इन बुजुर्ग से सीखें- अनार की बागवानी से कैसे कमा सकते हैं लाखों

कुल्लू।। भुंतर के बागवान होतम सिंह पाल को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने नवोन्मेषी किसान पुरस्कार 2018 से सम्मानित किया है। होतम सिंह पाल बागवानी के लिए विभिन्न मंचों से एक दर्जन से ज्यादा सम्मान हासिल कर चुके हैं। वैसे तो वह सेब, नाशपाती और आलूबुखारा की पैदावार में नई तकनीक इस्तेमाल करते हैं मगर उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि है- अनार की बंपर पैदावार और सफल कारोबार।

हिमाचल प्रदेश में जंगली जानवरों ने खेती और बागवानी करना मुश्किल कर दिया है। यह रोज का संघर्ष बन गया है कि खेतों में उगाई गई सामान्य फसलों को बचाने के लिए किसान दिन भर चौकीदारी करते रहते हैं। चौकीदारी ही करनी है अगर, तो क्यों न फलदार पौधों को पैदा करके उनकी चौकीदारी की जाए। ताकि सामान्य फसलों के मुकाबले मेहनत का फल भी अच्छा मिले। ऐसे में अगर आप अनार की बागवानी करना चाहते हैं तो कुल्लू के होतम सिंह पाल से सबक लिया जा सकता है।

अनार की पैदावार में बनाए रिकॉर्ड
पाल ने 1969 के दौर में अनार के कुछ पौधे रोपे थे। फिर अनार पैदा हुए तो ललक बढ़ी कि क्यों न अनार उत्पादन को ही बड़े स्तर पर बढ़ाया जाए। फिर वह आगे बढ़ते रहे और धीरे-धीरे करके अनार के पौधे रोपते रहे। अच्छी बात यह रही कि उन्होंने एक ही किस्म नहीं बल्कि कई किस्मों के अनार उगाए। इनमें गणेश, कांधारी और सिंदूरी जैसी किस्में शामिल थीं। आखिर में उन्होंने देखा कि अपने इलाके में सबसे कामयाब किस्म है कांधारी अनार की। उन्होंने इसी पर फोकस किया और कामयाबी के कीर्तिमान बनाते रहे।

कंधारी अनार उगाने में सफलता मिली

बागीचों में गुजारते हैं ज्यादा समय
शिक्षा विभाग में अफसर रहे एचएस पाल आज भी अपना ज्यादातर समय बागीचों में गुजारा करते हैं। बीते साल अनार की कीमतें काफी ऊंची रहीं। अक्टूबर महीने में वह अनार की फसलों को बाजार पहुंचाने में जुटे रहे। साल 1973 की बात है जब उन्होंने खुद अपने बागीचों में उगाए अनार को दशहरा उत्सव में बागवानी विभाग की ओर से लगाई प्रदर्शन में सजाया था। यहां उन्हें बेहतरीन पैदावार के लिए बागवानी विभाग की ओर से पहला पुरस्कार भी मिला था। अब तक वह अनार उत्पादन के लिए विभिन्न मंचों से 14 से ज्यादा बार पुरस्कृत हो चुके हैं।

लोगों के लिए बने प्रेरणास्रोत
पाल बताते हैं कि 1969 में जब उन्होंने अनार उगाए थे तो लोगों ने ध्यान नहीं दिया। मगर जब पौधों में फल लगने शुरू हुए तो अन्य लोगों ने भी आकर्षित होकर इस तरफ ध्यान दिया। अनार का उत्पादन और लोग भी करने लगे तो नजदीक ही सब्जी मंडियां खुलने से अनार को अच्छा बाजार मिल गया। फल आसानी से बिकने लगे और लोगों को और प्रोत्साहन मिला। आज कई लोग अनार उगाकर पैसा कमा रहे हैं।

क्या है उनकी सलाह
सेवानिवृति के बाद पाल भी अनार उगाकर अच्छी-खासी कमाई कर रहे हैं। उन्होंने यह सलाह भी दी कि बागवानी जैसे कामों में विशेषज्ञों से मदद जरूर लेनी चाहिए और हर साल लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मिट्टी का भी परीक्षण करवाना चाहिए। ऐसा नहीं कि मन किया तो देखा-देखी में कुछ भी उगाने लग गए। इस तरह की लापरवाही नुकसान भी करवा सकती है।

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