इन हिमाचल डेस्क।। मोदी राज में प्रचंड बहुमत से दूसरी बार सत्ता में आई भाजपा में देश से लेकर राज्यों तक संगठनों में बदलाव का वक्त आ गया है। अमित शाह के सरकार में शामिल हो जाने के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि राज्यों में संगठन चुनाव करवाकर आने वाले कुछ महीनों में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की ताजपोशी कर दी जाएगी।
हिमाचल प्रदेश की बात करें तो सतपाल सत्ती का दूसरा कार्यकाल भी पूरा होकर एक्सटेंसन पर चल रहा है। सतपाल सत्ती 2012 से इस पद पर बने हुए हैं। चर्चा है कि सत्ती खुद इस जिम्मेदारी को छोड़ सरकार में बोर्ड निगम की चयरमैनी को सँभालने के इच्छुक हैं।
राज्य भाजपा संगठन की कमान कौन संभालेगा इसपर माथापच्ची चल रही है। क्षेत्रीय समीकरणों की बात करें तो सत्ती हमीरपुर लोकसभा सीट से आते हैं। वहीँ सत्ती से पहले अध्यक्ष रहे बंजार के पूर्व विधायक खीमी राम मंडी सीट से थे जो फ़िलहाल राजनैतिक हाशिये पर हैं। खीमी राम से पहले वर्तमान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर इस जिम्मेदारी को निभा चुके हैं। जयराम भी मंडी लोकसभा से सबंध रखते हैं।
जयराम ठाकुर से पहले के दौर में वर्तमान शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज हिमाचल भाजपा के अध्यक्ष रहे जो शिमला लोकसभा से सबंधित हैं। पिछले 15 वर्षों की बात की जाए तो कांगड़ा लोकसभा छोड़कर बाकी तीनों क्षेत्रों से बारी-बारी अध्यक्ष रहे हैं। सबसे बड़े जिला कांगड़ा को, या यूँ कहा जाए तो लोकसभा क्षेत्र कांगड़ा इन वर्षों में प्रतिनिधित्व नहीं मिला है।
इस हिसाब से कांगड़ा को अगर जिम्मेदारी सौंपने के लिए आंका गया तो राज्यसभा के पूर्व सदस्य कृपाल परमार कांगड़ा से दावेदार हो सकते हैं। उनके अलावा विपिन सिंह परमार को सरकार से संगठन में लाया जा सकता है। मौजूदा स्वास्थ्य मंत्री परमार को विद्यार्थी परिषद् से लेकर पार्टी तक संग़ठन का लम्बा अनुभव है। गौरतलब है की सीएम जयराम ठाकुर ने पहले ही संकेत दिए हैं की मंत्रियों के विभागों सहित जिम्मेदारियों में भी फेरबदल हो सकता है। भाजपा का इतिहास रहा है की संगठनात्मक पार्टी के रूप में भाजपा ने कभी भी संगठन को हलके में नहीं लिया है।
पहले भी मंत्री पद से हटाकर बड़े बड़े नेता संगठन को मजबूत करने के लिए लाए गए हैं। इसलिए परमार को भी अगर यह जिम्मेदारी देनी होगी तो आलाकमान को कोई हिचकिचाहट नहीं होगी। कांगड़ा से ही दूसरे विकल्पों की बात करें केसीसी बैंक के चेयरमैन राजीव भारद्वाज का नाम भी काफी वजन रखता है। भारद्वाज संघ के भी प्रिय हैं और ब्राह्मण हैं। जातीय और क्षेत्रीय दोनों समीकरणों में वो फिट बैठते हैं।
भाजपा ने आजतक किसी भी महिला को यह अहम जिम्मेदारी नहीं दी है। कांगड़ा ही गर फोकस में रहा तो महिला मोर्चा की अध्यक्ष इन्दु गोस्वामी भी भाजपा इतिहास की प्रदेश में पहली महिला अध्यक्ष हो सकती हैं। हालाँकि अपने सधे हुए तरीके से सत्ता में आई भाजपा अपने आपको क्षेत्रीय या जातीय समीकरणों में बांधकर फैसला करे यह भी जरुरी नहीं है।
कांगड़ा छोड़ भाजपा बाहर जाती है तो विकल्पों की भरमार है। बिलासपुर की नैना देवी सीट से पूर्व विधायक रणधीर शर्मा का दावा भी इस ओहदे के लिए चर्चा में आ सकता है। वहीँ इसी जिले से मुख्यमंत्री के ओएसडी महेंद्र धर्माणी भी इस पद दावेदारों में बताये जा रहे हैं। बाकी लम्बी फेहरिस्त में , कुल्लू से ठाकुर राम सिंह , सांसद रामस्वरूप शर्मा , विद्यायक राकेश जम्बाल , सिरमौर से चंद्रमोहन ठाकुर जैसे नाम भी बराबर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने का माद्दा रखते हैं।