सबूत: इसलिए हुआ जोगिंदर नगर बस हादसा, कोई ऐक्शन लेगा?

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  • आई.एस. ठाकुर
  • मंडी जिले के जोगिंदर नगर में बस हादसे की खबर ने हिलाकर रख दिया। खासकर उस तस्वीर में, जिसमें एक बच्चे का शव फर्श पर गिरा हुआ था। पिछले दिनों मैं भारत आया हुआ था और कांगड़ा से जोगिंदर नगर होते हुए मनाली गया था। सड़क की हालत ऐसी थी कि खुद हमारी गाड़ी कई जगहों पर हादसों की शिकार होने से बाल-बाल बची। जोगिंदर नगर से मंडी की सड़क की हालत तो ऐसी है कि इससे बेहतर कच्ची सड़क ही होती। मगर कच्ची सड़क के अलावा और भी चीज़ें देखने को मिलीं, वे थीं मोड़ों पर की गई बेतरतीब खुदाई या फिर पत्थरों के ढेर। कई जगहों पर पेड़ों की टहनियां सड़क पर झुकी हुई हैं तो कई जगहों पर रिफ्लेक्टर नहीं लगे। रात को गाड़ी चलाते वक्त रिफ्लेक्टर न होने पर आप सीधे खाई से नीचे गिरेंगे, इसकी संभावनाएं ज्यादा हैं।पढ़ें: हिमाचल में कब तक होती रहेंगी सड़क दुर्घटनाएंमैंने जोगिंदर नगर हादसे की खबर आने के बाद पड़ताल करना शुरू किया तो पाया कि जोगिंदर नगर में पिछले कुछ महीनों में दर्जन भर सड़क हादसे हो चुके हैं और इतने ही लोग जान भी गंवा चुके हैं। कई जगहों पर तो परिवार के परिवार खत्म हो गए। अधिकतर जगहों पर हादसों की वजह थी- खराब सड़कें। यानी PWD विभाग द्वारा आधी-अधूरी बनाई गई सड़कें या फिर गलत ढंग से बनाई गई सड़कें। आप यकीन नहीं करेंगे कि कुछ जगहों पर तो खड़ी ढलान पर सड़क बना दी गई है। जिस किसी अधिकारी ने उस सड़क को बनाने की परमिशन दी होगी या तो उसने भांग खाई होगी या फिर वह नंबर वन नालायक रहा होगा। इन बातों पर बाद में आएंगे, पहले देखते हैं कि जोगिंदर नगर में बस खाई में क्यों गिरी। नीचे दिख रही तस्वीर पर जरा गौर करें-

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    यहीं से नीचे गिरी थी बस। (साभार: फेसबुक)
    यही वह जगह है, जहां से पास लेते वक्त धर्मशाला से रिकॉन्गपिओ जा रही बस खाई से नीचे गिर गई।- आप देख सकते हैं कि इस जगह पर पहले सड़क चौड़ी है और फिर अचानक चौड़ाई खत्म हो गई है।- यहां पर लोगों के पैरों के नीचे आपको नाली खुदी हुई दिख रही होगी।- सड़क किनारे कोई पैरापिट और रिफ्लेक्टर (जो लाइट पड़ने पर चमकते हैं) नहीं हैं।- सड़क की हालत भी खस्ता है।यह सही है कि ड्राइवर ने अधीरता दिखाते हुए गलत जगह पर पास लेने की कोशिश की। मगर उसने पहले चौड़ी जगह देखी होगी और इसी वजह से यह फैसला लिया होगा। मगर कंडक्टर ने बताया है कि जैसे ही पास लेने की कोशिश की, बस दाहिनी तरफ को झुकी और खाई में गिर गई। साफ है कि बस के दाहिनी तरफ के टायर इस नाली में गिरे और बस एक तरफ झुक गई। फिर जब तक ड्राइवर ने संभले की कोशिश की, आगे सड़क खत्म हो गई और बस सीधे नीचे जा गिरी। दिन में तो अंदाजा हो जाता है कि सडक कहां खत्म हो रही है और कहां पर खाई है। मगर रात को रिफ्लेक्टर या चूने वाले पत्थर न हों तो पता नहीं चलता। इसी वजह से ड्राइवर ने गलत जगह पर पास लेने की कोशिश की।साथ ही आप ये जो नाली देख रहे हैं, दरअसल यह ऑप्टिकल फाइबर केबल (OFC) बिछाने के लिए की गई खुदाई है। नियम कहते हैं कि सड़क पर ढांग की तरफ केबल नहीं बिछाए जा सकते, उन्हें सिर्फ वैली साइड में बिछाया जा सकता है। मगर इस जगह पर केबल को दाहिनी तरफ यानी ढांक की तरफ बिछाया गया था, जो नियमों का साफ उल्लंघन है। यही नहीं, केबल बिछाने के बाद सही से लेवलिंग (भरान) नहीं की गई थी, जिस वजह से नाली बन गई थी। इसमें रात को क्या, दिन में भी कोई बस हादसे की शिकार हो सकती है।- क्या PWD विभाग की जिम्मेदारी नहीं बनती कि वह केबल बिछाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करे?-  क्या PWD विभाग खुद दोषी नहीं है, जो सड़कों के पैचवर्क और इसका ख्याल रखने के लिए उत्तरदायी है?- क्या इन दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी या अब तक हुए हजारों हादसों के बाद इस हादसे को भी भगवान की मर्जी समझकर और मुआवजा बांटकर भुला दिया जाएगा?दरअसल हम कभी ऐसे हादसों पर सख्त कदम नहीं उठाते और इसी वजह से लापरवाहियां होती हैं। मैं दुनिया के कई देशों में देख चुका हूं कि सड़कों को लेकर वे बड़े संजीदा होते हैं। कहीं पर भी बिना प्लैनिंग और सही तैयारी के सड़कें नहीं बनतीं। काम होता है तो प्रॉपर होता है। केयर प्रॉपर होती है और हादसे होने पर जांच होती है और जिम्मेदार लोगों पर मुकदमा चलता है और सजा भी होती है। मगर अपने यहां कोई कुछ नहीं पूछता। और जो लोग कहते हैं कि आप हमेशा बाहर का उदाहरण देकर भारत को नीचा दिखाते हैं, उन्हें पहले ही कह दूं कि सच को स्वीकार करना चाहिए और दूसरों की अच्छाइयों को अपनाना चाहिए।क्यों आज तक किसी भी हादसे के कारणों को ढूंढने की कोशिश नहीं की गई और क्यों आज तक किसी को दोषी नहीं पाया गया और क्यों सजा नहीं हुई? यही रवैया है कि सड़कें बनाने वाले इंजिनियर अपने दफ्तरों में मौज काटते हैं और अनपढ़ लेबर और मेट वगैरह के हाथों जिम्मा दे देते हैं। न तो वे चेकिंग करते हैं कि क्या बन रहा है, न कोई सुझाव देते हैं। इसीलिए कहीं पर ढलान में सड़क बन जाती है तो कहीं पर बैंकिंग गलत कर दी जाती है। क्योंकि इन बाबुओं को पता है कि कुछ भी हो जाए, इन पर कोई आंच नहीं आने वाली। सरकारें मुआवजा देंगी और अपने राजनीतिक दांव-पेंच में लग जाएंगी। इस मामले में भी ऐसा ही होगा। सबूत सामने हैं, मगर सब कोई आंखें मूंदकर बैठे रहेंगे।(लेखक हिमाचल प्रदेश से संबंद्ध रखते हैं और इन दिनों आयरलैंड में हैं। उनसे kalamkasipahi@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।)