HPS ऑफिसर DSP मनोज जोशी ने की थी शुरुआती जांच, जनता ने जताया था विश्वास

एमबीएम न्यूज, शिमला।। कोटखाई में हुई वारदात ने हिमाचल प्रदेश को हिलाकर रख दिया है। पुलिस-प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन हिमाचल में पहले भी हुए हैं, मगर इस घटना में भारी जन-सैलाब उमड़ा। दरअसल लोगों की नाराजगी पुलिस की कार्रवाई को लेकर है। बीजेपी नेताओं समेत कई लोग आरोप लगा रहे हैं कि असल आरोपियों को बचाने की कोशिश हो रही है। मगर इस मामले में एक अधिकारी ऐसा भी है, जिसकी जांच पर जनता को विश्वास था। दरअसल शुरुआती जांच एचपीएस ऑफिसर मनोज जोशी (डीएसपी ठियोग) कर रहे थे।

 

2011 बैच के एचपीएस अधिकारी मनोज जोशी 29 सितंबर 1981 को नाहन में जन्मे हैं। इससे पहले वह कांगड़ा में डीएसपी रह चुके हैं। 2008 में उन्होंने HAS की परीक्षा पास की, लेकिन एचपीएस में आने का मौका नहीं मिला। लिहाजा नौकरी के साथ-साथ एचएएस की तैयारी में जुटे रहे। तीन साल बाद उस वक्त सफलता मिली, जब एचएएस में चयन हुआ, मगर प्रशासनिक अधिकारी बनने की बजाय मनोज ने एचपीएस की राह को चुना।

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बेहद साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले जोशी अपने स्वभाव, निष्पक्षता व ईमानदारी के कारण लोगों का दिल जीत लेते हैं। दीगर है कि जहां सोशल व प्रिंंट मीडिया में प्रशासन की किरकिरी हो रही थी, वहीं डीएसपी मनोज जोशी के प्रति लोगों ने कोई नाराजगी जाहिर नहीं की। अपनी प्रोफेशनल दक्षता में जोशी काफी माहिर हैं। गुडिया प्रकरण की जांच के दौरान भी हर कदम फूंक-फूंक कर तो रख ही रहे थे, साथ ही अपने स्तर पर मेहनत में लगे रहे। इसी साल मार्च में कोटखाई में हुए एक डबल मर्डर केस को भी उनकी टीम ने 12 घंटों के अंदर सुलझाकर आरोपी को दबोच लिया था (पढ़ें)।

कोटखाई रेप ऐंड मर्डर केस में आरोप यह लगा था कि एसआईटी के गठन के बाद जांच प्रभावित हुई है और इससे पहले जोशी के नेतृत्व में जांच ठीक चल रही थी। इस बारे सोशल मीडिया में सैंकड़ों कमेंटस भी लिखे गए। बहरहाल अब इस मामले की जांच युवा डीएसपी मनोज जोशी को नहीं करनी है, क्योंकि अब मामला सीबीआई के पास है और उसने तफ्तीश शुरू कर दी है।

(यह एमबीएम न्यूज नेटवर्क का आर्टिकल है और इसे सिंडिकेशन के तहत प्रकाशित किया गया है)

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