इन हिमाचल डेस्क।। पिछले कुछ समय से देखने को मिल रहा है कि विपक्षी दलों के विधायक बड़ी संख्या में पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो रहे हैं। चुने हुए प्रतिनिधियों का पाला बदल लेना नई बात नहीं है और ऐसा पहले भी होता रहा है। कांग्रेस और क्षेत्रीय दल भी इस खेल में शामिल रहे हैं। मगर ‘द पार्टी विद अ डिफरेंस’ के साथ हाल में यह सिलसिला तेज हुआ है।
2015 में असम में कांग्रेस के नौ विधायक बीजेपी में शामिल हो गए थे और ऐंटी डिफेक्शन प्रावधानों के चलते उनकी सदस्यता रद हो गई थी। हाल ही में गोवा में कांग्रेस के दस विधायक बीजेपी में आ गए। चूंकि दल बदलने वाले विधायकों की संख्या दो तिहाई से अधिक थी, इसलिए वे ऐंटी डिफेक्शन की जद में नहीं आए। मगर जिस तरह से कर्नाटक में हुआ, वह ऐंटी डिफेक्शन प्रावधानों की काट है।
कांग्रेस जेडीएस के विधायकों ने पार्टी नहीं बदली, सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। इससे सदन में सत्ताधारी गठबंधन की सीटें घट गईं और बहुमत का आंकड़ा घट गया। नतीजा- कांग्रेस-जेडीएस की सरकार गिर गई और बीजेपी के सत्ता में आने का रास्ता साफ हो गया।
आज जो ये खेल हो रहा है, वह 1985 में संविधान संशोधन के बाद दल बदल रोकने के लिए किए गए प्रावधानों को धता बताते हुए किया जा रहा है। इस पूरे खेल के लिए बीजेपी पर आरोप लग रहे हैं। मगर एक दौर था जब बीजेपी में ऐसे लोग थे जो विधायकों को प्रलोभन देने और खरीदने के बजाय सत्ता से दूर रहना पसंद करते थे। ये थे- हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के संस्थापक सदस्य- शांता कुमार और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी।
शांता सरकार में मंत्री रहे बीजेपी के वरिष्ठ नेता मोहिंदर नाथ सोफत ने यही किस्सा साझा किया है कि कैसे शांता कुमार सरकार बचाने में जोड़ तोड़ करने के बजाय त्याग पत्र देकर फ़िल्म देखने चले गए थे। हालांकि सोफत ने सवाल कुमारस्वामी पर उठाए हैं कि कैसे वह अल्पमत में आने के बावजूद सरकार बचाने की कोशिश करते रहे। मगर सीख वे भी ले सकते हैं जो सरकार को अल्पमत में लाने और अपनी सरकार बनाने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाते हैं।
सोफत लिखते हैं– “कुमारस्वामी सरकार 23 जुलाई को हुए फ्लोर टैस्ट मे फेल हुई और उसके साथ ही कर्नाटक का राजनीतिक नाटक भी समाप्त हो गया है।वेन्टीलेटर पर पडी सरकार को जाना ही था। हालांकि मुख्यमंत्री और विधानसभा के अध्यक्ष की जोड़ी ने राज्यपाल के आदेशो की अनदेखी कर एक स्वस्थ परम्परा को तोड़कर सरकार को तीन-चार दिन जीवन दान दे कर रखा। परन्तु इस प्रकार सरकार को बचाए रखने से यह सिद्ध हो गया कि कुमारस्वामी और कर्नाटक का कांग्रेस नेतृत्व यह जानते हुए कि वह अल्पमत मे है फिर भी सत्ता के साथ चिपके रहना चाहते थे। फ्लोर टेस्ट के लिए तीन डेडलाइन देनी पडी।
221 सदस्यो के सदन मे टेस्ट के समय केवल 204 विधायक उपस्थित थे। मुख्यमंत्री के पक्ष मे99 और विरोध मे 105 वोट पडें। तब जाकर मुख्यमंत्री ने अपने पद से त्याग पत्र दिया। ऐसे ही हालात हिमाचल प्रदेश मे जनता पार्टी के समय भी हुए थे। जब जनता पार्टी मे विभाजन हुआ था। उस समय शांता कुमार जी प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। विभाजन के साथ भारी बहुमत वाली सरकार अल्प मत मे आ गई थी।
गैर जनसंघ के अधिकांश विधायक कांग्रेस मे शामिल हो गए थे। गैर जनसंघ के कुछ लोग जैसे शयमा शर्मा जी और ठाकुर रणजीत सिंह जी ने जनता पार्टी मे ही रहना पंसद किया था। जैसे ही यह बात शांता जी को पता चली कि उनकी सरकार अल्पमत है उन्होंने बिना विचलित हुए अपना त्यागपत्र राज्यपाल जी को सौंप दिया। इससे भी बड़ी बात और दिलचस्प बात है कि मुख्यमंत्री के पद से त्यागपत्र दे कर प्रसन्नचित्त भाव से राज भवन सीधे जूगनू फिल्म देखने अपने साथियो के साथ चले गए।
कांग्रेस के नेता ठाकुर रामलाल जी दल बदल के सहारे दुसरी बार हिमाचल के मुख्यमंत्री बने। 1982 हिमाचल मे फिर विधानसभा के चुनाव हुए। तब देश मे भाजपा पार्टी का गठन हो चुका था। 1982 के चुनाव के परिणाम भी बहुत दिलचस्प आकड़ो के साथ आए थे। कांग्रेस को और गैर कांग्रेसी पार्टीयो को 31-31सीटें मिली थी। सरकार बनाने की चाबी 6 निर्दलीय विधायको के पास थी।
भाजपा के कुछ लोग निर्दलीय विधायको के समर्थन के साथ सरकार बनाना चाहते थे। परन्तु शांता जी मन से इस बात के लिए तैयार नही थे और उन्होंने अटल जी को दूरभाष पर अपने मन की बात बताई और अटल जी दिल्ली से बाहर भोपाल में थे उन्होंने वही से ब्यान जारी कर कह दिया कि हमे जनता ने स्पष्ट बहुमत नही दिया है इसलिए हम हिमाचल मे विरोधी दल की भूमिका अदा करेंगे।
अटल जी ने स्वंय भी 13 मास की सरकार मे जब एक मत से अपना बहुमत सिद्ध नही कर पाये तो लोकसभा मे कहा था कि हम संख्या बल के आगे अपना सिर झुकाते है और कहा मै अभी अपना त्याग पत्र राष्ट्रपति जी को सौंपने जा रहा हूँ । यह थी राजनेताओ की शालीनता और परिपक्वता। आज के सभी पार्टीयो के नेता इन राजनेताओं के जीवन से बहुत कुछ सीख सकते है।”