केलॉन्ग।। अटल टनल रोहतांग बनते ही लाहौल जाने वाले पर्यटकों का तांता लग गया है। कोरोना संकट के बीच वाहनों की लंबी कतारें लाहौल पहुंच रही हैं। मगर इसका नुकसान भी यहां होने लगा है। अब तक बाकी जगहों की तुलना में टूरिस्टों द्वारा फैलाई जाने वाली गंदगी और कचरे से बचा रहने वाला ये इलाका भी अब प्रदूषित होने लगा है।
टनल के उत्तरी पोर्टल के पास सिस्सू हैलीपैड के पास गंदगी साफ देखी जा सकती है। लोग यहां पर नदी में उतर रहे हैं और वहीं पर कचरा फेंक रहे है। स्थानीय लोग इससे परेशान भी होने लगे हैं। उनका कहना है कि खाने-पीने की चीजों के पैकेटों से लेकर बियर-शराब की बोतलें तक फेंकी जा रही हैं और ये सबकुछ चंद्रा नदी में जा रहा है।
स्थानीय लोगों की चिंता है कि अभी घाटी में स्थानीय लोगों के हिसाब से ही पर्याप्त संसाधन और इंतजाम नहीं है, ऐसे में सुरंग बनने के बाद जितनी संख्या में पर्यटक आ रहे है, उससे हालात और खराब हो रहे हैं। उन्हें चिंता है कि यही हाल रहा तो कुछ ही समय में यहां का पर्यावरण भी नुकसान की चपेट में आ जाएगा।
सड़क पर जाते समय किनारे जहां-तहां आप पर्यटकों द्वारा वाहनों से फेंका गया कचरा देख सकते हैं। लोगों की शिकायत यह है कि इस संबंध में स्थानीय प्रशासन कुछ नहीं कर रहा जबकि इस क्षेत्र की इकॉलजी बेहद संवेदनशील है।
समस्या यह है कि यहां पर न तो पर्यटकों के ठहरने के इंतजाम हैं, न सड़कें चौड़ी हैं और न पार्किंग का इंतजाम है। सार्वजनिक शौचालयों आदि की भी व्यवस्था न होने के कारण पर्यटकों को भी दिक्कत हो रही है। पर्यटकों की वाहनों के कारण एचआरटीसी तक की बसें थम जा रही हैं जिससे अपने किसी काम से जा रहे स्थानीय लोगों को भी दिक्कत हो रही है।
जरूरी है कि जब तक इन चीज़ों का इंतजाम नहीं हो जाता, सरकार को कोई रास्ता ढूंढना होगा और बेवजह टनल पार करके आ रहे लोगों पर लगाम लगानी होगी। पर्यटन की इजाजत तभी दी जानी चाहिए जब पर्यटकों लायक सुविधाएं हों। वरना गंदगी और अव्यवस्था की मार लाहौल घाटी के पर्यावरण और स्थानीय लोगों पर पड़ेगी।