आई.एस. ठाकुर।। भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने जब जेएनयू पर भाषण दिया, समझ नहीं आया कि हंसा जाए या रोया जाए। क्योंकि एक तरफ तो वह देशभक्ति और देशद्रोह पर लंबा भाषण दे रहे थे, मगर दूसरी तरफ धर्मशाला में वह पाकिस्तान के साथ मैच करवाने को लेकर अड़े हुए हैं और वह भी शहीदों के परिवारों के विरोध के बावजूद।
लेख: धर्मशाला में मैच का विरोध होना चाहिए
यह बीजेपी के दोहरे मापदंड हैं या अनुराग के? एक तरफ तो वह पाकिस्तान से मैच करवाने को प्रतिष्ठा का विषय बनाए हुए हैं, मगर दूसरी तरफ राष्ट्रप्रेम की बातें कर रहे हैं। बीजेपी को भी क्या कोई और नेता नहीं मिला इस विषय पर भाषण देने को?
इस कदम से निस्संदेह पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा है। जिन लोगों पर भारत विरोधी नारे लगाने का आरोप लगा है, उनके साथ खड़े होने को लेकर तो कांग्रेस पर वह हमला कर रहे थे। मगर पाकिस्तान की हरकतों को देखते हुए जिस आधार पर उसके साथ क्रिकेट संबंध तोड़ दिए जाते हैं, उसी आधार पर कायम न रहते हुए पूरी कोशिश में लगे थे कि मैच धर्मशाला में ही हो।
मेरा मैच से कोई विरोध नहीं है और न ही पाकिस्तान से। किसी भी समझदार शख्स को होना भी नहीं चाहिए। मगर यही अनुराग थे जो कश्मीर में झंडा फहराने के लिए यात्रा निकालते हैं और कहते हैं कि पाकिस्तान के क्रिकेट नहीं खेला जाना चाहिए। वही आज कहते हैं कि इसमें कोई बुराई नहीं। फर्क इतना है कि उस वक्त केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार थी, आज बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार है। सरकार बदलते ही विचारधारा और राष्ट्रप्रेम की परिभाषा भी बदल जाती है, यह अनुराग और बीजेपी को देखकर पता चलता है।
उम्मीद है जनता इस दोहरी राजनीति को समझेगी और ऐसी मौकापरस्ती को मुंहतोड़ जवाब देगी।
(लेखक ‘इन हिमाचल’ के नियमित स्तंभकार हैं। उनसे kalamkasipahi@gmail.com से संपर्क किया जा सकता है।)