हिमाचल में जब पूर्ण बहुमत की सरकार है तो हर साल जश्न का लॉजिक क्या?

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आई.एस. ठाकुर।। हिमाचल प्रदेश में बीजेपी की सरकार अपने दो साल पूरे होने के मौके पर शिमला के रिज में एक विशाल रैली का आयोजन करने जा रही है जिसमें केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी के अन्य वरिष्ठ नेता शिरकत करेंगे। इस संबंध में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बैठक की और तैयारियों पर चर्चा की।

हिमाचल प्रदेश में बीजेपी की सरकार को सत्ता सँभाले दो साल 27 दिसंबर को पूरे होने जा रहे हैं। सीएम ने कहा कि इस मौक़े पर जो कार्यक्रम होगा, इसमें राज्य सरकार की योजनाओं से लाभान्वित हुए हज़ारों लाभार्थी शामिल होंगे और आम जनता भी आएगी।

सीएम का कहना है कि इसमें बीजेपी कार्यकर्ताओं, आम जनता के अलावा राष्ट्रीय स्तर के बीजेपी नेता भी हिस्सा लेंगे और इसके लिए ज़रूरी कदम उठाए जा रहे हैं। चूँकि केंद्रीय गृहमंत्री भी आ रहे हैं इसलिए वीवीआईपी मूवमेंट के कारण शिमला शहर के ट्रैफ़िक प्रबंधन को लेकर भी ज़रूरी कदम उठाए जा रहे हैं।

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी आएँगे शिमला

इस मौक़े पर सरकार एक पुस्तिका भी लॉन्च करेगी जिसमें सरकार की अब तक की उपलब्धियाँ को ज़िक्र होगा। सीएम ने रिज का दौर करके वहां इंतजामों का जायजा भी लिया है। लेकिन सवाल उठता है कि आख़िर दो साल पूरे होने का जश्न मनाने का लॉजिक क्या है। प्रदेश में बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार है और उसके पाँच साल से पहले गिरने का कोई ख़तरा नहीं है।

अगर गठबंधन की सरकार होती और सहयोगी दलों के अलग होने के ख़तरे के बीच शासन चलाया जा रहा होता तो जश्न मनाने की बात समझ आती है कि चलो, सरकार गिरी नहीं और दो साल पूरे हो गए। मगर जब पाँच साल के लिए बीजेपी को सत्ता मिली है तो फिर हर साल जश्न मनाने का क्या मतलब है? सरकार ने पिछले साल भी एक साल पूरे होने का जश्न मनाया था।

ग़ौरतलब है कि प्रदेश पहले ही लगभग 50 हज़ार करोड़ रुपये के खर्च में डूबा है। प्रदेश में सड़कों, स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में कई विकास कार्यों को लेकर आ रही मुश्किलों को लेकर भी प्रदेश सरकार फंड की कमी का रोना रोती है। फिर इस तरह के निरर्थक आयोजनों के लिए उसके पास कहां से पैसा आ जाता है?

विपक्ष का यह भी कहना है कि प्रदेश सरकार ने पिछले दो सालों में कोई अभूतपूर्व काम नहीं किया न ही कोई तीर मारा है। ऐसे में किन उपलब्धियों का जश्न मनाया जा रहा है। विपक्ष ने हाल ही में हुई इन्वेस्टर्स मीटिंग की सफलता को लेकर भी सवाल उठाए हैं। हालाँकि भारी भरकम खर्च से हुई इस मीटिंग से क्या हासिल हुआ, इसे लेकर अभी तक उद्योग मंत्री से लेकर सीएम ने कुछ भी स्पष्ट नहीं कहा है।

फिर सवाल यह भी उठता है कि केंद्र सरकार की योजनाओं के नाम पर बदलकर हिमाचल में लागू करके उनके लाभार्थियों को सम्मानित करना राज्य सरकार की अपनी उपलब्धि कहां हो गई? दो साल हो गए, क्या मरीज़ों को पीजीआई रेफर किया जाना बंद हो गया? क्या प्रदेश का कोई शिक्षण संस्थान प्रतिष्ठित सर्वे या रैंकिंग एजेंसी की सूची में स्थान हासिल कर पाया?

जहां डॉक्टरों की और मेडिकल उपकरणों की कमी पूरी नहीं हो रही, बेरोज़गारी कम करने के लिए निजी क्षेत्र में कुछ नहीं हुआ, कई सरकारी महकमों में पद ख़ाली हैं, हाल ही में हाई कोर्ट फटकार लगाता है कि स्कूलों में हज़ारों ख़ाली पदों को क्यों नहीं भरा जा रहा, पुलिस कई मामलों को सुलझाने में अक्षम है, सड़कों की हालत ख़राब है,  तो फिर अच्छा क्या है? जश्न किस बात का।

भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता हो सकता है अपनी पार्टी के कार्यक्रम को लेकर उत्साहित हों मगर आम जनता राज्य सरकार से नाखुश है और सोशल मीडिया से लेकर आम जगहों पर होने वाली चर्चाओं तक में यह बात साफ़ नज़र आती है। सरकार की ओर से कई सारी योजनाएँ लॉन्च बेशक की गईं मगर ज़मीन पर उनका असर दिख नहीं रहा। जैसे कि दो साल हो गए मगर एक फंक्शनिंग मुख्यमंत्री आदर्श विद्यालय नहीं बना। पहले बजट में कम्यूनिटी हॉल्स का प्रावधान किया गया था, उन्हें बनाने की प्रक्रिया का कुछ पता नहीं है।

ऐसी परिस्थितियों में औपचारिकता के लिए और आत्मसंतुष्टि के लिए सरकार और उससे जुड़े लोग जश्न मनाना चाहते है तो मनाए। मगर एकांत में ख़ुद से पूछें कि जश्न मनाने के लिए ऐसा किया क्या गया है।

(लेखक हिमाचल प्रदेश से जुड़े विषयों पर लिखते रहते हैं, उनसे kalamkasipahi @ gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है)

ये लेखक के निजी विचार हैं