राजेश वर्मा।। प्रदेश सरकार द्वारा शुरू किए गए जनमंच कार्यक्रम को यदि लोकतंत्र की असली सरकार कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। घुमारवीं के हटवाड़ पंचायत में आयोजित आज के जनमंच कार्यक्रम में जाने का मौका मिला। शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज जी आज के इस जनमंच के अध्यक्ष थे।
वहां जाकर जो चीजें देखी उन्हें देख महसूस कर बस दिल से एक ही आवाज़ निकली की लोकतंत्र की बात सभी करते हैं असली लोकतंत्र वह है जब आप बिना किसी भय के, दबाव के अपनी बातें अपनी समस्याओं को सरकार व सभी लोगों के सामने रखे। यही आज हुआ हर कोई उन समस्याओं को लेकर आया था जिनसे वह पता नहीं कबसे जूझ रहा था कोई विधवा पेंशन के लिए जगह-जगह धक्के खाकर अंत में जनमंच पर पहुंची लाचार महिला थी, कोई वृद्धावस्था पेंशन के काग़ज़ी चक्करों से तंग आकर आया बुजुर्ग था, कोई जमीन जायदाद के झगड़ों से दुखी होकर, कोई नल का कनेक्शन न मिलने के कारण, कोई बिजली का कनेक्शन न मिलने के कारण तो कोई कर्मचारियों के लचर रवैये को लेकर आया फरियादी था।
इस जनमंच पर देखा की अपनी जबावदेही न समझने वाले कर्मचारियों व अधिकारियों का हिसाब किताब भी हाथों हाथ हो रहा था साथ ही समस्याओं का निराकरण भी। रोंगटे खड़े हो गए जब एक बुजुर्ग विधवा महिला पेंशन की शिकायत लेकर मंच से माननीय शिक्षा मंत्री जी को अपनी बात सुना रही थी की किस तरह उसे कागजों के नाम पर दौड़या जा रहा है जबकि दो बेटे होने के बावजूद भी वह अकेली है जमीन जायदाद भी बेटों ने अपने नाम करवा रखी है। इस बात की गवाही जनमंच का पूरा पंडाल दे रहा था फिर भी प्रशासन उसे एक पेंशन तक नहीं लगा सका वजह एक पटवारी से लेकर उच्च अधिकारियों की अपनी जबावदेही न समझना और इसी जबावदेही को पूरा करवाता करता है यह जनमंच।
यह एक ऐसा मंच है जहां आप उन कर्मचारियों व अधिकारियों की हजारों लोगों के सामने पोल खोल कर रख देते हो जो अपनी कर्तव्यनिष्ठा तक नहीं समझते और गरीबों का मज़ाक उडाते हैं। यह उन लोगों को शर्म दिलाने के लिए काफी है जो खुद तो पानी के कनेक्शन लेकर पानी की लूट करते हैं लेकिन दूसरे को अपनी जमीन से पानी का कनेक्शन तक नहीं लेने देते, ऐसे लोग यह नहीं देखते की कोई असहाय महिला अपने परिवार के लिए इस नल के कनेक्शन को लेने के लिए कब से जूझ रही है जबकि ऐसे लोगों का खुद का कनेक्शन भी तो औरों की जमीन से होकर आया है।
यह उन लोगों की आंखे खोलता है जो दूसरे की जमीन पर तो खुद के घर तक सड़क सुविधा ले लेते हैं लेकिन आगे अपनी जमीन की धौंस मारकर रोक देते हैं। यह उन कर्मचारियों की पोल खोलता है जो कहते हैं “जाओ जहां मर्जी कर दो शिकायत” लेकिन जनमंच पर सबकुछ सभी के सामने होता है अपील भी, दलील भी, फैसला भी।
यह नरेगा मजदूरों का पैसा क्यों नहीं मिला उसकी जबावदेही तय करता है। यह उन जरूरतमंद दिव्यांगों को हाथों हाथ अपंगता प्रमाणपत्र दिलाता है जिनके शरीर सूख जाते है धक्के खाकर। यह उन युवाओं को बोनोफाइड, जाति प्रमाण पत्र व अन्य महत्वपूर्ण प्रमाणपत्र हाथों हाथ दिलाता है जिन्हें हफ्तों चक्कर लगाने पडते हैं कभी पटवारी के कभी पंचायत सचिव के कभी पुलिस स्टेशन के तो कभी तहसील कार्यालयों के।
यहां पर पहुंचने वाले शिकायतकर्ता व फरियादी से यह नहीं पूछा जाता की वह किस राजनैतिक दल से संबंधित हैं क्योंकि सरकारी कार्यालयों में फिर भी यह देखकर कि कभार काम होता है लेकिन जनमंच पर नहीं, यहां पहुंचे हर “जन” का यह अपना “मंच” होता है।
आज के इस जनमंच कार्यक्रम में माननीय शिक्षा मंत्री ने जिस तरह दिल से इन जनसमस्याओं को सुना व उनका मौके पर हल करवा कर कर्मचारियों व अधिकारियों की जबावदेही तय की वह सचमें उनकी स्वच्छ, ईमानदार व संवेदनशील सोच को दर्शाती है। जिलाधीश विवेक भाटिया जी की समस्याओं को हल करने की सक्रियता उनकी युवा व जिम्मेदार सोच को दर्शाती है।
सच में लोकतंत्र के लिए ऐसे कार्यक्रम बहुत जरूरी है क्योंकि जब आप बिना भय दबाव व राजनीति के अपनी बात हजारों लोगों, सरकार व प्रशासन के सामने रखते हैं और उसका जबाव मांगते हैं व न्याय पाते हैं तो समझों असली लोकतंत्र यही है। लिखने को बहुत कुछ है इस जनमंच के उपर लेकिन वह आने वाले दिनों में एक लेख में लिखूंगा लेकिन आज जो देखा उसे अभी लिखे बिना नहीं रह सकता था वजह मुझ से जुड़ी थी आपसे जुड़ी है हम सब से जुड़ी है।
एक सीख व सलाह सभी को भविष्य में अगर कोई कर्मचारी या अधिकारी आपके काम को बेवजह लटकाए तो बस इतना कह दो की कोई न जनमंच में सबके सामने हिसाब होगा देखो फिर जबावदेही कैसे तय नहीं होती?
हलांकि यह न तो मेरा पंचायत क्षेत्र है न ही विधानसभा क्षेत्र बस घर के नजदीक होने के कारण एक मित्र से मिलने की वजह वहां ले गई वहां जाकर जो देखा व महसूस उससे बस एक ही आवाज़ निकलती है कि हां… ऐसा जनमंच हर जगह हो हर पंचायत में हो।
(स्वतंत्र लेखक राजेश वर्मा बलद्वाड़ा, मंडी के रहने वाले हैं और उनसे 7018329898 पर संपर्क किया जा सकता है।)