जब वाजपेयी ने शांता कुमार को दी थी ईमानदारी की सज़ा

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इन हिमाचल डेस्क।। प्रदेश के भावी मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर में पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार की छवि देखी जा रही है। कहा जा रहा है कि जयराम भी उसी तरह के ईमानदार और सिद्धांतवादी हैं, जैसे शांता कुमार थे। यह एक नेता के लिए कॉम्प्लिेंट तो है लेकिन एक जिम्मेदारी भी। क्योंकि शांता कुमार ऐसे नेता हैं जिन्होंने कभी भी आदर्शों से समझौता नहीं किया। और यही कारण है कि आज भी वह गर्व से कह सकते हैं कि वह बाकी राजनेताओं से अलग हैं और उन्होंने कभी भी वह राजनीति नहीं की, जिस तरह की राजनीति आजकल अन्य दल और स्वयं उनकी पार्टी कर रही है।

दी लल्लनटॉप ने शांता कुमार के इंटरव्यू के कुछ हिस्से पब्लिश किए हैं। इन वीडियोज़ में शांता कुमार ने खुलकर बात की है। उन्होंने यह भी बताया है कि कैसे वह विधायकों को खरीदकर सरकार बनाने के पक्ष में कभी नहीं रहे। और उस घटना की भी बात की, जिसकी टीस को वह भूले नहीं हैं।

दरअसल पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने शांता कुमार ने इस्तीफा मांग लिया था। तब शांता केंद्र में मंत्री थे। इस्तीफा इसलिए मांगा गया था क्योंकि शांता कुमार ने 100 करोड़ रुपये के घपले को रोकने की कोशिश की थी। यानी वाजपेयी ने उन्हें ईमानदारी की सजा दी थी। भले वाजपेयी मजबूर रहे हों लेकिन शांता ने सिद्धांतों पर कायम रहते हुए त्यागपत्र दे दिया था। देखें वीडियो:

शांता कुमार के सिद्धांतों और आदर्शों के साथ उनकी ईमानदारी और विज़न के कई किस्से हैं, जिन्हें हम आगे भी आपके साथ शेयर करते रहेंगे। इसलिए, क्योंकि आप पाठकों के बीच कई लोग ऐसे होंगे जो राजनीति में जाना चाहते होंगे। तो राजनीति में जाकर आपको कैसा नेता बनना है, यह सीख आज के नेताओं से तो आपको मिलेगी नहीं। मिलेगी तो शांता कुमार जैसे नेताओं से, जो खुद एक मिसाल हैं।