लेख: हिमाचल की लचर स्वास्थ्य सुविधाओं को ऐसे सुधार सकती है सरकार

कर्म सिंह ठाकुर।। सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में दिन प्रतिदिन सुविधाएं गर्त में जा रही है। सुबह ही लंबी लंबी कतारें हर अस्पताल की कहानी बनी हुई है। पर्ची बनाने के लिए ही लंबी लंबी कतारों में घंटों लग जाते हैं उसके उपरांत डॉक्टर साहब से उपचार के लिए लंबे समय तक इंतजार करने के उपरांत बारी आती है। एक साधारण सी बीमारी के लिए भी पूरा दिन दर-दर की ठोकरें खानी पड़ती है और डॉक्टर साहब ने कहीं कोई टेस्ट है लिख दिया तो 2 से 3 दिन का समय है लग जाता है। यदि कोई क्रिटिकल बीमारी सामने आती है तो कई महीनों तक सरकारी अस्पतालों में चक्कर काटने पड़ते हैं। ऐसी व्यवस्था में स्वास्थ्य लाभ पाना अति कठिन दुखदाई प्रतीत होता है।

हिमाचल प्रदेश पूरे भारतवर्ष में स्वास्थ्य पर खर्च करने में एक अग्रणी राज्य के रूप में जाना जाता है। सरकार द्वारा बहुत सी सुविधाएं हॉस्पिटलों में मुहैया करवा दी गई है लेकिन अस्पताल का प्रशासन इन सुविधाओं की धरातलीय बहुत से सुनिश्चित करने में लाचार नजर आता है। एक तरफ सरकारी डॉक्टरों सहायक स्टाफ तथा नर्सों द्वारा चलाया जाने वाला भाई भतीजावाद तथा जान पहचान पर अपने चहेतों को कतारों से हटकर स्वास्थ्य चेकअप करवाया जाता है। हर रोज करीब-करीब सभी सभी स्वास्थ्य संस्थानों में इस तरह का खुल्लम खुल्ला ड्रामा देखने को मिलता है। गरीब असहाय तथा लाचार व्यक्ति पूरा पूरा दिन लंबी लंबी कतारों में खड़ा होकर अपनी बारी के इंतजार में रहता है तो दूसरी तरफ जान पहचान वालों को पीछे के दरवाजे से उपचार किया जाता है जो कि बहुत ही निंदनीय तथा शर्मनाक है।

जगह-जगह अस्पतालों में अच्छी सुविधाएं न होने पर बड़े अस्पतालों पर बोझ बढ़ रहा है।

अक्सर गर्भवती महिलाओं वृद्धों बच्चों को सरकारी संस्थानों में दर-दर की ठोकरें खानी पड़ती है। हर तीसरे दिन समाचार पत्रों में भी इस तरह की घटनाएं प्रकाशित होती रहती है लेकिन कोई भी इन सुविधाओं को तंदुरुस्त करने के लिए प्रयासरत नहीं दिखता है।

सरकारी अस्पतालों में फैली यह कुव्यवस्था गले की फांस बनी हुई है जब कोई व्यक्ति बीमार होता है तो उसे आर्थिक बोझ भी उठाना पड़ता है। एक तरफ महंगाई आसमान छू रही है तो दूसरी तरफ दवाइयों के दाम भी बहुत ही तीव्र गति से बड़े हुए हैं तथा सरकारी हॉस्पिटलों में फैली अव्यवस्था और भी परेशान कर देती है। ऐसे में सरकार को ही आगामी बजट में कठोर कदम उठाने होंगे ताकि हिमाचल प्रदेश का गरीब से गरीब जरूरतमंद व्यक्ति तक सरकार द्वारा चलाई जा रही स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ पहुंचाया जा सके।

