मंडी।। मंडी की बल्ह घाटी में पड़ने वाले टावा गांव से पिछले साल सितंबर के आखिर में लापता हुए फॉरेस्ट गार्ड तोता राम उर्फ मोहनलाल का कंकाल बरामद हुआ है। कमरूनाग मंदिर में एक जातर के दौरान दोस्तों के साथ गए वनरक्षक तोता राम लौटते वक्त लापता हो गए थे। कहा जा रहा था कि वह टोली से कहां अलग हो गए, पता नहीं चला।
बता दें कि पुलिस, स्थानीय लोगों और एसडीआरएफ समेत कई टीमों ने जंगल का चप्पा-चप्पा छानने का दावा किया था, मगर मोहनलाल का कंकाल वन विभाग की हट के पास ही बरामद हुआ है। गुरुवार को पुलिस ने को सूचना मिली थी कि वन विभाग की हट के पास कंकाल पड़ा हुआ है।
पुलिस ने शव को कब्जे में लिया और घटनास्थल का मुआयना किया। कंकाल को जानवारों ने नोच लिया है। एमबीएम न्यूज नेटवर्क के मुताबिक डीएसपी तरणजीत सिंह ने बताया कि यह शव लापता मोहनलाल का है और इसे परिजनों के हवाले कर दिया जाएगा, आगे की छानबीन जारी है।
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क्या है मामला
घटना मंडी के बल्ह की है, जहां रहने वाले वनरक्षक मोहन लाल, जिनकी उम्र 57 साल थी, बड़ा देव कमरूनाग के लिए आयोजित जातर में शामिल होने गए थे। वापसी में वह कुछ दोस्तों के साथ आ रहे थे। कथित तौर पर कुछ दूरी बाद दोस्तों ने देखा कि वह उनके बीच नहीं हैं। इससे उन्होंने सोचा कि वे शॉर्ट कट से अपने घर चले गए होंगे। अगली सुबह उन्हें पता चला कि मोहन तो घर पहुंचे ही नहीं हैं। घटना सितंबर माह की है।
चप्पा-चप्पा छान लेने का दावा
इसके बाद पुलिस, एसडीआरएफ, फॉरेस्ट डिपार्टमेंट, देवता कमेटी और कई स्थानीय लोगों ने किसी हादसे या दुर्घटना या साजिश की आशंका से मोहन लाल को कमरूघाटी में ढूंढने की कोशिश की, मगर कामयाबी नहीं मिली। अक्तूबर के पहले हफ्ते तक तो मीडिया में भी खबरें आती रहीं कि जैसे कि मोहन लाल के मोबाइल की आखिरी लोकेशन घीडी टावर से मिली थी और बाद में फोन स्विच ऑफ है। यह भी पता लगाने की कोशिश की गई कि आखिरी बात उनकी बात किससे हुई। फिर इलेक्शन आ गए तो मीडया से यह मामला गायब हो गया। उस दौरान भी इन हिमाचल ने इस मुद्दे को उठाया था।
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पुलिस की जांच से परिवार संतुष्ट नहीं
बता दें कि मोहन लाल का परिवार पुलिस की जांच से संतुष्ट नहीं था। नवंबर में मोहनलाल के बेटे घनश्याम का कहना था कि प्रशासन पिता को ढूंढने में नाकाम रहा है। उनका कहना था, “कमरूनाग से वापसी पर जो लोग मेरे पिता के साथ थे, अगर उनसे पुलिस सख्ती ये पूछताछ करेगी तो वे लोग कुछ बता सकते हैं। उनके साथ आए चार-पांच लोगों के व्यवहार से शक हो रहा है कि कहीं मेरे पिता के साथ कुछ अनहोनी तो नहीं हुई हो।”
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बहरहाल, अब मोहनलाल के शव का वन विभाग की हट के पास ही मिलना काफी सवाल खड़े करता है। अब कंकाल बरामद हुआ है और जंगली जानवरों ने बहुत नुकसान भी पहुंचाया है। ऐसे में यह मामला हत्या का है या जंगली जानवरों ने उन्हें शिकार बनाया, कहा नहीं जा सकता। वैसे भी जंगली जानवर शिकार करते हैं तो भूख शांत करने के लिए और वे शिकार को चट कर जाते हैं। मगर कंकाल के काफी हिस्से इस तरह से मिलना सवाल तो खड़े करता ही है।
(एमबीएम न्यूज नेटवर्क की इनपुट्स के साथ)