500 करोड़ रुपये का और कर्ज लेगी हिमाचल प्रदेश सरकार

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शिमला।। पहले  से ही चालीस हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के कर्ज के सागर में डूबी हिमाचल सरकार फिर से 500 करोड़ रुपए का कर्ज लेने जा रही है। मौजूदा वित्त वर्ष में सरकार की कर्ज उठाने की सीमा 3 हजार करोड़ रुपए है। इस तय सीमा के 50 फीसदी के कुछ ही कम तक हिमाचल सरकार कर्ज ले चुकी है। इनाडू इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक अब तक वीरभद्र सरकार 1300 करोड़ रुपए का कर्ज उठा चुकी है।

हिमाचल प्रदेश की माली हालत इस कदर खराब है कि खजाने का अधिकांश हिस्सा वेतन और पेंशन पर ही चला जाता है। संसाधनों की कमी झेल रहा हिमाचल पहले ही करीब 43 हजार करोड़ रुपए के कर्ज में है। कई दफा वित्तीय विशेषज्ञ ये बता चुके हैं कि अधिक कर्ज लेना राज्य सरकार को दिवालिएपन की तरफ धकेल सकता है। इतना ही नहीं ,कैग ने भी हिमाचल को कर्ज न लेने की चेतावनी दी है, लेकिन विकास कार्यों के लिए लगातार पैसे की कमी के कारण राज्य सरकार को बार-बार कर्ज लेना पड़ता है।

खबर के मुताबिक शुक्रवार को राज्य के वित्त विभाग ने कर्ज लेने संबंधी अधिसूचना जारी कर दी। कर्ज की रकम 12 जुलाई तक यह हिमाचल सरकार को मिल जाएगी। यह कर्ज 10 साल की अवधि के लिए लिया जा रहा है। ऐसे में जुलाई 2027 तक सरकार को ब्याज सहित इसे वापस लौटाना होगा। तर्क दिया जा रहा है कि ये लोन विकास कार्य को गति प्रदान करने के लिए लिया जा रहा है।

राज्य में सरकारी कर्मियों के वेतन और सेवानिवृत कर्मियों की पेंशन पर ही सरकारी खजाने का अधिकांश हिस्सा खर्च हो जाता है। पेंशन व वेतन तथा अन्य भत्तों का बिल ही करीब 13 हजार करोड़ रुपए सालाना का है। पेंशन पर करीब 44 सौ करोड़ रुपए और वेतन व भत्तों पर करीब 9 हजार करोड़ की रकम हर साल खर्च होती है। इसके अलावा सरकार को 4 हजार करोड़ सालाना अन्य प्रतिबद्ध देनदारियों के भुगतान पर खर्च करने पड़ते हैं।

हर साल देनदारियों, वेतन और भत्तों के साथ पेंशन के भुगतान के लिए सरकार को 17 हजार करोड़ की रकम चाहिए। इधर, हालात ये हैं कि प्रदेश के आर्थिक संसाधन इस कदर नहीं कि वह इन देनदारियों का भुगतान खुद वहन कर सके। हालांकि 14 वें वित्तायोग से प्रदेश को राजस्व घाटा अनुदान के तौर 46625 करोड़ की रकम 5 सालों में मिलनी है। मगर केंद्र ने इस राशि को जारी करने के साथ राजस्व घाटा कम करने और वित्तीय अनुशासन को अपनाने की शर्त भी लगाई है।

कर्ज लेने के बावजूद राज्य सरकार विकास कार्य के लिए 100 रुपए में से सिर्फ 40.86 रुपए ही खर्च कर पा रही है। कर्ज का बोझ राज्य पर इतना है कि इसको चुकाने के लिए 100 रुपए में से 10.43 रुपए ब्याज अदा करना होता है। इसके अलावा और 100 रुपए में से 6.84 रुपए कर्ज अदायगी पर व्यय करने पड़ रहे हैं। लगातार कर्ज उठाने तथा प्रदेश की वित्तीय स्थिति को देखते हुए राज्य के दिवालिएपन की तरफ जाने की आशंका है।