इसमें सर्वप्रथम पर्ची बनाने की प्रक्रिया लगभग सभी सरकारी अस्पतालों में कंप्यूटर के माध्यम से पूरी की जा रही है, जैसे किसी मरीज की एंट्री उस कंप्यूटर पर होती है तो मरीज का आधार नंबर भी पर्ची के साथ में जोड़ दिया जाए तथा मरीज से पूछा जाए कि किस तरह की समस्या से ग्रसित है। उसी पर्ची पर कंप्यूटर से ही उसे वार्ड नंबर तथा डॉक्टर को दिखाने के लिए उसका क्रमांक नंबर भी उस पर्ची पर ही दर्शाया जाना चाहिए। जबकि वर्तमान में यह नंबर डॉक्टर साहब के कमरे के बाहर खड़े सुरक्षा कर्मियों द्वारा दिया जाता है जो कि जान पहचान वालों को वरीयता देते हैं तथा भ्रष्टाचार का प्रथम चरण यहीं से शुरू हो जाता है। यदि सरकार आगामी बजट में पर्ची पर ही संबंधित डॉक्टर का क्रमांक नंबर भी दर्शा दें तो इस समस्या से बचा जा सकता है।

इसी तरह से जब डॉक्टर साहब मरीज के लिए कोई टेस्ट या अन्य दवाई पर्ची पर लिखें तो मरीज को उसकी एंट्री करवानी सुनिश्चित की जाए इस व्यवस्था से मरीज की पूरा विवरण सरकारी अस्पतालों में बना रहेगा तथा जब भी अगली बार अपना चेकअप करवाने के लिए स्वास्थ्य संस्थान में आएगा तो आधार नंबर से ही उसकी पर्ची बनेगी तथा पिछली बीमारियों का विवरण भी प्रिंट हो जाएगा। इससे डॉक्टर साहब को मरीज का सही व उचित उपचार करने में सहायता मिलेगी तो वहीं दूसरी तरफ मरीजों को भी स्वास्थ्य लाभ में बेहतर सेवाओं का अहसास होगा। इस प्रक्रिया को संपन्न करने के लिए सरकार को कोई अतिरिक्त वित्तीय संसाधन जुटाने की भी आवश्यकता नहीं है। सरकारी अस्पतालों में जो सॉफ्टवेयर वर्तमान में काम कर रहा है, उसी में आधार नंबर से पर्ची को बनाना तथा विवरण को सेव करने का अतिरिक्त काम करना बाकी है।

यह भी सुनने में आता है कि डॉक्टरों द्वारा महंगी महंगी दवाइयां लिखी जाती है तथा कमीशन बटोरी जाती है। यदि डॉक्टरों द्वारा परामर्श की गई दवाएं गलत पाई जाती है तो डॉक्टरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। कई बार डॉक्टरों की लापरवाही द्वारा मरीजों की जान तक चली जाती है। देखिए, किसी भी व्यक्ति को किसी भी व्यक्ति के जीवन से खेलने का कोई भी अधिकार नहीं है। यदि किसी डॉक्टर के कारण किसी मरीज को जान की हानि होती है तो इस संदर्भ में सरकार को अति कठोर नियम बनाने होंगे ताकि किसी भी तरह की कोताही बरतने पर डॉक्टर को दंडित किया जा सके। जो डॉक्टर सरकार के निर्देशानुसार सही कार्य करें उसे सरकार द्वारा पुरस्कृत करने का भी प्रावधान आगामी बजट में किया जाना चाहिए।

समाचार पत्रों में यह खबरें प्रकाशित की जा रही है कि गर्भवती महिलाओं को जिला मंडी सुंदर नगर कुल्लू में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मंडी जिला में तीन से चार गायनी स्पेशलिस्ट डॉक्टर कार्यरत है इन्हीं डॉक्टरों का बारी-बारी डेपुटेशन पर मंडी सुंदरनगर रति कुल्लू में 15 दिनों के लिए या 1 महीने के लिए तैनाती दी जाती है जिस कारण यह डॉक्टर भी गर्भवती महिलाओं का सही ढंग से जांच करने में असमर्थ है। इस संदर्भ में सरकार को इन डॉक्टरों के स्थाई आदेश करने होंगे ताकि किसी एक जगह पर एक डॉक्टर द्वारा ही मरीजों का पूरा इलाज किया जाए तथा लोगों को इधर-उधर ना भटकना पड़े।

