चेयरमैन-उपाध्यक्षों की नियुक्तियों में दिखे जयराम के तेवर

Image: Twitter/JairamThakur

इन हिमाचल डेस्क।। लंबे इंतजार के बाद आखिरकार हिमाचल प्रदेश में जयराम सरकार ने बोर्डों और निगमों के उपाध्यक्षों और चेयरमैनों के पदों पर नियुक्तियां करना शुरू कर दिया है। अब तक इस तरह से पार्टी और संगठन से जुड़े 13 लोगों को जिम्मेदारियां दी जा चुकी हैं। इन नियुक्तियों में खास बात यह नजर आ रही है कि सभी जिलों को प्रतिनिधित्व मिला है और साथ ही जिन्हें ये पद मिले हैं, वे सीेम जयराम ठाकुर की ही चॉइस हैं।

जब इन नियुक्तियों में देरी हो रही थी तो चर्चा थी कि जयराम ठाकुर के ऊपर पार्टी के अंदर से कथित रूप से विभिन्न खेमों से दबाव बनाने की कोशिश हो रही है कि फ्लां व्यक्ति को उपाध्यक्ष या चेयरमैन बनाया जाए। मुख्यमंत्री को कार्यभार संभाले एक साल पूरा होने को था, मगर कयास ही लगाए जा रहे थे कि किसे कुर्सी मिलेगी।

मुख्य सचेतक और उप मुख्य सचेतक बनाए जाने के बाद 12 अक्तूबर को सरकार ने रमेश धवाला को स्टेट प्लैनिंग बोर्ड का वाइस-चेयरमैन (कैबिनेट रैंक) बनाया और साथ ही सिरमौर से बलदेव भंडारी को स्टेट एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड का चेयरमैन व चंबा से जय सिंह को एससी एसटी डिवेलपमेंट कॉर्पोरेशन का उपाध्यक्ष बनाया। धवाला को बड़ा पद मिलना तय था मगर बलदेव भंडारी और जय सिंह को पहले पद दिए जाने से एक बात साफ हो गई थी कि जयराम इस बार अलग करने जा रहे हैं।

संगठन में कई बड़े नेता, जो पहले मंत्री थे और इस बार चुनाव हार चुके हैं या जिन्हें टिकट नहीं मिला, वे आस लगाए बैठे थे कि उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी और वे कुर्सी के लिए अपने-अपने स्तर से लॉबीइंग और सिफारिश में भी जुटे थे। लेकिन बदलेव भंडारी और जय सिंह को पद देकर जयराम ने साफ संकेत दे दिया था कि वह अपने मन से नियुक्तियां करेंगे और दूर की सोच रखते हुए ऐसे लोगों को मौका देंगे जिन्होंने संगठन में न सिर्फ कड़ी मेहनत की हो बल्कि जो पार्टी की भविष्य की योजना में महत्वपूर्ण कड़ी साबित हों।

इसीलिए बुधवार को जब 10 नए नामों का एलान हुआ, उनमें न तो वे बड़े दिग्गज थे जिनके आगे चुनाव लड़ने की संभावनाएं कम हैं और न ही वे लोग शामिल थे जिनके चुनाव जीतने की संभावनाएं कम हैं। जयराम ठाकुर के कुछ करीबी भी इस लिस्ट में नहीं थे, जिनके नाम मीडिया के कुछ हिस्सों में संभावितों के तौर पर पहले ही प्रकाशित किए जा चुके थे। पहले अक्सर इस तरह की नियुक्तियाँ पसंद और नज़दीकी के हिसाब से की जाती रही हैं मगर जयराम ठाकुर ने उस बार संगठन और क्षेत्रीय संतुलन बनाने पर फोकस रखा है।

किन्हें मिली नियुक्ति?
आबादी के हिसाब से हिमाचल के सबसे बड़े जिले से कांगड़ा से इंदौरा के मनोहर धीमान को जीआईसी का उपाध्यक्ष बनाया गया है। बता दें कि पिछली बार मनोहर धीमान निर्दलीय विधायक थे और मई 2017 में वह भारतीय जनता पार्टी में भी शामिल हो गए थे। वह भारतीय जनता पार्टी से टिकट चाहते थे मगर यहां से बीजेपी ने रीता धीमान को टिकट दिया था।

उस समय मनोहर की लोकप्रियता काफी थी और चुनाव लड़ते तो जीत सकते थे और न भी जीतते तो सीधे बीजेपी उम्मीदवार के टिकट कटते। मगर मनोहर चुनाव से हट गए और बीजेपी की रीता धीमान विधायक चुनी गईं। अब उनके इस त्याग को जयराम ने पहचाना है और उपाध्यक्ष पद से नवाजा है।

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इसी तरह से अन्य पदों पर जिन्हें भी नियुक्ति मिली है, वे किसी एक खेमे से संबंध नहीं रखते और अधिकतर गुटबाजी से दूर रहने के लिए पहचाने जाते हैं। दरअसल ये नियुक्तियां इसलिए अहम होती हैं ताकि इनके माध्यम से पद पर बैठे लोग कुछ काम कर सकें और अगले चुनाव के लिए उनके जीतने की संभावनाएं बनें। यानी यह भविष्य के लिए किया जाने वाला निवेश है। इसीलिए जयराम ने इसमें ऐसे लोगों को नहीं चुना, जो भले दिग्गज रहे हों मगर बुरी तरह चुनाव हारे हैं या फिर उनकी छवि ही ऐसी है कि जनता के बीच उनकी स्वीकार्यता बन नहीं पाएगी।

सूत्रों के अनुसार जयराम ठाकुर ने आलाकमान से फ्रीहैंड लेने के बाद ही ये नाम फाइनल किए हैं और इसमें वह किसी अन्य दिग्गज नेता या पदाधिकारी से प्रभावित नहीं हुए हैं। जाहिर है, लोकसभा चुनाव सिर पर हैं और जिन लोगों को अभी तक ओहदे नहीं मिले हैं, उनके नाराज होने का खतरा बना हुआ है। लेकिन इसके बावजूद जयराम ने जिस तरह से ये नियुक्तियां की हैं, इससे संकेत तो मिल रहे हैं कि वह सख्त फैसले लेने लगे हैं। लेकिन वह अपनी ही पार्टी के लोगों के असंतोष और नाराजगी से कैसे निपटेंगे, यह देखना होगा।

हालांकि एक और बात जो देखने को मिली है, वो यह कि उपाध्यक्ष और चेयरमैन चुनने में लगभग सभी जिलों का ध्यान रखा गया है। हमीरपुर से विजय अग्निहोत्री, ऊना से रामकुमार और प्रवीण शर्मा, किन्नौर से सूरत नेगी, शिमला से रूपा शर्मा और गणेश दत्त, काँगड़ा से मनोहर धीमान और रमेश धवाला, सोलन के दर्शन सैनी, चंबा से जय सिंह, सिरमौर से बलदेव तोमर और बलदेव भंडारी, कुल्लू से राम सिंह। हालांकि मुख्यमंत्री के गृहजिले मंडी, बिलासपुर और लाहौल स्पीति से अभी किसी को ओहदा नहीं मिला है।

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