50 बीघा वनभूमि कब्ज़ाई, सेब बेचकर शिमला में खड़ी की 5 इमारतें

गंदा है वन भूमि पर सेब उगाकर बेचने का धंधा

शिमला।। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला और अन्य इलाकों में सरकारी जमीन पर कब्जा करके सेब की बागवानी करने के खेल की जड़ें कितनी गहरी हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एक परिवार ने कथित तौर पर 50 बीघा सरकारी वन भूमि कब्जाकर उसपर सेब के बागीचे तैयार कर दिए थे। यही नहीं, आरोप है कि इस जमीन पर इस परिवार ने सरकारी सब्सिडी पर ग्रेडिंग और पैकिंग सेंटर तक खोल दिए।

आरोप है कि इस तरह पूरे अवैध खेल से यह परिवार करोड़पति बन गया और इसने इस कमाई से शिमला में पांच बड़ी इमारतें खड़ी कर दीं। इन इमारतों की कीमत करोड़ों रुपये है। सोचिए, इतना बड़ा खेल हो गया और पूरा का पूरा प्रशासनिक अमला सोया रहा।

सेब के कारोबार से जेबें भरने के चक्कर में कुछ लोगों ने हिमाचल को खोखला कर दिया।

यह मामला भी सामने नहीं आता अगर हाई कोर्ट ने सरकारी जमीन पर अवैध ढंग से सेब के पेड़ लगाने के मामले में सख्ती न बरती होती। यह मामला शिमला के चैंथला गांव का है। हाई कोर्ट द्वारा नियुक्त न्याय मित्र ने शुक्रवार को अदालत में एक लेटर दिया जिसके मुताबिक राज्सव और वन विभाग के अधिकारी अवैध कब्जाधारियों से मिले हुए हैं और अब भी ये लोग कब्जाधारियों की मदद कर रहे हैं।

न्याय मित्र के लेटर में किस-किस का नाम है और किसने ये जमीन कब्जाई है, जानने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें और पेज नंबर 3 पढ़ें।

Reference of letter handed over by Amicus Curiae

यही ऐसा इकलौता मामला नहीं है, शिमला के बाघी, चिड़गांव, जुब्बल और रतनाड़ी के साथ-साथ कुल्लू जिले के दशाल में भी ऐसा खेल हुआ है। यहां पर बड़े-बड़े कब्जाधारी अब भी कार्रवाई से बचे हुए हैं। रसूखदारों के खिलाफ कार्रवाई न होने से खफा हाई कोर्ट ने अब कब्जे हटाने का जिम्मा सेना को सौंपा है। अधिकारी के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

रसूखदारों से कब्जे नहीं छुड़ा पाई सरकार, हाई कोर्ट ने सेना को सौंपा जिम्मा

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