इन हिमाचल डेस्क।। पालमपुर आए बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने ‘इन हिमाचल’ की उन रिपोर्ट्स पर मुहर लगाई है, जिनमें दावा किया गया था कि पार्टी हिमाचल में बिना किसी को सीएम कैंडिडेट घोषित किए चुनाव लड़ सकती है और नए चेहरों को ज्यादा टिकट दिए जाएंगे। अमित शाह ने पालमपुर में साफ कहा कि पार्टी इस बार नए चेहरों को उतारेगी और इस पर पार्टी नेतृत्व फैसला लेगा कि चेहरे पर चुनाव लड़ा जाएगा या सामूहिक तौर पर। साथ ही उन्होंने मौजूदा वीरभद्र सरकार को रिटायर्ड लोगों की सरकार करार दिया। इससे उन्होंने अपनी पार्टी के नेताओं को भी इशारा दिया कि अब बीजेपी प्रदेश में यंग नेतृत्व चाहती है।
अमित शाह के इन बयानों से जहां युवा कार्यकर्ताओं और टिकट चाहने वाले यंग लीडर्स में जोश देखा जा रहा है, वरिष्ठ और उम्रदराज हो चुके नेताओं के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ती हुई दिख रही हैं। वैसे अमित शाह का यह बयान हैरान नहीं करता क्योंकि अन्य राज्यों में पार्टी इसी लाइन पर रहकर चुनाव लड़ी है और जीती भी है। मगर अब अमित शाह ने खुलेआम हिमाचल भाजपा को यह बात स्पष्ट कर दी।
अमित शाह के दौरे के बाद सभी के मन में यह ख्याल आ रहा होगा कि अगर बीजेपी इस बार नए चेहरों को टिकट देने का इरादा रख रही है तो वे कौन से पुराने चेहरे हैं, जिन्हें हटना होगा। भले ही अमित शाह ने पालमपुर में स्पष्ट किया कि 70+ एज वालों को टिकट देने में पार्टी को कोई आपत्ति नहीं है, मगर अन्य राज्यों में पार्टी ने कुछ अपवादों को छोड़कर टिकट आवंटन यह ध्यान रखा है कि यंग कैंडिडेट्स को ही टिकट मिलें। दरअसल बीजेपी यंग लीडरशिप तैयार कर रही है जो लंबे समय तक टिके। अमित शाह ने इससे पहले सोलन दौरे में कहा था कि अब बीजेपी हिमाचल में आए तो कम से कम 15-20 साल टिके। यह तभी संभव हो पाएगा जब लीडर्स नए हों। वैसे भी देखा जाता है कि न सिर्फ सत्ताधारी विधायक, बल्कि विपक्षी विघायकों के हारने की आशंकाएं भी ज्यादा होती हैं क्योंकि काम न होने की वजह से जनता के मन में उनके प्रति नाराजगी होती है। इसलिए बीजेपी इस बार उनके टिकट भी काट सकती है जो इस बार जीते हुए हैं। अमित शाह जबसे बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हैं, हर राज्य में उन्होंने यही फॉर्म्युला अपनाया है और यह कामयाब भी रहा है। दिल्ली में हुए एमसीडी चुनाव इसका उदाहरण है जहां पर बीजेपी ने सभी सीटों से नए कैंडिडेट उतारे और कामयाबी हासिल की।
क्या होगा बीजेपी का पैमाना
– अन्य राज्यों के पैटर्न पर गौर करें तो बीजेपी उन नेताओं को टिकट देने से बचने की कोशिश करेगी जो 70 पार हैं या ज्यादा बुजुर्ग हैं।
– उन्हें भी टिकट मिलने में दिक्कत होगी जो लगातार एक ही सीट पर हारते चले आ रहे हैं।