अस्पतालों की स्थिति सुधारी जानी चाहिए

वर्तमान में प्रचलित इस अव्यवस्था से निजी संस्थानों के डॉक्टरों को भारी लाभ पहुंच रहा है। मजबूरी में गरीब असहाय मजदूर व जरूरतमंद व्यक्तियों को प्राइवेट अस्पतालों में जाना पड़ता है, जहां पर मन चाहे दामों पर स्वास्थ्य सेवाएं बेची जाती हैं। इन पर भी सरकार को आगामी बजट में लगाम लगानी होगी। प्राइवेट स्कूलों की तरह निजी अस्पतालो की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। जो अच्छे डॉक्टर हैं वे सरकारी अस्पतालों से रिजाइन करके अपने क्लीनिक खोल रहे हैं। बहुत सी जगहों पर तो बाहरी राज्यों के डॉक्टरों ने भी अपना अधिपत्य जमाना शुरू कर दिया है। जब सरकारी तंत्र में इतनी सारी त्रुटियां होगी तो निजी अस्पतालों का व्यापार खूब बढ़ेगा। इस संदर्भ में सरकार को कड़े दिशा-निर्देश आगामी बजट में तैयार करने होंगे ताकि सरकारी अस्पतालों से ही सभी व्यक्तियों को स्वास्थ्य लाभ मिल सके।

हाल ही में बिलासपुर के क्लीनिक में शिशु लिंग जांच का मामला सामने आया जो कि प्रदेश को शर्मसार करता है। प्रदेश की छवि एक इमानदार कर्मठ व मेहनतकश निवासियों के रूप में की जाती है। पर यदि स्वास्थ्य सेवाओं में इसी तरह की भी लापरवाही बरती गई तो आने वाले दिनों में हिमाचल की छवि बाहरी राज्यों जैसी बन जाएगी। समय रहते ही सरकार को स्वास्थ्य सेवा में सजगता बरतनी होगी तथा कई प्रशासनिक नियमों का निर्धारण भी करना होगा। इसकी अवहेलना करने पर सख्त दंड की प्रवृत्ति को अपनाना होगा।

मार्च महीने में प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2018 19 का बजट पेश किया जाएगा। इस बार का बजट मंडी जिले के प्रथम मुख्यमंत्री माननीय श्री जयराम ठाकुर जी द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा जिनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि गरीब ईमानदार दूरदराज के क्षेत्र का स्पष्ट उदाहरण प्रस्तुत करती है। हाल ही में माननीय मुख्यमंत्री जी के गृह क्षेत्र में भी सरकारी सुविधाओं में बरती जा रही लापरवाही की खबरें मीडिया में आई थीं। इस बजट में प्रदेश की जनता माननीय मुख्यमंत्री जी से यह गुहार लगाती है कि सरकारी संस्थानों में धूल फांक रही मशीनरी भाई भतीजावाद ब कुव्यवस्था से निपटने के लिए बजट में कठोर प्रावधान किए जाएं। माननीय मुख्यमंत्री जी की पृष्ठभूमि जिस तरह की है, अधिकतर हिमाचली भी उसी पृष्ठभूमि मैं अपना जीवन यापन का निर्वहन करते हैं और मुख्यमंत्री जी इस तरह की कुव्यवस्था को भली-भांति समझ सकते हैं।

(लेखक कर्म सिंह ठाकुर मंडी ज़िले के सुंदरनगर से हैं। उनसे ksthakur25@ gmail. com या 98053 71534 पर संपर्क किया जा सकता है।)

आप भी अपने लेख inhimachal.in @gmail.com या contact @inhimachal.in पर भेज सकते हैं।

SHARE