हिमाचल में 2012 से बढ़े हैं रेप और उत्पीड़न के मामले

शिमला।। शिमला में हुए रेप ऐंड मर्डर के बाद प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। एक तरफ विपक्ष लॉ ऐंड ऑर्डर की दशा खराब होने का आरोप लगा रहा है तो मुख्यमंत्री कहते है कि सब कुछ ठीक है। मगर इस मामले में पुलिस के रिकॉर्ड पर नजर डालें तो पता चलता है कि साल 2012 से लेकर अब तक महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

रेप के मामले लगातार बढ़ रहे
इस संबंध में अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स ने एक रिपोर्ट छापी है जिसमें पुलिस रिकॉर्ड के हवाले से कहा गया है कि पिछले 5 सालों में महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़े हैं। साल 2012 में हिमाचल में 183 रेप के मामले दर्ज किए गए थे। साल 2014 में यह संख्या 284 हो गई। 2016 में यह 244 हुई और इस साल अब तक 104 रेप केस दर्ज हो चुके हैं।

उत्पीड़न के मामले भी बढ़े
महिलाओं के उत्पीड़न के मामले भी बढ़े हैं। 2012 में पुलिस ने 248 मामले दर्ज किए थे और 2014 में ये बढ़कर 519 हो गए। 2016 में 405 केस दर्ज हुए और इस साल अभी तक 191 मामले दर्ज हुए हैं।

 बढ़े हैं क्राइम के मामले

छेड़खानी के मामले कम हुए
2012 में महिलाओं से छेड़छाड़(eve teasing) के 63 मामले दर्ज किए थे। 2014 में बढ़कर 76 हो गए और 2016 में 50 रह गए। इस साल अब तक 27 मामले दर्ज किए जा चुके हैं।

जानें, क्या कहना है डीजीपी का
इस मामले में हिमाचल के डीजीपी सोमेश गोयल ने अखबार से बात करते हुए कहा कि पुलिस में ज्यादा मामले दर्ज होने की वजह यह है कि महिलाएं अब ज्यादा जागरूक हो रही हैं और इस तरह के मामलों में केस दर्ज करवा रही हैं। उन्होने कहा, ‘महिलाएं अपराध की शिकायत दर्ज करवा रही हैं और इसी वजह से ट्रेंड में उछाल देखने को मिला है। यह दिखाता है कि पुलिस भी मामले दर्ज करने में कितना सहयोग करती है। हमने शिमला, मंडी, धर्मशाला, बद्दी, कुल्लू, सिरमौर, ऊना और बिलासपुर में महिला थाने स्थापित किए हैं। इस तरह से पुलिस स्टेशन अन्य जिलों में भी खोले जाएंगे।’

अखबार का कहना है कि सामाजिक कार्यकर्ता डीजीपी की बात से सहमत नहीं हैं। अखबार के मुताबिक ऑल इंडिया डिमोक्रैटिक यूथ फेडरेशन की वाइस प्रेजिडेंट फलमा चौहान कहती हैं, ‘पिछले कुछ समय में महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़े हैं क्योंकि राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति में गिरावट आई है। पुलिस के पास अपराध पर नियंत्रण रखने के लिए स्टाफ की कमी है। सरकार को तुरंत कदम उठाने चाहिए।’

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