शिमला।। केंद्र सरकार की तर्ज पर चलते हुए अब हिमाचल प्रदेश सरकार ने भी वीआईपी कल्चर खत्म करने के इरादे बत्ती हटाने का फैसला लिया है। सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक अब राज्य में लाल, नीली और पीली बत्ती का इस्तेमाल नहीं होगा। अब राज्य के मुख्यमंत्री, मंत्री और विधायकों की गाड़ियों पर बत्ती नजर नहीं आएगी। ध्यान देने वाली बात यह है कि कुछ दिन पहले जब परिवहन मंत्री जीएस बाली ने लाल बत्ती छोड़ने का ऐलान किया था, मुख्यमंत्री व अन्य मंत्रियों ने उनपर तंज कसा था और उनका व्यक्तिगत फैसला बताया था। मगर एक हफ्ते के अंदर सरकार को बैकफुट पर आते हुए खुद वही फैसला लेना पड़ा। मुख्यमंत्री वीरभद्र के लिए स्थिति और असहज करने वाली है क्योंकि उन्होंने इस विषय पर एक अमर्यादित बयान दिया था।
चंबा जिले के सलूणी उपमंडल के लचोड़ी में परिवहन मंत्री जीएस बाली के लालबत्ती छोड़ने पर पत्रकारों के पूछे सवाल पर वीरभद्र सिंह ने कहा था, ‘हमने तो पैंट पहनने को दी थी अगर कोई लंगोट ही पहनना चाहता है तो हम क्या करें।’ (क्लिक करके खबर पढ़ें: पंजाब केसरी | जागरण | ) सोशल मीडिया लोग टिप्पणियां कर रहे हैं कि जिस ‘लंगोट’ की बात मुख्यमंंत्री कर रहे थे, अब वही उन्हें खुद भी पहननापड़ेगा। शुक्रवार को जारी इस अधिसूचना के तहत हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और अन्य जजों को राहत दी गई है। गुरुवार को हिमाचल के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने खुद ही पहल कर अपनी गाड़ी से लालबत्ती हटा दी थी। एचपीयू के कुलपति ने भी पहल की थी।
इस वक्त सीएम वीरभद्र सिंह ईडी की पूछताछ के सिलसिले में देश की राजधानी दिल्ली में है। कहा जा रहा है कि सुबह उनके आवास पर कुछ कैबिनेट मंत्रियों ने इस बाबत चर्चा भी की थी और उसी के बाद ये आदेश दिए गए हैं।
(Disclaimer: ‘इन हिमाचल’ लंगोट या इस तरह की अमर्यादित भाषा इस्तेमाल करने या उदाहरण देने का पक्षधर नहीं है। खबर को इसलिए ऐसे प्रस्तुत किया गया है ताकि प्रदेश के सबसे बड़े पद पर बैठे नेता व अन्य सभी को अहसास हो कि वह क्या बोल रहे हैं।)