खतरों के खिलाड़ियों की भी सांसें थम जाती हैं स्पीति घाटी के इस रोपवे पर

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इन हिमाचल डेस्क।। हिमाचल प्रदेश का लाहौल-स्पीति जिला देखने में जितना सुंदर है, वहां पर रहना उतना ही मुश्किल। भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि आसान से आसान काम भी मुश्किल बन जाता है। ऊंची-ऊंची पहाड़ियों, टीलों और खाइयों से भरी स्पीति घाटी का एक खूबसूरत गांव है किब्बर। पास ही चीचम गांव है। दूरी वैसे तो ज्यादा नहीं मगर सड़क जहां से बनी है, उसके जरिए किब्बर से चीचम जाना हो तो एक घंटे का समय लग जाता है। बीच में एक गहरी खाई है जिसकी तलहटी में एक जलधारा बहती है। पार जाने के दो तरीके हो सकते हैं- या तो सड़क से जाएं या फिर खाई में उतरें और फिर से चढ़ें। पहले वाले तरीके में टाइम ज्यादा लगेगा और दूसरा तरीका न सिर्फ थकाऊ होगा बल्कि खतरनाक भी साबित हो सकता है। मगर आना-जाना तो पड़ता ही है लोगों को। इसके लिए एक नायाब तरीका ढूंढ निकाला गया है। खाई को पाटने के लिए चूंकि पुल नहीं है, इसलिए यहां पर एक लोहे की रस्सिों पर चलने वाली ट्रॉली लगाई गई है जिसे हाथ से खींचना पड़ता है। हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और नेपाल से लेकर एशिया के कई देशों में इस तरह की ट्रॉलियां आज भी नदियों या खाइयों को पार करने में इस्तेमाल होती हैं (वीडियो नीचे हैं)।

 

हिमाचल प्रदेश के कई इलाकों में पुल बन जाने से ऐसी ट्रॉलियां दिखना अब कम हो गई हैं मगर बहुत से इलाके हैं जहां पर आज भी लोग इन्हें इस्तेमाल कर रहे हैं। किब्बर-चीचम को जोड़ने वाली यह ट्रॉली भी ऐसी ही है।

 

 

इस सिस्टम में खतरा तो है मगर विवशता में कोई करे भी तो क्या? अगर कोई पुल बना दिया जाए तो लोगों की समस्या जरूर कम होगी। इस मामले में हमें चीन से सीखना चाहिए। उसने गहरी खाइयों के पुल बनाए हैं। कुछ जगहों पर तो उसने शीशे के पुल बनाए हैं। लोग तो आ-जा रहे ही हैं, बाहर से टूरिस्ट्स भी आ रहे हैं ऐसे पारदर्शी पुलों पर चलने के लिए, जिनके नीचे गहरी खाई नजर आती।

ग्लास ब्रिज (चीन)

लाहौल-स्पीति की यह ट्रॉली शीशे का परदर्शी पुल बनाने के लिए एकदम उपयुक्त है। क्योंकि चारों तरफ शानदार नजारे तो हैं ही, नीचे देखने पर गहरी खाई में जलधारा बहती हुई नजर आती है जिसका पानी बहुत साफ है। पूरी दुनिया से टूरिस्ट्स ऐसे पुल को देखने के लिए आ सकते हैं। मगर अभी भी जो लोग किब्बर आते हैं, वे रोमांच के लिए इस ट्रॉली का लुत्फ उठाना नहीं भूलते। बाहरी लोगों के लिए यह अडवेंचर का विषय है मगर स्थानीय लोगों के लिए मजबूरी। देखें वीडियो:

 

 

इस वीडियो को ध्यान से देखें, इसमें ड्रोन से पता चलता है कि ऊंचाई कितनी है:

 

यह तो अलग तरह का अडवेंचर है। सरकार को चाहिए कि स्थानीय लोगों की सुविधा के लिए सुरक्षित इंतजाम करे। वैसे ग्लास ब्रिज जैसे विकप्लों पर विचार किया जाता सकता है क्योंकि वे सुरक्षित तो होंगे ही, टूरिस्ट्स को भी आकर्षित करेंगे।