मोदी की रैली से पहले धूमल का दबाव- पार्टी CM कैंडिडेट घोषित करे

शिमला।। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है, राजनीतिक पार्टियों के नेताओं की धुकधुकी बढ़ती जा रही है। सत्ता के लिए पांच साल से इंतज़ार कर रही बीजेपी और उसके कैडर में फिलहाल यही प्रश्न चल रहा है कि चुनाव से पहले सीएम कैंडिडेट घोषित होगा या नहीं। और अगर नहीं होता है तो चुनाव के बाद जीतने की स्थिति में बीजेपी की तरफ से सीएम कैंडिडेट कौन होगा।

 

यह सवाल और भी गहराता जा रहा है क्योंकि आचार सहिंता लगने और उसके बाद चुनाव होने में कुछ ही समय बचा है, लेकिन बीजेपी आलाकमान की चुप्पी से कुछ इशारा नहीं मिल पा रहा है। इस सिलसिले को तोड़ते हुए प्रधानमंत्री की रैली से पहले पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष नेता प्रेम कुमार धूमल ने एक इंटरव्यू में कहा है कि बीजेपी को मुख्यमंत्री पद का कैंडिडेट या प्रदेश में नेतृत्व का चेहरा साफ़ कर देना चाहिए।

 

अभी तक धूमल हर सवाल पर यही कहते थे कि पार्टी आलाकमान समय आने पर कैंडिडेट घोषित कर देगा। पर अब इस तरह से धूमल ने अपने अनुभव के आधार पर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है कि अब समय नहीं बचा है, इसलिए पार्टी को सीएम कैंडिडेट घोषित कर देना चाहिए। धूमल का तर्क है कि पार्टी 1982 से लेकर 2012 तक ऐसा ही करती हुई आई है।

धूमल का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब प्रधानमंत्री मोदी की रैली जिला बिलासपुर में होने जा रही है और मुख्यमंत्री पद के सशक्त दावेदारों में चल रहे केंद्रीय मंत्री जे पी नड्डा 15 दिन से हिमाचल में ही खुद रैली की तैयारियों में जुटे हुए हैं। हालाँकि इससे पहले कई बार बड़े स्तर की रैलयां हुई हैं, मगर नड्डा इस तरह से इतने दिन हेल्थ मिनिस्ट्री का कार्य छोड़कर गृह प्रदेश में खुद नहीं डटे हैं।

 

धूमल के बयान को केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद के उस बयान से अलग राय माना जा रहा है, जिसमें हाल ही में उन्होंने शिमला में कहा था कि प्रदेश में चुनाव सामूहिक नेतृत्व में लड़ा जाएगा। प्रदेश में कद्दावर नेता धूमल भी अन्य लोगों की तरह संशय में नजर आ रहे है। उन्होंने पांच साल में सरकार को कई मुद्दों पर घेरने की कोशिश की है, इसलिए हो सकता है धूमल चाहते हों कि पार्टी उन्हें नेतृत्व का दायित्व सौंपे। और अघर पार्टी किसी और को सौंपना चाहती है, तो भी क्लियर करे ताकि इस आधार पर वह प्रदेश की राजनीति में अपनी भविष्य की भूमिका देखें।

 

पिछले चुनावों में पार्टी की हार के लिए भी धूमल ने गलत टिकट आबंटन को जिम्मेदार बताया है। उन्होंने कहा है कि पिछले चुनावों में ऐसे लोगों को टिकट दिए गए थे, जो जीतने की क्षमता नहीं रखते थे। यह इशारा सीधे-सीधे शांता समर्थकों की तरफ था क्योंकि कांगड़ा में पार्टी की दुर्गति के चलते भाजपा सत्ता से बाहर हो गयी थी और धूमल के समर्थक माने जाने वाले नेताओं ने बागी होकर हर सीट से ठीकठाक वोट लेकर चुनावी गणित को प्रभावित किया था।

 

सीएम का चेहरा घोषित करने की धूमल की राय पर पार्टी आलाकमान का फैसला क्या होता है, यह देखने वाली बात होगी। हालांकि मोदी लहर पर बीजेपी हाल ही में उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश चुनाव में बिना सीएम दिए क्लीन स्वीप कर चुकी है। मगर हिमाचल में वह धूमल को दरकिनार करते हुए नया फेस देती है या अपने ही अजेंडे पर चलती है, यह सवाल भविष्य के गर्भ में हैं। मगर प्रदेश के इस वरिष्ठ नेता ने अपने अनुभव के आधार पर अपनी राय सामने रख दी है।

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