डेस्क ।। देश के कई राज्यों में लंपी स्किन डिजीज (LSD) की वजह से हजारों मवेशियों की मौत हो चुकी है। गुजरात और राजस्थान में यह बीमारी व्यापक स्तर पर फैल चुकी है। पंजाब और मध्य प्रदेश में भी इसके फैलने की खबर सामने आई है। अब हिमाचल में भी मवेशियों में इस बीमारी के लक्षण देखे गए हैं।
हिमाचल प्रदेश में भी इस बीमारी के लक्षण दिखने के बाद पशुपालकों की चिंता बढ़ गई है। यह बीमारी मवेशियों जैसे गाय, भैंसों और बैलों में फैल रही है।
क्या है लंपी स्किन डिजीज ?
LSD मवेशियों में त्वचा की एक बीमारी है जो तेजी से फैल रही है। इसे गांठदार त्वचा रोग वायरस (LSDV) कहते हैं। इस बीमारी के शुरुआती लक्षणों में तेज बुखार होना, उनकी त्वचा पर चेचक और नाक बहना शामिल है। इस बीमारी की वजह से पशुओं को तेज बुखार होता है और वे खाना-पीना छोड़ देते हैं। इससे उनकी शारीरिक क्षमता काफी गिर जाती है जिस कारण उनकी मौत भी हो सकती है। यह बीमारी मच्छर, मक्खी और जूं इत्यादि के काटने या मवेशियों के सीधा संपर्क में आने से भी फैल रही है।
कहां से आई लंपी स्किन डिजीज ?
यह संक्रामक रोग या फिर वायरस 30 से 35 साल पहले अफ्रीका में पाया गया था। पिछले एक दशक में इस बीमारी ने अफ्रीका के कई इलाकों में महामारी का रूप ले लिया था। भारत में यह बीमारी पहली बार तीन साल पहले पाई गई थी। अब भारत के कई राज्यों में इस बीमारी ने महामारी का रूप ले लिया है।
कैसे की जा सकती है रोकथाम?
इस बीमारी का अभी तक कोई ठोस इलाज नहीं है। अभी तक इसका इलाज मवेशियों में दिखने वाले लक्षणों के आधार पर किया जा रहा है। इसके अलावा भारत सरकार ने एक एडवाजरी जारी की है जिसमें गोवंश की रक्षा के लिए गॉट पॉक्स वैक्सीन लगवाने की सलाह दी है। सरकार का कहना है कि यह वैक्सीन पशुओं को इस घातक बीमारी से बचा सकती है। इसके अलावा इस बीमारी से बचाव के लिए पशुपालकों को चाहिए कि वो अपने पशुओं को संक्रमित पशुओं से दूर रखें।
क्या कह रहे पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर
पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि उन्हें यह जानकारी मिली है कि शिमला के कुछ क्षेत्रों में पशुओं में यह बीमारी देखी गई है। ऐसे में पशुपालन विभाग को वैक्सीनेशन करने के आदेश दिए हैं। इस बीमारी की रोकथाम के लिए विभाग के साथ बैठक कर टास्क फोर्स बनाई जाएगी। पशुपालन विभाग इस पूरे मामले पर नजर बनाए हुए है।