीडिया में नाम आने के बावजूद कभी खंडन नहीं किया था कि मैं रेस में नहीं हूं, उन्हें बाकायदा प्रेस रिलीज जारी करनी पड़ी।

जैसे ही प्रेशर हटा, दिल्ली से टीम फिर पीटरहॉफ पहुंची और रविवार को जयराम ठाकुर के नाम का ऐलान कर दिया।

अगर पर्यवेक्षकों में भ्रम की स्थिति पैदा न होती तो जयराम ठाकुर की घोषणा पहले ही हो जाती। बहरहाल, खबर ये भी है कि जिस वक्त मंत्रियों के नाम पर चर्चा के लिए सीएम इलेक्ट और वरिष्ठ नेताओं को दिल्ली बुलाया गया है, वहीं धूमल को पीटरहॉफ में चले घटनाक्रम पर सफाई देने के लिए बुलाया गया है।

अब जाकर साफ हुआ है कि सीएम की रेस में तो कोई था ही नहीं। सभी लोग मीडिया के कयासों और उनके तथाकथित सूत्रों के कारण भ्रम की स्थिति में रहे।

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