शिमला।। गैर-हिमाचली कर्मचारियों के बच्चों को हिमाचल में आवासीय जमीन खरीदने के लिए आवेदन करने की छूट दिए जाने संबंधित खबरों को लेकर मचे भूचाल के बाद हिमाचल प्रदेश सरकार ने इस तरह के संशोधन को वापस ले लिया है। अब कोई भी व्यक्ति ‘हिमाचल प्रदेश टेनंसी ऐंड लैंड रिफॉर्म्स ऐक्ट 1972’ के पहले से ही लागू नियमों के तहत जमीन के लिए आवेदन कर सकता है और कर्मचारी या उनके बेटे आवेदन करने के इन नियमों में किसी तरह की रियायत के पात्र नहीं होंगे।
इस मामले में को लेकर कुछ दिनों तक भ्रम की स्थिति बनी हुई थी क्योंकि कुछ अखबारों ने खबर दी थी कि नियमों में बदलाव किया गया है। मगर सरकार की ओर से इस मामले में कोई भी स्पष्टीकरण न आने के कारण अटकलों का दौर जारी था। आखिरकार सोमवार शाम को सरकार की ओर से स्पष्टीकरण आया कि मुख्यमंत्री ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए आवेदन करने के नियमों में किए गए संशोधन को तत्काल प्रभाव से निरस्त करने का आदेश दिया है।
ऐसे में अब अगर कोई कर्मचारी खुद या अपने परिवार के किसी सदस्य के नाम पर हिमाचल में जमीन खरीदना चाहता है तो उसे पहले से ही स्थापित नियमों का पालन करना होगा, उसे किसी तरह की रियायत नहीं मिलेगी।
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क्या कह रही है सरकार
हिमाचल सरकार की ओर से कहा गया है कि धारा 118 के मूलस्वरूप के साथ कोई बदलाव नहीं किया गया था, सिर्फ आवेदन करने के नियमों में संशोधन हुआ था। सरकार का कहना है कि इस मामले में फैलाई जा रही भ्रांतियों को देखते हुए मुख्यमंत्री ने तुरंत इन बदलावों को रद करने का आदेश दिया है ताकि अफवाहों पर विराम लग सके।
क्या कहता है नियम
हिमाचल प्रदेश टेनेंसी ऐंड लैंड रिफॉर्म्स रूल्स 1975 जो कि 2012 तक संशोधित है, उसमें 38 A के तहत शर्त तीसरे अनुच्छेद में लिखा गया है कि सब-रूल 2 के तहत कुछ कामों के लिए जिन योग्यताओं के आधार पर इजाजत दी जा सकती है। इसमें b) शर्त कहती है कि घर बनाने के लिए 500 स्क्वेयर मीटर(150 स्क्वेयर मीटर से काम नहीं) वे लोग जमीन ले सकते हैं
- 1. b) जो हिमाचल में 30 से ज्यादा सालों तक काम कर रहे हों और संबंधित स्थानीय निकाय ने उसे इजाजत देने की सिफारिश की हो।
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इसी पैमाने वाला व्यक्ति दुकान के लिए भी जमीन खरीदने का आदेवन कर सकता है। मगर अब स्पष्ट हुआ है कि सरकार ने आवेदन करने के उपरोक्त नियम को सरल बनाया था और गैर-हिमाचली कर्मचारियों के बच्चों के लिए आवेदन करने के लिए 30 साल की सेवा हिमाचल में करने की शर्त में ढील दी थी।
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क्या है मामला
गौरतलब है कि तीन-चार दिनों से कुछ अखबारों की कटिंग सोशल मीडिया पर शेयर हो रही थीं जिनमें दावा किया गया है कि सरकार ने 118 में संशोधन किया है। दो अखबारों ने प्रमुखता से इसे अपने यहां छापा था। इस मामले में सरकार और विपक्ष की ओर से भी कोई टिप्पणी सार्वजनिक नहीं हुई थी। मगर अब स्पष्ट हुआ है कि समाचारों में कुछ सच्चाई थी।
हालांकि इससे पहले ‘इन हिमाचल’ ने भी विस्तार से बताया था कि जिस संशोधन की बात की जा रही है, वह धारा 118 में नहीं बल्कि इस धारा के तहत जमीन खरीदने के लिए किए जाने वाले आवेदन के नियमों में किया गया है।