– उन्हें भी टिकट की उम्मीद छोड़नी होंगी जो 2012 विधानसभा चुनाव में बहुत ज्यादा मार्जन से हारे हैं।
– 2012 में बहुत कम मार्जन से जीतने वालों को भी निराशा हाथ लग सकती है क्योंकि एक तो वे खुद मुश्किल से जीते थे और अब उनके खिलाफ लोकल लेवल पर ऐंटी-इनकमबेंसी वेव हो सकती है।
जानें, इस पैमाने पर किन नेताओं को टिकट मिलने की संभावनाएं लगभग शून्य हैं:
1. आत्मा राम (जयसिंहपुर)
2. हीरा लाल (करसोग)
3. तेजवंत सिंह (किन्नौर)
4. प्रवीण कुमार (पालमपुर)
5. बालक राम नेगी (रोहड़ू)
6. प्रेम सिंह ड्रैक (रामपुर)
7. राकेश वर्मा (ठियोग)
8. मुल्ख राज (बैजनाथ)
9. खीमी राम (बंजार)
10. बदलेव शर्मा (बड़सर)
11. सुरेश चंदेल (बिलासपुर)
12. रेणु चड्ढा (डलहौजी)
13. किशन कपूर (धर्मशाला)
14. बलदेव सिंह ठाकुर (फतेहपुर)
15. प्रेम सिंह (कुसुम्पटी)
16. दुर्गा दत्त (मंडी)
17. रणवीर सिंह निक्का (नूरपुर)
18. कुमारी शीला (सोलन)
अब बात उन नेताओं की जिनके टिकट कटने की संभावनाएं तो बहुत ज्यादा हैं मगर इन्हें सेकंड लाइन ऑफ लीडरशिप न होने का फायदा मिल सकता है। अगर पार्टी को इनकी जगह कोई और कैंडिडेट मिला तो वह इनका टिकट काटने में देर नहीं लगाएगी:
1. सरवीन चौधरी (शाहपुर)
2. सुरेश भारद्वाज (शिमला)
3. जवाहर लाल (दरंग)
4. महेंद्र सिंह (धर्मपुर)
5. रमेश चंद धवाला (ज्वालामुखी)
6. रिखी राम कौंडल (झंडूता)
7. गुलाब सिंह ठाकुर (जोगिंदर नगर)
8. नरिंदर बरागटा (जुब्बल-कोटखाई)
9. राजिंदर गर्ग (घुमारवीं)
अभी चुनावों में वक्त है और नजदीक आते-आते हलचल तेज हो जाएगी। कयास लगाए जा रहे हैं कि यूपी और उत्तराखंड की तर्ज पर हिमाचल कांग्रेस के बड़े नेता भी बीजेपी का रुख कर सकते हैं। यह देखा गया है कि बीजेपी ने अन्य पार्टियों से आने वाले नेताओं की जीतने की संभावनाओं को देखते हुए उन्हें टिकट भी दिया है। उस स्थिति में भी कई सीटों पर बीजेपी के मौजूदा नेताओं के लिए मुश्किल स्थिति हो जाएगी जो टिकट की उम्मीद लगाए हुए है। बहरहाल, अन्य राज्यों में बीजेपी द्वारा अपनाई गई रणनीति के हिसाब से हिमाचल में इन नेताओं के टिकटों को खतरा हो सकता है मगर पार्टी क्या देखकर किसे टिकट लेती है, यह उसका अपना फैसला होगा। चुनाव आने पर ही पता चलेगा कि यह राजनीतिक विश्लेषण और अनुमान कितना खरा उतरता है क्योंकि राजनीति में कुछ भी निश्चित नहीं होता।
नोट: इस आर्टिकल में राजनीतिक विश्लेषण के बाद इन सीटों और नामों का जिक्र किया गया है। सोशल मीडिया पर कुछ तत्व इन नामों को अपने-अपने तरीके से शेयर कर रहे हैं। कुछ लोग दावा कर रहे हैं कि बीजेपी ने ही इन नामों की लिस्ट बनाई है। ‘In Himachal’ सोशल मीडिया पर किए जा रहे इन दावों से इत्तफाक नहीं रखता। यह विश्लेषणात्मक अनुमान पर आधारित आर्टिकल है न कि पार्टी की तरफ से जारी किसी सूची पर आधारित समाचार।