हिमाचल पुलिस को झटका, CBI करेगी होशियार केस की जांच

शिमला।। शिमला रेप ऐंड मर्डर केस में जब पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठे थे तो जनता के दबाव में हिमाचल सरकार ने मामला सीबीआई को सौंपा था। जब सीबीआई ने जांच शुरू की तो पता चला कि पुलिसवालों ने खुद कई गड़बड़ियां की हैं और आईजी समेत एसआईटी के अधिकारी इन दिनों जेल में बंद हैं। मगर जब मंडी के करसोग में एक वनरक्षक लापता हो गया था और कुछ दिन बाद उसका शव  संदिग्ध हालात में पेड़ पर उल्टा लटका मिला था, तब पुलिस ने कहा था कि उसने आत्महत्या की है। इस थ्योरी और पुलिस द्वारा जांच टीमें बार-बार बदलने को लेकर सवाल उठे थे मगर सरकार सीबीआई जांच को तैयार नहीं हुई थी। मगर हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने अब सीबीआई को इस मामले जांच के आदेश दिए हैं।

 

गौरतलब है कि जब यह मामला सामने आया था तो मुख्यमंत्री वीरभद्र ने इसे छोटी-मोटी घटना बताया था और वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी ने वनों का कटान होने या वन माफिया होने की बात से भी इनकार किया था। इस संबंध में इन हिमाचल ने जब आलोचना वाला आर्टिकल छापा था तो वन मंत्री की तरफ से लीगल नोटिस भी मिला था। मगर बुधवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान होशियार सिंह की मौत और इससे जुड़े अवैध वन कटान से जुड़ी दोनों एफआईआर की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपने के आदेश दिए।

होशियार सिंह का शव पेड़ पर उल्टा टंगा मिला था.

हाई कोर्ट ने सीबीआई को इस मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन करने के निर्देश दिए हैं। इसमें एसपी और डीएसपी रैंक के तीन अधिकारी शामिल करने को कहा गया है। अदालत ने प्रदेश सरकार को निर्देश दिए हैं कि वो मामले की जांच में सीबीआई की हर संभव सहायता करे। सीआईडी ने मामले में जो भी सबूत एकत्र किए हैं उन्हें सीबीआई को सौंपा जाए।

 

पुलिस की जांच पर उठे थे कई सवाल
हाई कोर्ट ने जब मामले का संज्ञान लिया था तो मामले में नियुक्त न्याय मित्र पीएल मेहता ने एसआईटी और पुलिस की जांच पर तथ्यों के आधार पर कई सवाल लगाए थे। न्याय मित्र (Amicus Curiae) ने पुलिस और एसआईटी की जांच पर कई सवाल खड़े किए थे। उन्होंने कहा था कि पुलिस ने जांच में यह नहीं जोड़ा कि होशियार सिंह ने कथित तौर पर जो जहर खाया, वह आया कहां से। यह जांच नहीं की गई कि इसे किसने बेचा और किसने खरीदा।

जनता ने सीबीआई जांच की मांग को लेकर किया था प्रदर्शन

मौत के सही समय पर उठे थे सवाल
न्याय मित्र ने सवाल किया था कि अगर 5 जून को सुबह करीब 9 बजे होशियार सिंह ने एक अध्यापक के घर दाल चावल और आलू-मटर खाए थे, तब 10 तारीख हो पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में भी होशियार के पेट में यही चीजें पाई गईं। चूंकि मेडिकल साइंस कहती है कि खाना आमतौर पर 4 से 6 घंटों में पच जाता है, मगर जहर खाने पर यह प्रक्रिया देरी से पूरी होती है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि होशियार की मौत का सही वक्त क्या है, क्योंकिं इससे मौत की असल वजह जानने में सहायता मिलेगी।

उल्टियों को लेकर भी प्रश्न
एमिकस क्यूरी ने यह सवाल भी उठाया था कि घटनास्थल पर बारिश हुई थी या नहीं, इस बारे में भी पुलिस ने कोई जांच नहीं की क्योंकि इसका कथित तौर पर होशियार सिंह द्वारा की गई उल्टियों के धुलने से इसका सीधा रिश्ता हो सकता है।

मौत से कुछ महीने पहले ही लगी थी होशियार की जॉब

‘वन माफिया पर कार्रवाई नहीं हुई’
न्याय मित्र ने सवाल उठाया था कि वन माफिया पर कड़ी कार्रवाई नहीं हुई और न ही कोई बड़ी गिरफ्तारी हुई, जिससे की मौत की वजह पता चल सके। गौरतलब है कि होशियार सिंह की मौत के मामले में पुलिस की प्रारंभिक जांच में हत्या का मामला दर्ज किया गया था, मगर बाद में इसे यह कहते हुए आत्महत्या के मामले में तब्दील कर दिया गया था कि होशियार सिंह के सुसाइड नोट मिले हैं। मगर पुलिस यह बताने में नाकाम रही थी कि आखिर होशियार सिंह ने अगर जहर ही खाया था, तो उसका शव पेड़ पर ऊंचाई पर उल्टा कैसे लटका हुआ था। सवाल यह भी उठे थे कि इलाके में बारिश होने के बाद भी बैग में सुसाइड नोट गीले या खराब क्यों नहीं हुए थे।

 

सरकार कह रही थी, निष्पक्ष जांच हो रही है
एमिकस क्यूरी ने मांग की थी कि हाईकोर्ट होशियार सिंह मौत मामले की जांच की निगरानी खुद करे। इस पर सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि मामले की निष्पक्ष जांच की जा रही है। सरकार ने यह भी कहा था कि अगर मामले की जांच पर कोई सवाल खड़े होते हैं तो किसी अन्य एजेंसी से जांच करवाने में उसे कोई आपत्ति नहीं होगी।

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